फरवरी बाद पं.जि. सदस्य चुनाव?

liyaquat Ali
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Bhilwara news (भूपेन्द्र औझा)-अब साफ हो गया है कि, पंचायत समिति-जिला परिषद सदस्य चुनाव फरवरी माह बाद होगे।चुनाव आयोग ने बीते दिन शुक्रवार पंचायत राज महकमे को खरे शब्दों में पत्र लिख बता दिया है कि वह, बकाया पंचायत पद चुनाव नियमानुसार चुनाव प्रक्रिया के तीन महीने पहले मुक्कमल नही करा सकते है। हम भी पीछे चार दिन से नई पंचायत गठन अनुसार चुनाव कराने पर चुनाव आयोग को नियमानुसार नई मतदाताओं की सूची तैयार करने के बाद चुनाव कराने मे करिब दो माह से अधिक का समय लगेगा। तब तक मौजूदा पंचायत राज के सभी पदों का निर्वाचीत समय कब का पुरा हो जायेगा ।


शुक्रवार को ही, सूप्रीम कोर्ट ने नारायण सिंह की याचिका सुनवाई पर साफ कह दिया कि, पंचायतो के गठन का राज्य सरकार को अधिकार है और राजस्थान सरकार के पंचायत पूनर्गठन नोटिफिकेशन जारी पर रोक नहीं लगा सकती।इससे यह भी साफ संकेत मिल गया कि, सूप्रीम कोर्ट राज्य सरकार के पंचायत गठन नोटिफिकेशन जारी को सही मानतीं है।इससें राजस्थान सरकार परअब अगली सुनवाई 24फरवरी या पहले सुनवाई के फाईन आदेश की बिना इंतजार किये प्रदेश में9 नई पंचायत समिति, 204ग्राम पंचायत गठन अनुसार पंचायत राज के सभी पदों आरक्षण लाटरी निकाल शीध्र चुनाव प्रक्रिया शुरू कराने का दबाव है।


उपमुख्यमंत्री एवम पंचायत राज मंत्री “सचिव पायलेट की कथनी और पंचायत राज महकमे की करनी “मे साफ अन्तर झलक रहा है। मंत्री पायलेट ने14जनवरी मकर संक्रांति को पत्र लिख पंचायत राज विभाग कोनई पंचायत समिति ओर ग्राम पंचायत गठनानुसार सात दिन में वर्गआरक्षण लाटरी निकालने ओर चुनाव आयोग शीध्र 7फरवरी तक सभी पंचायत पदों के चुनाव पूर्ण कराने के निर्देश दिये थे।मंत्री पायलेट ने ,बकायदा अपना लिखा यह पत्र सार्वजनिक भी कर चुके।पर पंचायत राज आयुक्त कार्यालय ने अभी तक फिर लाटरी निकालने की तारीख तय कर, जिला निर्वाचन अधिकारी को निर्देश नही जारी किये है।


पंचायत राज महकमा ”लीगल ओपिनियन” सूप्रीम कोर्ट के फाईन आदेश तक प्रतिक्षा करने का बहाना बना , फिर पदो की आरक्षण लाटरी निकालनेओर राज्य चुनाव आयोग को प्रदेश की सभी नई ग्राम पंचायत सूची मुहय्या कराने से किनारा कर रहा। जिससे चालू पंचायत चुनाव प्रक्रिया के बीच प्रदेश की तकरीबन आधी 4366ग्राम पंचायत पंच-सरपंच चुनाव रूक अधरझूल मे पडे है।
राजनैतिक हल्के मे इसे सरकार के चोर दरवाजे से पंचायत राज पदो पर निर्वाचीत जनप्रतिनिधियों के बदले सरकारी प्रशासक लगाने की कवायद माना जारहा है।

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