
जयपुर/ राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार एक ओर तो बेरोजगारों को रोजगार देने की बात कर रही है और दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी पानी की टंकी से ग्रामीणों को पेयजल उपलब्ध कराने वाले और ग्रामीणों की प्यास बुझाने वाले पंप चालक श्रमिकों के परिवार बुक के कगार पर है इन श्रमिकों को पिछले 3 माह से वेतन नहीं मिला है और यह नए वेतन के लिए जलदाय मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक अपनी गुहार लगा चुके हैं लेकिन इनके सुनवाई करने वाला कोई नहीं है।
इस संबंध में नागौर के संचालक और संगठन के पदाधिकारी अशोक वैष्णव ने यह जानकारी देते हुए बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी पानी की टंकी से ग्रामीणों को पेयजल उपलब्ध कराने का कार्य पंप चालक श्रमिक करते हैं जिनकी संख्या प्रदेश में करीब 7000 है और इनको मजदूरी का भुगतान करने की जिम्मेदारी जलदाय विभाग की है वैष्णव ने बताया कि
पंचायती राज विभाग से आए इन सात हजार श्रमिकों को 259 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से न्यूनतम मजदूरी का भुगतान करना है। चूंकि पंप चालक श्रमिक की श्रेणी में आते हैं, इसलिए महीने में 30 दिन के बजाए 26 दिन का ही भुगतान किया जाता हे। यानी एक श्रमिक को प्रतिमाह 6 हजार 734 रुपए देने हैं। प्रदेशभर के पंप चालक मजदूरी भुगतान के लिए कई बार जयपुर में धरना प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
राजस्थान जनता जल कर्मचारी संघ के प्रतिनिधि अशोक वैष्णव ने बताया कि जब ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल योजनाओं पर करोड़ों रुपया खर्च किया जा रहा है, तब पंप चालकों को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं दी जा रही है। गत मई माह से ही मजदूरी का भुगतान नहीं होने से उनके परिवार के सामने भूखों मरने की स्थिति उत्पन्न हो गई है। श्रमिकों के पास इतना पैसा भी नहीं है कि बार बार जयपुर जाकर धरना दिया जाए, सरकार को हमारी पारिवारिक स्थितियों को देखते हुए जल्द मजदूरी का भुगतान करना चाहिए। वैष्णव ने बताया कि पंप चालकों को पंचायती राज विभाग से जलदाय विभाग में स्थानांतरित करने का निर्णय भी खुद मुख्यमंत्री गहलोत ने लिया है। लेकिन इसके बावजूद भी पंप चालकों को मजदूरी का भुगतान नहीं हो रहा है।