जयपुर/ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रहे राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई अब समापन की ओर जाती हुई दिखाई दे रही है।
पहली बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के साथ सुलह होने की बात कई है और साथ ही मुख्यमंत्री ने उनके और पायलट के बीच के विवाद का ठीकरा मीडिया पर फोड़ते हुए कहा कि यह विवाद मीडिया का बनाया हुआ है उन दोनों के बीच तो हमेशा से ही सुलह रही है और वह दोनो अच्छे साथी है ।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच साढे 4 साल से चल रहा राजनीतिक वर्चस्व का टकराव अब केंद्रीय आलाकमान के दखल के बाद सुलह के नजदीक पहुंच गया है पिछले दिनों दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़के राहुल गांधी केसी वेणुगोपाल राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ मुख्यमंत्री गहलोत और सचिन पायलट के साथ बैठकर हुई चर्चाएं और अलग-अलग कोई बातचीत के बाद भी राजस्थान लौटने पर दोनों ही और से वाक युद्ध जारी था ।
लेकिन पहली बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक साक्षात्कार में कहा कि उनके और पायलट के बीच सुलह तो स्थाई है और उनके व पायलट के बीच विवाद को केवल मीडिया हवा दे रहा है।
राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने हमें बिठाकर बात करा दी है। सभी को प्यार-मोहब्बत से समझा दिया है। सवाल व्यक्तिगत नहीं, देश का है। आज कांग्रेस देश की जरूरत है।’
सीएम गहलोत ने मानेसर मामले को लेकर कहा- ‘मैंने सबको माफ कर ञदिया। जैसलमेर में होटल से निकलते ही मैंने कहा था कि भूल जाओ, आगे बढ़ो।’ सीएम ने बताया कि वे पायलट को ढाई साल की उम्र से जानते हैं। यह बात उन्हें खुद पायलट ने दिल्ली में हुई सुलह बैठक के दौरान बताई ।
पायलट की मांग पर गहलोत ने कहा की आरपीएससी कमेटी संवैधानिक, भंग नहीं कर सकते । सीएम गहलोत से पूछा गया था कि पेपर लीक को लेकर पायलट आरपीएससी की पूरी कमेटी को भंग करने की मांग कर रहे हैं। इस पर सीएम ने कहा- वे हमारी पार्टी के सदस्य हैं, इसलिए उनकी बात का ज्यादा वजन हो जाता है।
उनकी मांग के बाद हमने पता किया था लेकिन ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि आरपीएससी कमेटी को हम भंग कर दें। यह संवैधानिक मामला है।
गहलोत ने 25 सितंबर 2022 को समानांतर बैठक के मामले में कहा की तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से दिया गया प्रस्ताव पारित नहीं होना, मेरे लिए कल्पना से बाहर की बात थी। मैंने तब तनोट माता मंदिर में दर्शन के बाद मीडिया से कहा भी था कि दो लाइन का प्रस्ताव पास होना है। हम सारा फैसला सोनिया गांधी पर छोड़ते हैं।
जब हम जयपुर पहुंचे तो मालूम पड़ा कि धारीवाल जी के घर विधायक इकट्ठा हुए हैं। परसेप्शन(वातावरण)बना कि मैं यह क्यों करवा रहा हूं। जबकि हमें मालूम नहीं था। मैं कहना चाहता हूं कि राजस्थान की कांग्रेस हमेशा हाईकमान के साथ रही है। मैं उस परिवार के लिए कुछ भी कर सकता हूं। कैसी भी स्थिति भी आ जाए, इस परिवार के लिए तो मैं कुछ भी करने को तैयार हूं।
अब सवाल यह उठता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधायक दल के नेता है और तत्कालीन आलाकमान सोनिया गांधी के निर्देश पर विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी चौकी गहलोत विधायक दल के नेता होने के नाते उनकी जिम्मेदारी थी।
विधायक दल की बैठक बुलाना क्या यह संभव है गहलोत की जानकारी के बिना उनके मंत्रिमंडल के कैबिनेट मंत्री शांतिलाल धारीवाल अपने आवास पर एक समानांतर बैठक विधायकों की बुला सकते हैं ? क्या इतना साहस धारीवाल जी कर सकते ?