एचआईवी पॉजिटिव का मतलब नहीं है जीवन का अंत, आज है एडस डे

liyaquat Ali
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Jaipur news /Dainik reporter एचआईवी पॉजिटिव (संक्रमित) होने का मतलब आमतौर पर जिंदगी का अंत मान लिया जाता है पंरतु यह सच नहीं है। पॉजिटिव होने का मतलब है कि शरीर में इस वायरस का प्रवेश हो चुका है जबकि एड्स वो अवस्था है जब शरीर में इस वायरस की संख्या बढ़ जाने के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी कम हो जाती है कि शरीर में एक या अनेक अवसरवादी संक्रमण जैसे टीबी होना, बार-बार दस्त होना, बहुत ज्यादा वजन घट जाना, जननागों संबंधित रोग हो जाते है।

एड्स कंट्रोल सोसायटी के निदेशक डॉ. आरपी डोरिया बताते है कि एचआईवी और एड्स में अंतर होता है। एचआइवी वायरस का नाम है जबकि एड्स वायरस के कारण होने वाली शारीरिक स्थिति है। एड्स का निदान कुछ रक्त परीक्षणों के आधार पर किया जा सकता है। किसी व्यक्ति को एड्स होने के पर सामान्य या मामूली संक्रमण का प्रतिरोध करने की भी क्षमता नहीं रहती है।

वह बार-बार बीमार पडऩे लगता है और निरंतर कमजोर होता जाता है तथा उसे आसानी से संक्रमण होने लगते है, जो मामूली जुकाम से लेकर क्षय रोग, अतिसार, फंगल इंफेक्शन। इसके अलावा अधिक गंभीर संक्रमण तक हो सकते है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर व्यक्ति को ये संक्रमण बड़ी आसानी से दबोच लेते है। किसी भी एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति में रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के करण इन संक्रमणों को बढ़ते जाने का मौका मिल जाता है इसलिए इसे अवसरवादी संक्रमण कहते है।

एसएमएस अस्पताल एआरटी सेंटर के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर एवं नोडल अधिकारी डॉ. अभिषेक अग्रवाल बताते है कि एचआईवी से एड्स की अवस्था में आने में लगते है 8 से 10 वर्ष का समय लगता है। परन्तु इस बीच संक्रमित व्यक्ति दूसरों को संक्रमित कर सकता है। डॉ. अग्रवाल बताते है कि एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति को एआटी (एंटीरेट्रोवायरल ट्रीटमेंट) दिया जाता है। जिसमें तीन या उससे अधिक दवाओं का मिश्रण होता है।

वह बताते है कि यह जीवन भर चलने वाला है, क्योंकि वर्तमान में इस संक्रमण को जड़ से खत्म करने का उपचार नहीं है। लेकिन जो मरीज नियमित उपचार लेते है वो लम्बा और स्वस्थ्य जीवन जीते है। उन्होंने बताया कि एसएमएस के धन्वतरी भवन में संचालित एआरटी प्लस सेंटर राजस्थान का पहला और सबसे बड़ा सेंटर है। जिसमें करीब 6800 मरीज नियमित उपचार ले रहे है। इनमें से 40 प्रतिशत महिलाए और 8 प्रतिशत 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे है।

आंकड़ें बयां करते हकीकत :

–  यूएन एड्स की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में लगभग 36.9 मिलियन लोग को यह वायरस संक्रमित कर चुका है। जिसमें से 15 साल के छोटे बच्चों की संख्या 1.7 मिलियन है यानि विश्व के लगभग 0.80 प्रतिशत लोगों में यह इसका वायरस पाया जाता है।

– राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) की मार्च 2018 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2.12 मिलियन लोग इस वायरस से संक्रमित। जिसमें से 40 प्रतिशत महिला एवं 7 प्रतिशत 15 साल से कम उम्र के बच्चे शामिल है।

– राजस्थान में अनुमानित कुल संक्रमित 80 हजार है। जिसमें से 43805 रोगी एआटी सेंटर से अपना इलाज करा रहे है। इनमें 21076 पूरूष, 19195 महिला, 3481 बच्चे और 53 ट्रासजेंडर शामिल है।

 

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