जयपुर/ राजस्थान में इस बार जब से कांग्रेस सत्ता में आई है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सत्ता संभाली है तब से लेकर आज तक लगातार एक के बाद एक बड़े संकटों का सामना करना पड़ रहा है पार्टी अंदरूनी की चौपाल अभी समाप्त ही नहीं हुई है तो वहीं दूसरी ओर आमजन से जुड़ी परेशानियों का संकट खड़ा हो गया है।
मुख्यमंत्री गहलोत एक और जहां पार्टी के अंदरूनी क्लेश से दो-दो हाथ हो रहे हैं और अब इसी के साथ साथ हमको इन संघर्षों से भी दो दो हाथ होना पड़ेगा लेकिन राजनीति में और कांग्रेसमें माना जाता है कि गहलोत संकट मोचन के तौर पर जाने जाते हैं और संभावनाएं व संकटों से पार पा लेंगे ।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही जुबानी जंग और उनके समर्थकों के बीच भी चल रही बयान बाजी हो जुबानी जंग जगजाहिर है इस पर क्या समझी जमकर हो रही है तो वहीं दूसरी ओर कुछ संकट परेशानियां प्रदेश की जनता से जुड़ी हुई है।
जिनके लिए राज्य सरकार सीधे तौर पर और कुछ संकटों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं है लेकिन सभी संकटों से निजात दिलाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और इन सभी के चलते विपक्ष भाजपा सरकार को घेरने में लगी है और लगातार हमला कर रही है। गहलोत सरकार कई मामलों को भाजपा और केंद्र सरकार के पाले में डालने की कोशिश कर रही है ।
गहलोत सरकार पर अब आए यह और सकंट
कोयले की कमी से खड़ा हुआ बिजली संकट सरकार के सामने बड़ी चुनौती है।
– बिजली कटौती शुरू होने से जनता में रोष पनप रहा है ।
– भीषण गर्मी में कई जगहों पर पेयजल का संकट भी खड़ा हो रहा है।
– पानी की किल्लत होने से जगह-जगह प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं।
– पशुओं के लिए चारे का बंदोबस्त करना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है ।
– अपराध और कानून व्यवस्था के मुद्दों को लेकर भी सरकार को घेरा जा रहा है।
– जगह-जगह हुई अपराध की बड़ी घटनाओं सरकार की चिंता बढ़ी हुई है।
– करौली के बाद अलवर में हुई घटना ने भी सरकार की परेशानी बढ़ा दी है।
– जगह-जगह साम्प्रदायिक तनाव और बढ़ता जातिगत वैमनस्य भी सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
– प्रदेश में सामने आ रहे भ्रष्टाचार के बड़े मामलों से भी सरकार की चिंतित है ।