
भीलवाड़ा/ आजकल के दौर में बदलते जीवन के परिवेश उज्जीवन की भागदौड़ इंटरनेट मोबाइल कंप्यूटर के कारण आमजन किसा विज्ञान के अनुसार निर्धारित नींद नहीं ले पाता है और इस नींद के अभाव में धीरे-धीरे वह असाध्य रोगों की ओर बढ़ता चला जाता है।
इसके अलावा मौसम के बदलने पर भी हमारे नींद लेने की प्रक्रिया पर फर्क पड़ता है और हर मौसम के अनुसार नींद की प्रक्रिया को बदलना चाहिए।
क्योंकि मौसम के साथ हमारी एनर्जी लेवल भी बदलता है दिसंबर 2022 में मेडिकल न्यूज़ 20 साल के चार मौसम के इंसान की नींद के तरीके का अध्ययन किया था ।।तो आइए जानते है कम नींद लेने और मौसम के अनुसार नींद लेने के तरीको पर विस्तार से जानते है ।
अध्ययन से पता चला कि गर्मियों में मेलाटोनिन अर्थात नींद लाने वाला हार्मोन सर्दियों के मुकाबले शीघ्र रिलीज होता है अर्थात गर्मियों में आप देर से सोना और जल्दी उठना पसंद करेंगे ।
ऐसा ज्यादा रोशनी के कारण होता है अर्थात हमारा शरीर से अर्जेंट तुलना में गर्मी में जल्दी थक जाता है बदलते मौसम के अनुसार शरीर अपने नेचुरल रिस्पांस को एडजस्ट करता है सर्दियों को महीने में रहते अधिक ठंडे और अंधेरी होती है।
सनलाइट की कमी से विटामिन डी लेवल में भी कमी आ जाती है यह विटामिन सोने और जागने के समय और मेटा टोनी हार्मोन का शरीर में स्थित ठीक बनाए रखने के लिए मेट्रो है इसकी कमी से थकावट हो सकती है ।
लेकिन यह बुरी खबर नहीं है क्योंकि वातावरण के तापमान का नींद की प्रक्रिया पर भी असर पड़ता सर्दी में ठंडी हवा आपको बेहतर नहीं लेने में मदद करती है।
इस सर्वे के अनुसार चार मौसमों की तरह ही नींद के भी चार चरण होते है हर चरण में नींद का अनुभव अलग होता है और हरचरण पर हमारी बॉडी पर इसका अलग-अलग प्रभाव पड़ता है लेकिन हर चरण में नींद गहरी और अच्छी होना अहम है ।
नींद के चार चरण पहला तरह जागते से सोने की हालत में प्रवेश करते हैं दूसरे चरण में आप हल्की नींद में प्रवेश करते हैं तीसरे चरण में आप गहरी नींद में होते हैं और चौथे व अंतिम चरण में जब आप मिलते जुलते नहीं और सपने देखते हैं।
चिकित्सकों के अनुसार गहरी नींद कई मायनों में हितकारी है इससे याददाश्त अच्छी होती है और भावनाओं पर काबू पाने में मदद मिलती है नींद की कमी के कारण दिल की बीमारियां वजन बढ़ाना डायबिटीज का खतरा हार्मोन असंतुलन यूनिटी में कमी मानसिक बीमारियां जैसे रोग होने की अधिकांश संभावनाएं होती है।
लोग अपने काम को लेकर इतने व्यस्त हो गए हैं कि वह अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते यहां तक कि लोगों को नींद पूरी करने का मौका मिले तो भी वह जबरन जागते रहते हैं अर्थात नींद को जबरन डालते रहते हैं ।
यूएस नेशनल स्लिप फाउंडेशन के सर्वे में यह बताया गया कि दिन भर काफी काम करके थक जाने के बाद भी लोग मस्ती के लिए देर रात तक जागते रहते हैं भारतीय युवाओं में भी देर रात तक जागने का प्रचलन बढ़ा है और वे बेवजह 24:00 तक जागते रहते हैं।
इसका नतीजा यह हुआ कि हम भारत दुनिया में दूसरा स्लिप डिप्राइव्ड देश बन गया है । सन 2018-19 के दौरान फिटबिट के सर्वे के अनुसार जापान दुनिया का सबसे कम सोने वाला देश है।