Tonk News । होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल की प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा को भद्रा रहित प्रदोष काल में किया जाना शास्त्र सम्मत है, इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा प्रदोष व्यापिनी 9 मार्च सोमवार को सूर्योदय से पूर्व 3.4 बजे से शुरू हो कर रात्रि 11.18 बजे तक है, इस दिन भदरा दोपहर बाद 1.11 बजे तक है जो पृथ्वी लोक की अशुभ है सायकाल पूर्णिमा भदरा से मुक्त है। अत: होलिका दहन 9 मार्च सोमवार को गोधुलि बेला में सूर्यास्त बाद 6.28 बजे से 6.40 बजे तक किया जाना शुभ है ।
मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान टोक के निदेशक बाबूलाल शास्त्री ने बताया किए होलिका दहन 9 मार्च सोमवार को सांयकाल गोधुलि बेला में 6.28 से 6.40 तक शुभ है। चंद्रमा इस अवधि में पुरवा फाल्गुनी नक्षत्र स्वामी शुक्र राशि सिंह सवामी सूर्य में विचरण करेंगे जो ध्वज योग बना रहे हैं जो यश कीर्ति मान सम्मान देने वाला एवं विजय प्राप्त कराने वाला है, चंद्रमा पर देव गुरु बृहस्पति की नवम दृष्टि होने से गज केसरी योग सूर्य के साथ बुध होने से बुध आदित्य योग बन रहा है, जिनके प्रभाव से सभी शुभ कार्य कष्टों का निवारण होगा तथा दुश्मन पराजित होगें।
होलिका दहन पर करें ये 5 उपाय
बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि होलिका दहन करने या फिर उसके दर्शन मात्र से भी व्यक्ति को शनि-राहु-केतु के साथ नजर दोष से मुक्ति मिलती है। होली की भस्म का टीका लगाने से नजर दोष तथा प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है। अगर आप अपनी कोई मनोकामना पूरी करना चाहते हैं तो जलती होली में 3 गोमती चक्र हाथ में लेकर अपनी इच्छा को 21 बार मन में बोलकर तीनों गोमती चक्र को अग्नि में डालकर अग्नि को प्रणाम करके वापस आ जाएं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि कोई व्यक्ति घर में भस्म चांदी की डिब्बी में रखता है तो उसकी कई बाधाएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं । मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान टोंक के निदेशक बाबूलाल शास्त्री ने बताया किए। अपने कार्यों में आने वाली बाधा को दूर करने के लिए आटे का चौमुखा दीपक सरसों के तेल से भरकर उसमें कुछ दाने काले तिल, एक पतासा, सिन्दूर और एक तांबे का सिक्का डालकर उसे होली की अग्नि से जलाएं। अब इस दीपक को घर के पीडि़त व्यक्ति के सिर से उतारकर किसी सुनसान चौराहे पर रखकर बगैर पीछे मुड़े वापस आकर अपने हाथ-पैर धोकर घर में प्रवेश कर लें।