भारत की सबसे प्राचीन अरावली पर्वत श्रृंखलाओं के बीच बहने वाली बनास नदी
टोंक
टोंक व सवाई माधोपुर सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया ने गुरुवार को शून्यकाल के दौरान लोकसभा सदन में बीसलपुर बांध की सफाई को लेकर मांग रखते हुए कहा कि भारत की सबसे प्राचीन अरावली पर्वत श्रृंखलाओं के बीच बहने वाली बनास नदी जो कि मूलत: एक बरसाती नदी है, जिस पर खारी, डाई एवं बनास के त्रिवेणी संगम स्थल की डाउन स्ट्रीम में बीसलपुर बांध का निर्माण कार्य वर्ष 1986-87 में प्रारम्भ किया गया था और जो वर्ष 1999 में पूर्ण हुआ।
नदी का कुल जल ग्रहण क्षेत्र 48018 वर्ग कि.मी.
नदी का कुल जल ग्रहण क्षेत्र 48018 वर्ग कि.मी. है एवं बीसलपुर बांध स्थल तक कुल जल ग्रहण क्षेत्र 27726 वर्ग कि.मी. है। बांध की नदी तल से ऊंचाई 27.50 मीटर है एवं कुल भराव क्षमता 38.70 टी.एम.सी. है। पूर्ण भराव की स्थिति में भी वाष्पीकरण के पष्चात् शेष उपयोगी क्षमता 24.20 टी.एम.सी. रही है, जिसमे से 16.20 टी.एम.सी. अजमेर व जयपुर जिले की पेयजल व्यवस्था हेतु निर्धारित है। अत: केवल पेयजल के मामले में इस बांध से उपलब्ध होने वाला पानी लाखो लोगो की प्यास बुझा रहा हैं।
भीषण गर्मी व वर्षा न होने के कारण वर्तमान में अकाल जैसी स्थिति
राजस्थान में पड रही भीषण गर्मी व वर्षा न होने के कारण वर्तमान में अकाल जैसी स्थिति बनी हुई है। मेरे संसदीय क्षेत्र के टोंक जिले में बनास नदी जो कि एक बरसाती नदी है पर स्थित बीसलपुर बांध से विभिन्न जिलों, जयपुर, अजमेर, टोंंक आदि को पेयजल की आपूर्ति की जाती है, वह भी सूखने के कगार पर है एवं अधिकांश जिलों को 48 घंटे के अंतराल से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे पेयजल का भयंकर संकट उत्पन्न हो चुका है।
बांध निर्माण से लेकर आज तक उसकी सफाई न होने के कारण भारी मात्रा में गाद जमा हो चुका है, जिस कारण जल संग्रहण क्षमता पर विपरीत प्रभाव पडा है। अत: गाद को अतिशीघ्र साफ किया जाना अति आवश्यक है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सिल्ट की गणना हेतु सर्वे कार्य स्थानीय राजस्थान सरकार द्वारा ड्रेजिंग कारर्पोरेशन ऑफ इंडिया, विशाखापट्टनम के माध्यम से करवाया जाना एवं बाद में डीसिल्टिंग का कार्य राजस्थान स्टेट माइंस व मिनरल्स लि. के माध्यम से करवाया जाना प्रस्तावित बताया गया है। यह कार्य युद्ध स्तर पर किया जाना परमावष्यक है जिसे गम्भीरता से लेकर अविलम्ब साफ करवाया जाए।