राजस्थान में  CM गहलोत V/S सचिन पायलट के बीच सियासी खिंचातान, कांग्रेस के लिए न बन जाए …

Dr. CHETAN THATHERA
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जयपुर/ राजस्थान में कांग्रेस के सत्ता में आने और मुख्यमंत्री पद पर अशोक गहलोत की ताजपोशी के साथ ही गहलोत समर्थक और सचिन पायलट समर्थकों में सियासी युद्ध शुरू हो गया था यह युद्ध कुछ समय के लिए विराम होने के बाद 2020 के बाद लगातार जारी है जिसमें शब्दों के बाण व्यंग बाण और दोनों के समर्थकों द्वारा एक दूसरे के खिलाफ बयान बाजी का दौर चल रहा है ।

दोनों ही नेताओं के साथ साथ इनके समर्थक भी खुलेआम सार्वजनिक रूप से एक दूसरे के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से और कभी प्रत्यक्ष रूप से बयान बाजी कर रहे हैं और इसका नतीजा यह है कि कांग्रेसी के साढे 3 साल सत्ता में होने के बाद भी अभी तक कई नगर निगम और नगर विकास न्यास ओं में और संगठन में जिला अध्यक्ष की नियुक्तियां तक नहीं हुई है।

जबकि विधानसभा चुनाव को अब मात्र 14 महीने ही बचे हैं ऐसे में कांग्रेसमें राजस्थान में चल रही सत्ता और संगठन की लड़ाई के बीच आने वाले विधानसभा चुनाव में हर 5 साल में सत्ता बदलने के मिथक को तोड़ने का दावा करने वाले कांग्रेस के नेता कैसे इस दावे को पूरा कर पाएंगे ?

अब जब आगामी विधानसभा चुनाव को मात्र 14 माह बचे हैं तथा दूसरी ओर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर और कार्यकारी अध्यक्ष को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम जबरदस्त चर्चाओं में आने के बाद सचिन पायलट के समर्थक एक बार फिर से मुखर हो गए हैं कि अब प्रदेश में सचिन पायलट को प्रदेश की कमान सौंपी जाए।

लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा बार-बार मीडिया में और सार्वजनिक रूप से यह बयान देकर कि वह राजस्थान नहीं छोड़ेंगे संकेत दे रहे हैं कि मैं मुख्यमंत्री का पद छोड़कर केंद्र में नहीं जाएंगे ऐसे में सचिन पायलट का राजस्थान का कप्तान बनना एक बार फिर मुंगेरीलाल के सपने बंद कर रह सकता है ?

सचिन पायलट खेमे की जुलाई 2020 में हुई बगावत के बाद से उन्हें उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद से बर्खास्त कर देने के बाद से लेकर अब तक उनके पास पार्टी और संगठन में कोई पद नहीं है मात्र 1 विधायक हैं सुबह कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देकर सचिन समर्थक एक बार फिर लांबा दो कर उन्हें पद देने की मांग उठा रहे हैं और 6 सितंबर को सचिन पायलट के जन्मदिन पर जयपुर सहित प्रदेश भर में हुए कार्यक्रमों के जरिए यह शक्ति प्रदर्शन कर दिखाया कि अभी भी पायलट के पास दमखम है और उनका जलवा पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ साथ युवाओं और प्रदेश की जनता में बरकरार है।

कब-कब क्या-क्या हुआ घटनाक्रम जाने

अक्टूबर 2019 में शहरी निकाय चुनाव में गैर पार्षदों को भी मेहर नगर परिषद सभापति और नगर पालिका चेयरमैन बनाने के प्रावधान का सचिन पायलट ने खुलकर विरोध किया।

2020 के राज्यसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस विधायकों की बाड़ी बंदी की इस समिति सचिन पायलट ने कहा कि सब एकजुट है और कांग्रेस के उम्मीदवार आराम से जीतेंगे।

जुलाई 2020 में सचिन पायलट के महीने बगावत कर दी और 19 विधायकों को लेकर पायलट ने मानेसर में बाड़े बंदी कर दी

अगस्त 2020 में 34 दिन की बाड़ी बंदी के बाद सचिन पायलट के में से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की चूल्हा कमेटी के माध्यम से सुलह हुई।

जून 2021 में सचिन पायलट घुटने एक बार फिर सत्ता और संगठन में भागीदारी नहीं मिलने पर मुद्दा उठाया था।।

नवंबर 2021 मैं मंत्रिमंडल फेरबदल हुआ और फिर जनवरी में बोर्ड निगमों में राजनीतिक नियुक्तियां की गई 22 अगस्त 2022 को महंगाई हटाओ रैली की बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तंज कसते हुए कहा था कि जिन नेताओं को गलतफहमी है वह पार्टी से खुद को अलग करके देख ले सब कांग्रेस की वजह से ही है यह तंज सीधे सीधे तौर पर सचिन पायलट और उनके समर्थकों के लिए माना जा रहा था।

पिछले माही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिल्ली में कहा था कि प्रदेश के अंदर मेरा जादू परमानेंट में परमानेंट जादूगर हूं मेरा जादू अपने आप चलता रहता है मेरा जादू अलग तरह का जादू है वो जादू देख लीजिए आप ।

29 अगस्त 2022 को राजस्थान एससी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा ने सबसे पहले चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि पायलट को मानेसर से वादों के साथ वापस लाया गया था अभी भी जो हालत है उसमें पायलट को सीएम बनाना चाहिए सब की यही भावना है मैं भी उसी भावना की बात कर रहा हूं।

31 अगस्त 2022 को चाकसू के विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा अब तो उनके लोग भी बोलने लगे हैं धीरे-धीरे चुनाव नजदीक आएंगे तो सब बोलने लग जाएंगे मैं कोई पार्टी के साथ नहीं हूं मैं बार बार कह चुका हूं मैं तो सचिन पायलट के साथ हूं।

5 सितंबर 2022 खिलाड़ी लाल बैरवा और वेद प्रकाश सोलंकी दोनों ने पायलट के सामने पायलट को सीएम फेस बनाने की पैरवी की कहां था जो लोग चाहते हैं वह होकर रहता है आज नहीं तो कल होकर रहेगा लेकिन जो होने वाला है वह कल नहीं सकता।

6 दिसंबर 2022 सचिन पायलट के जन्मदिन से 1 दिन पूर्व सियासी शक्ति प्रदर्शन में दोनों खेमे के कई विधायक शामिल हुए 22 विधायक पायलट को बधाई देने पहुंचे थे इनमें आठ विधायक तो ऐसे थे जो सियासी संकट में कोई बड़े बंदी में गहलोत के साथ थे ।

ऐसे हालात में अगले साल 2023 में 14 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेश सत्ता में एक बार फिर कैसे रिपीट हो सकती है ? कांग्रेश के आलाकमान नेताओं को बहुत गंभीरता से अब विचार करते हुए प्रदेश में दोनों ही नेताओं और उनके समर्थकों के बीच चल रहे इस खींचातानी ता मतभेद को दूर करना होगा अगर यह स्थिति यही रही तो प्रदेश में हर 5 साल में सत्ता परिवर्तन का दौर इस बार भी 2023 के विधानसभा चुनाव में दौहराने से कोई नही रोक सकता ।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम