जयपुर
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिक शिक्षा एवं संस्कार बोर्ड की स्थापना की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि पैसा बहुत लोग कमाते हैं लेकिन अपनी गाढ़ी कमाई को सामाजिक कार्यों तथा जनहित में लगा देना बड़े पुण्य का काम है। हमारी संस्कृति, संस्कार तथा परम्पराओं से दान की प्रेरणा मिलती है। भावी पीढ़ी भी इन गौरवशाली परम्पराओं को आत्मसात करे, इसके लिए वैदिक शिक्षा एवं संस्कार बोर्ड की स्थापना करेगी। गहलोत ने यह घोषणा शुक्रवार को बिडला सभागार में आयोजित 25वें राज्य स्तरीय भामाशाह सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए की। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में आर्थिक सहयोग देने वाले भामाशाहों का सम्मान किया।
इतिहास से नहीं हो छेड़छाड़
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में सरकारें आती-जाती रहती हैं, लेकिन इतिहास से छेड़छाड़ और शिक्षा में राजनीति नहीं होनी चाहिए। सरकार की अच्छी साख और सेवाभाव में विश्वास के कारण ही भामाशाहों ने शिक्षा के लिए बढ़-चढ़ कर आर्थिक सहयोग दिया है। आगे भी इस विश्वास पर हम खरे उतरेंगे।
सीएसआर एक ऐतिहासिक फैसला
गहलोत ने कहा कि यूपीए सरकार के समय उद्योगों को अपनी आय का एक हिस्सा सीएसआर गतिविधियों के लिए देना अनिवार्य किया गया था। यह एक ऐतिहासिक फैसला साबित हुआ जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य सामाजिक क्षेत्रों में उनकी भागीदारी तय हुई और आमजन को इसका लाभ मिल रहा है। इस अवसर पर उन्होंने भामाशाहों तथा उन्हें प्रेरित करने वाले प्रेरकों की जानकारी से संबंधित पुस्तिका प्रशस्तियां का विमोचन भी किया।
शिक्षा राज्यमंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि सरकार शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाएंगी। उन्होंने भामाशाहों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने जिस पुनीत कार्य के लिए आर्थिक सहयोग किया है उस पर शिक्षा विभाग को गर्व है। इस अवसर पर उच्च शिक्षा राज्यमंत्री भंवरसिंह भाटी, संस्कृत शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष गर्ग, प्रमुख शासन सचिव स्कूल शिक्षा आर. वेंकटेश्वरन सहित शिक्षाविद एवं भामाशाह उपस्थित थे।