राज्य में ओवररेट को लेकर शराब की दुकानों पर मारे गए छापों के मामलों में संबंधित आबकारी निरीक्षकों पर गाज गिरना तय है। इस मामले में 14 निरीक्षकों पर सख्त कार्रवाई करते हुए 16 सीसी के तहत आरोप पत्र थमा दिए गए हैं। अब इन्हें निलंबित करने पर विचार किया जा रहा है, ऐसा नहीं होने पर इनको फील्ड पोस्टिंग से हटाया जाना तय है। चूंकि मामला सीएमओ से जुड़ा हुआ है, ऐसे में वित्त विभाग कोई नरमी बरतने के मूड में नहीं है।
इस मामले में जो निरीक्षक फंसे हैं,उनमें महेन्द्र गुप्ता, भानुमति,कृणिका मेहता, हरीश शर्मा, मीनाक्षी चौहान,संजय अखावत, कमलेश विश्नोई, अजय जैन, दिनेश गहलोत, पोकरलाल, श्वेता यादव, तरुण अरोडा, विवेक शर्मा और मदनलाल गुर्जर शामिल हैं। बताया जाता है कि आरंभिक तौर पर इन निरीक्षकों से शराब विक्रेताओं से मिलीभगत सामने आ चुकी है।
अभियान के बाद वित्त विभाग ने हालांकि यह कहा है कि इस मामले में जिला आबकारी अधिकारी या इससे बड़े अफसरों पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। पर भविष्य में ऐसा हुआ तो इन पर भी गाज गिरेगी, लेकिन सूत्रों का कहना है कि सीएमओ तक यह जानकारी पहुंच चुकी है कि ओवररेट को लेकर निरीक्षकों की कई बार शिकायत संबंधित जिला आबकारी अधिकारी को की गई। पर छोटी-मोटी कार्रवाई कर खानापूर्ति कर दी गई।
यही वजह है कि कुछ दिनों में जिला आबकारी अधिकारियों पर भी शिकंजा कसा जाएगा। यही वजह है कि इस कार्रवाई में आबकारी विभाग न तो शामिल किया गया न ही जानकारी दी गई। वित्त सचिव ने तो यहां तक कह दिया कि आबकारी विभाग को जानकारी देते तो योजना लीक हो सकती थी। इससे साफ है कि आबकारी अफसरों की शह पर ही सारा गोरखधंधा चल रहा था।
संयुक्त अभियान में 170 दुकानों को दोषी पाया गया है। ऐेसे में इनसे जुर्माना भी वसूला जाएगा। नए आबकारी नियम के अनुसार पहली गलती पर 25 हजार रुपए जुर्माना देय है, जबकि दूसरी पर 50 हजार और तीसरी पर 75 हजार जुर्माना देना पड़ता है। ऐसे में न्यूनतम जुर्माना भी लगा, तो सरकार को कम से कम 50 लाख रुपए मिलना तय है।
इस कार्रवाई के बाद जयपुर के शराब विक्रेताओं ने 25 अगस्त को न्यू सांगानेर रोड स्थित एक गार्डन में बैठक बुलाई है। इसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। इसी तरह उदयपुर के विक्रेताओं ने आबकारी आयुक्त को पत्र लिख कर अपनी समस्याओं के निराकरण का आग्रह करते हुए दुकानों का समय बढ़ाने की मांग की है।