भरतपुर / राजेंद्र शर्मा जती । भरतपुर सेवर थाना क्षेत्र में बग्धारी गांव के पास वेश्यावृत्ति (prostitution) को बंद कराने को लेकर करीब 10 गांव की हुई पंचायत, वेश्यावृत्ति कराने वाले लोगों का गांव से संपर्क खत्म किया, दूध पानी सभी चीजें कर देंगे बंद ग्रामीण।
वेश्यावृत्ति के लिए आने वाले लोगों को पकड़कर ग्रामीणों ने लगवाई दंड बैठक कान पकड़कर और उसके बाद उन्हें हिदायत देकर छोड़ा
भरतपुर शहर के सेवर थाना क्षेत्र अंतर्गत गांव बग्धारी के पास वेश्यावृत्ति को जड़ से उखाड़ने की लिए क्षेत्र की बड़ी पंचायत का आयोजन किया गया पंचायत में आसपास के गांव सुखावली पार महुआ बगधारी सेवर कुम्हा धर्मपुरा वमनपुरा हबीपुर की सरदारी ने भाग लिया।
पंचायत में तय किया गया है 6 मार्च को महापंचायत का आयोजन किया जाएगा । आसपास के गांव के लोग बुलाए जाएंगे इनकी संख्या 1000 तक हो सकती है।
जन प्रतिनिधि और मौजूदा सरपंच पंच तभी निर्णय लेंगे आगे की रणनीति क्या हो। पंचायत की अध्यक्षता पार सरपंच बदन सिंह ने की संचालन नीरज चौधरी सेवर ने किया।
बैठक में राधारमण सुखावली कुंवर सिंह ततामड धम्मू महुआ रुपेंद्र लुलहरा महावीर सिंह पार जगत सिंह गोपाल सिंह पूर्व सरपंच विश्वेंद्र हबीपुर इंद्रभान सिंह सत्येंद्र और सुभाष दाऊ दयाल सत्येंद्र सिंह महेंद्र सैया सुख सिंह दशरथ प्रधान लाल सिंह सेवर महावीर पार आदि ने पंचायत को संबोधित किया।
कुंवर सिंह ततामड ने संबोधित करते हुए कहा कि गांव वागदारी निवासी लोग जो वेश्यावृत्ति में लिप्त हैं उनसे संबंध खत्म करेंगे ना उनको पानी ना दूध ना कोई आना आना जाना रहेगा यदि ऐसा कोई गांव का व्यक्ति पाया गया तो उसको भी समाज से दंडित किया जाएगा।
रूपेंद्र लुलहारा ने कहां ग्रामवासियों की बहन बेटी की शादी करने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है कोई भी इस गांव से संबंध नहीं रखना चाहता।
राघवेंद्र महुआ ने कहा कि गांव-गांव टीम गठित की जाएंगी जिससे 6 मार्च को होने वाली महापंचायत मैं सभी गांव वाली या तो हाईवे जाम कर सकते हैं या इसके अलावा कोई और निर्णय ले सकते हैं इसके बाद आज की पंचायत खत्म की गई।
बग्धारी गांव के पास बसी बेड़िया बस्ती की महिलाओं ने बोला कि सो रुपए बिघा जमीन बिकती थी तब से बसे हुए हैं हम लोग यहां पर अब धंधा ही बंद हो जाएगा तो हम क्या करेंगे।
इनकी भी सुनो
अब हम बात करते हैं बग्धारी गांव के पास बसी बेड़िया बस्ती की महिलाओं की जिसमें कविता नामक महिला ने बताया कि वह यहां पर तब से बसे हैं जब ₹100 बीघा जमीन बेची जाती थी और हमने भी ₹100 बीघा जमीन खरीदी थी।
उन्होंने कहा कि 4 पीढ़ी से अधिक हो चुकी हैं तब हम गांव में बसे थे लेकिन कुछ लोगों ने हमारी जमीन छीन ली उसके बाद गांव से बाहर निकल कर खेतों में हमने अपनी झोपड़ियां बनाकर रहने लगे ।
कविता का कहना है कि हम लोग यह धंधा पीढ़ियों से करते चले आ रहे हैं राजा महाराजाओं के जमाने से लेकिन अब हम क्या करें सरकार प्रशासन हमारे लिए धंधे की व्यवस्था करें। हमारी बस्ती में पानी की पाइप लाइन नहीं है सरकार की तरफ से कोई सुविधा नहीं मिलती।
अब ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए हमारे यहां जो कि हम ₹500 का पानी का टैंकर खरीद कर पीते थे उस पानी को भी यह लोग बंद करने जा रहे हैं।
और दूध वाले पर भी यह लोग प्रेशर बना रहे हैं। हमारा धंधा चौपट हो चुका है हम खाने के लिए आगे चलकर मोहताज हो जाएंगे हमारे बच्चों का भविष्य खतरे में है ।
बच्चे स्कूल जाते हैं तो उनको नीची जाति का कहकर दुत्कार जाता है वाही की पूजा सिंह का कहना है कि हमारे बच्चों को ना तो शिक्षा मिल पा रही है ना नौकरी मिल पा रही है।
जिसके कारण मजबूरी में यह काम करना पड़ रहा है समाज में जब हमारे बच्चे ही नहीं पढ़ पाएंगे तो कोई काम धंधा नहीं करने देंगे तो हम खाएंगे क्या। पूजा का कहना है कि हाईकोर्ट के निर्देश हैं कि हमें पुनर्वास की व्यवस्था की जाए इस पुनर्वास में हमारे रोजगार की भी व्यवस्था की जाए हमारे बच्चों की पढ़ाई लिखाई की भी व्यवस्था की जाए लेकिन प्रशासन की तरफ से ऐसा कोई भी काम नहीं किया जा रहा है।
ऊपर से ग्रामीण हम को परेशान कर रहे हैं ।वहीं विमला का भी कहना है कि अब कोई रोजगार कि जब व्यवस्था नहीं होगी तो हम क्या खाएंगे क्या करेंगे यह ग्रामीण अब हमारा रोजगार बंद करने के बाद पीने के पानी को टैंकर कभी नहीं आने देंगे दूध भी बंद कर देंगे तो हम कैसे जिएंगे।