शिक्षा विभाग-एक 1 लाख का था इनाम,डेढ माह से जेल में फिर भी निदेशालय ने पदोन्नत कर बना दिया प्रिंसिपल,अब लिया….

Dr. CHETAN THATHERA
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जयपुर/ शिक्षा विभाग में अंधेर कर दी चौपट राजा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है विभाग के जिस व्यक्ति ने प्रदेश के लाखों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया और उस पर पर सरकार ने गिरफ्तारी के लिए 10000000 रुपए का इनाम रखा था ।

और वर्तमान में वे पिछले करीब डेढ़ माह से सलाखों के पीछे बंद है और विभाग ने उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया है लेकिन आश्चर्य किंतु सत्य है कि शिक्षा निदेशालय ने निदेशालय ने इसे पदोन्नत कर प्रिंसिपल बना पद स्थापन तक कर दिया ।

वरिष्ठ शिक्षक भर्ती प्रतियोगी परीक्षा का 10000000 रुपए में पेपर बेचने वाला मास्टरमाइंड वाइस प्रिंसिपल अनिल मीणा उर्फ शेर सिंह मीणा को शिक्षा निदेशालय ने 30 मार्च को वाइस प्रिंसिपल से प्रिंसिपल के लिए कोई पदोन्नति चयन प्रक्रिया में चयन करते हुए उसे प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नत कर काउंसलिंग के बाद पद स्थापन तक कर दिया है ।

अनिल मीणा उर्फ शेर सिंह मीणा सिरोही जिले के बावरी स्थित महात्मा गांधी सरकारी स्कूल में वाइस प्रिंसिपल के पद पर तैनात था तब उसे वरिष्ठ शिक्षक भर्ती प्रतियोगी परीक्षा का पेपर एक करोड़ को बेचने के मामले में फरार होने पर सरकार और पुलिस विभाग ने अनिल मीणा पर ₹100000 का इनाम रखा था।

और 2 माह पहले ही पुलिस एसओजी ने और पुलिस ने से ओडिशा से गिरफ्तार किया था और तब से ही वह जेल में बंद है और उसके बाद हुई पदोन्नति प्रक्रिया में अनिल मीणा को पदोन्नति देते हुए 26 मई को शिक्षा निदेशालय से निदेशक गौरव अग्रवाल के हस्ताक्षर थे पदस्थापन की सूची जारी हुई।

जिसमें अनिल मीणा का 46 लेकर मांग पर नामों कर उसका वरिष्ठता कर्मा 116 नौकर उसे प्रिंसिपल के रूप में राजकीय बालिका सीनियर सेकेंडरी स्कूल धारासर बाड़मेर में नियुक्ति दी गई है ।

कार्मिक की डीपीसी से प्रमोशन एक विभागीय प्रक्रिया के तहत होता है डीपीसी के लिए जो सूची बनाई जाती है यह जन्मतिथि अनुभव कैटेगरी पोस्ट के हिसाब से होती है पुलिस की अंतिम सूची निदेशालय के पास जाती है ।

अंतिम आदेश से पहले निदेशालय द्वारा इसे चेक किया जाता है जिसमें अगर किसी कार्मिक के खिलाफ विभागीय जांच 16 सीसी में चार्ज सीट 17 सीसी में चार्ज शीट नाम गलत जुड़ना बर्खास्तगी निलंबन आदि के बारे में अनुभाग चेक करता है।

और निदेशक उसे अंतिम रूप देता है इतनी प्रक्रिया से गुजरने के बाद भी भर्ती परीक्षा का पेपर बेचने वाले मास्टरमाइंड अनिल मीणा और शेर सिंह मीणा कैसे डीपीसी में चला गया ? कैसे उसे पदोन्नति मिल गई ?

और यहां तक कि उसे पदस्थापन तक भी मिल गया ? इस प्रक्रिया में इस पद स्थापन और पदोन्नति की प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं और अधिकारियों व कार्मिकों को कटघरे में ला दिया है यही नहीं इस घटनाक्रम से सरकार की और शिक्षा मंत्री की छवि भी खराब हुई है ।

बैकफुट पर आया निदेशालय

मामला समाचार पत्रों में आने और उजागर होने पर निदेशालय और शिक्षा निदेशक माध्यमिक गौरव अग्रवाल बैकफुट पर आए और 28 मई को एक आदेश जारी कर इस गलती को सुधारते हुए अनिल मीणा की पदोन्नति और पदस्थापन के आदेश को प्रत्याहारित किया अर्थात वापस ले लिया ।

सवाल उनका क्या कसूर

निदेशालय ने गलती मान कर यह आदेश तो वापस ले लिया लेकिन अब सवाल यह खड़ा हो गया है विशेषज्ञों के अनुसार की अनिल मीणा को पदोन्नति की सूची में अगर पहले ही हटा दिया जाता तो किसी और को पदोन्नति मिलती और पदोन्नति का व रीता व क्रमांक भी बदल जाता तथा काउंसलिंग में भी इसका असर आता लेकिन गलती के कारण कितनों को नुकसान हो और कितने वंचित हुए इन सब के लिए आखिर कौन अधिकारी या कार्मिक है जिम्मेदार।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम