पाकिस्तान से दिल्ली तक हिली धरती, घरों से बाहर निकले लोग

liyaquat Ali
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New Dehli News : मंगलवार शाम 4:30 बजे के आसपास आए भूकंप (Earthquake) के झटकों से पाकिस्तान लेकर पूरे उत्तर भारत में धरती हिल गई। दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR )समेत पूरे उत्तर भारत (North India)में मंगलवार शाम को भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे लोग दहशत में आ गए। कश्‍मीर में भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि, जम्मू-कश्मीर(Jammu and Kashmir) पुलिस का कहना है कि राज्य में भूंकप से फिलहाल किसी नुकसान की खबर नहीं है, ज्यादा जानकारी जुटाई जा रही है।

भूकंप(Earthquake) का केंद्र गुलाम कश्मीर (पाकिस्तान) के मीरपुर से 15 किलोमीटर दूर स्थित जातलां इलाके में था। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग(Indian Meteorological Department) के मुताबिक, भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.8 मापी गई है। भारत में पाकिस्तान से सटे जम्मू-कश्मीर में भूकंप की सबसे ज्यादा तीव्रता थी।

शाम 4:30 के आसपास उत्तर भारत के लोगों को भूकंप के झटके लगे। पाकिस्तान में कई जगहों पर भूकंप से सड़कें टूट गईं और गाड़ियां पलट गई हैं।  पाकिस्तान के मीरपुर में बड़े नुकसान की खबरें मिल रही हैं। कई मकान गिरे हैं और कई जगहों पर सड़कें टूटी हैं। फिलहाल करीब 50 लोगों के घायल होने की खबर है और उन्हें अस्पतालों में पहुंचाया जा रहा है। वहीं, पांच लोगों के मौत की भी खबर है।

मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के साथ-साथ गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद में भूकंप के झटकों के चलते लोग दफ्तरों और घरों से बाहर निकल आए।बता दें कि दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई इलाके भूकंप के लिहाज से खतरनाक इलाकों में आते हैं। खासकर सिस्मिक जोन 5 (पांच) भूकंप के लिहाज से देश का सबसे खतरनाक इलाका है।
पृथ्वी बारह टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है, जिसके नीचे तरल पदार्थ लावा के रूप में है। ये प्लेटें लावे पर तैर रही होती हैं। इनके टकराने से ही भूकंप आते हैं। टैक्‍टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं और खिसकती भी हैं। हर साल ये प्लेट्स करीब 4 से 5 मिमी तक अपने स्थान से खिसक जाती हैं। इस क्रम में कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकरा जाती हैं। जिनकी वजह से भूकंप आते हैं।

यहां पर बता दें कि दिल्ली जोन-4 में आता है, जबकि मुंबई और कोलकाता जोन-3 में में है। यह अलग बात है कि अब तक देश के प्रमुख शहरों में शुमार दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। दिल्ली भूकंप जोन-4(Delhi Earthquake Zone-4) में स्थित है, ऐसे में यहां पर भूकंप आने की ज्यादा संभावना है। ऐतिहासिक संकेतों के मुताबिक, एक भयानक भूकंप कभी भी आ सकता है। यह सबक बिहार में 1934 और असम में 1950 में आए भूकंप से मिलता है।

भूवैज्ञानिकों(Geologists) के मुताबिक, 1950 के असम के भूकंप ने हिमालय में एक बड़े भूकंप की जमीन तैयार कर दी है। इस भूकंप के बाद 65 साल बीत गए हैं और संभव है कि कोई विकराल भूकंप आने ही वाला हो।बता दें कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की एक बड़ी समस्या आबादी का घनत्व भी है। तकरीबन दो करोड़ की आबादी वाली राजधानी दिल्ली में लाखों इमारतें दशकों पुरानी हैं और तमाम मोहल्ले एक दूसरे से सटे हुए बने हैं। ऐसे में बड़ा भूकंप आने की स्थिति में जानमाल की भारी हानि होगी।

वैसे भी दिल्ली से थोड़ी दूर स्थित पानीपत इलाके के पास भू-गर्भ में फॉल्ट लाइन मौजूद है जिसके चलते भूकंप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि दिल्ली में भूकंप के साथ-साथ कमज़ोर इमारतों से भी खतरा है। एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली की 70-80% इमारतें भूकंप का औसत से बड़ा झटका झेलने के लिहाज से नहीं बनी हैं।

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