सोनिया की ताजपोशी से गहलोत हुए मजबूत, पायलट की राह कठिन

कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर सोनिया गांधी की एक बार फिर ताजपोशी से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मजबूती मिल रही है वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के लिए आगे की राह कठिन हो गई है

Chief Minister Ashok Gehlot will meet Sonia in Delhi today, discussion will be held on the suggestion of Chintan Shivir and PK

जयपुर

कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर सोनिया गांधी की एक बार फिर ताजपोशी से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मजबूती मिल रही है वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के लिए आगे की राह कठिन हो गई है मुख्यमंत्री गहलोत सोनिया गांधी के विश्वस्त सहयोगियों में प्रमुख है और उनके राजनीतिक सलाहकार माने जाते हैं गहलोत के  राजनीतिक कौशल को देखते हुए ही पिछली बार तमाम अड़चनों के बाद भी सोनिया गांधी ने पूरे 5 साल गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए रखा था।

 आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पद से इस्तीफा दे दिया और और यह पद किसी अन्य को देने की इच्छा जताई थी। इसके बाद करीब ढाई महीने तक चले राजनीतिक घटनाक्रम और उठापटक के बाद कल हुई कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी बैठक में सभी बड़े नेताओं ने करीब 10 घंटे तक गहन मंथन के बाद निर्णय किया कि जब तक राहुल गांधी दोबारा यह पद नहीं संभालते तब तक सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बना दिया जाए।

सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष पढ़ने से अशोक गहलोत के गुट को मजबूती मिली है । वहीं सचिन पायलट का गुट चारों खाने चित हो गया है। सचिन पायलट राहुल गांधी के मित्र और करीबी होने के साथ ही उनकी गुड बुक में भी है लेकिन लोकसभा चुनाव में हार के बाद वे पायलट से भी खफा है। हालांकि राहुल गांधी ने अशोक गहलोत से भी नाराजगी जताई है, और उन्हें हार की जिम्मेदारी लेने के लिए कहा था। लेकिन प्रदेश में किसी भी नेता ने हार की जिम्मेदारी नहीं ली ऐसे में राहुल गांधी राजस्थान के नेताओं से नाराज हैं ।

उन्होंने सोनिया गांधी को भी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के लिए मना किया था परंतु कांग्रेस के अन्य नेताओं ने पार्टी की स्थिति को देखते हुए सोनिया गांधी को ही एक बार फिर संगठन की कमान सौंपने का निर्णय किया। ऐसा इसलिए कि देश में मोदी सरकार की बढ़ती लोकप्रियता के कारण लगातार कांग्रेस की साख पर सवाल उठ रहे हैं। इन हालात में अगर गांधी परिवार से बाहर के किसी व्यक्ति को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाए तो कांग्रेस टूटने के कगार पर पहुंच सकती है।