देवली: बुलंद हो हौसले, तो मंजिले होगी आसान

Manish Bagdi
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 राजस्थान पुलिस की महिला जेल प्रहरी ट्रेनिंग स्टोरी

Deoli News/Dainik Reporter : हौसले बुलंद (Freshly elevated) हो तो हर कमजोरी ताकत बन जाती है। वहीं इसी के बूते पर जीवन की सैंकड़ों कठिनाइयों (Hundreds of difficulties) को पार कर लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है, फिर चाहे वह पुरूष हो या महिला। ऐसे कई उदाहरण आपको देखने को मिलेंगे। जहां महिलाओं ने पुरुषों की तरह हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम (Dominated) किया। ऐसा ही खास उदाहरण देवली में देखने को मिल रहा है। जहां स्थित सीआइएसएफ(CISF) प्रशिक्षण केन्द (आरटीसी) के परिसर में महिलाएं जेल प्रहरी (Jail guard) का कठोर प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है।

इन दिनों जेल प्रहरी के लिए 174 महिलाओं को ट्रेनिंग दी जा रही हैं। सीआइएसएफ की ट्रेनिंग का नाम सुनते ही एकबारगी दिमाग में कठोर ट्रेनिंग का विचार आता हैंं। लेकिन इसके बावजूद नाजुक हाथों से घर व परिवार का कामकाज निपटाने वाली महिलाएं व युवतियां भारी भरकम हथियारों को थामकर अपराधियों को मजा चखाने को बेताब हैं। यहीं नहीं इन महिलाओं को शारीरिक व मानसिक रूप से इतना मजबूत बनाया जा रहा है, ताकि वे हर विकट परिस्थितियों में अपराधियों का डटकर मुकाबला कर सके।

सुबह 5 बजे से शुरू होती ट्रेनिंग-

 

प्रशिक्षण प्रभारी व सहायक कमाण्डेंट अनिता दलाल ने बताया कि जब लोग बिस्तरों में नींद में होते हैं। तब से इन महिला जेल प्रहरियों की ट्रेनिंग हो शुरू जाती हैं। सुबह 5 बजे पीटी, दौड़, योगा, कठोर एक्सरसाइज, जो इन महिलाओं को पसीने से तरबतर कर देती हैं। लेकिन यही ट्रेनिंग उन्हें फौलाद की तरह मजबूत बना रही। इस दौरान सीढिय़ों पर बार चढऩा उतरना, अच्छे-अच्छे के हौसले को पस्त कर सकता है। ऐसे में ये महिलाएं बखूबी इस ट्रेनिंग का सामना कर रही हैं। ट्रेनिंग कर रही महिलाओं ने बताया कि शुरुआत में तो ट्रेनिंग से लगा मानों उनका शरीर टूट जाएगा, लेकिन ट्रेनर, मेन्टर व उच्चाधिकारियों के उत्साहवर्धन और हिम्मत से अब उनके लिए कठोर ट्रेनिंग भी आसान हो गई हैं।

आधुनिक हथियारों की दी जा रही है ट्रेनिंग-

सहायक कमाण्डेंट हनुमान सिंह ने बताया कि महिला जेल प्रहरियों को कड़े शारीरिक प्रशिक्षण के साथ आधुनिक राइफल 7.62 एम. एम. एसएलआर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह हथियार इतने भारी है कि इन्हें सामान्यत: उठाना व चलाना आसान नहीं है। इसके अलावा इन प्रशिक्षु महिलाओं को कानून की बारीकियों के गुर भी सिखाए जा रहे है। जिसमें आईपीसी, सीआरपीसी, मानवाधिकार, मेजर एक्ट, ड्रिल, पीटी, डब्ल्यूटी संबंधी बारीकियों के प्रशिक्षण के लिए विशेष कक्षाओं में एक्सपर्ट की ओर से शिक्षण सम्बन्धी कोचिंग दी जा रही है। इसके अलावा महिलाओं को बिना हथियार के अपराधियों से डटकर मुकाबला करने के लिए जूड़ो, कराटे व इजराइल की लड़ाई पद्धति (कावमागा)का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि उक्त महिला जेल प्रहरी आपातकाल में भी अपराधियों को बिना हथियार के भी सहजता से काबू कर तथा आक्रमण की स्थिति से स्वयं को दूर करने की कला सीख सके। वहीं फिल्ड क्रॉफ्ट, चांदमारी, जंगल वेलफेयर का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

आंतरिक विषय में भी बना रहे परिपक्व-

जेल प्रहरी का प्रशिक्षण ले रही महिलाओं को बाह्य विषय के साथ आंतरिक विषय का भी गहन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें कारागार परिचय, कारागारों का वर्गीकरण, विभिन्न राज्यों के कारागृहों की सामान्य जानकारी, कारागार के प्रशासनिक व संगठनात्मक ढांचे की जानकारी, गेट व्यवस्था, इनमें निषिद्ध वस्तुओं पर रोक के तरीके, बंदी साक्षात्कार का महत्व, बंदी प्रवेश, रिहाई, न्यायालय साक्ष्य देने व अवमानना सम्बन्धी जानकारी, मैस व्यवस्था व बंदी किट के बारें में भी प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि प्रत्येक जेल प्रहरी को अपने संगठन की पूरी-पूरी जानकारी हो।

मनोरंजन की भी मिलती है सुविधा-

दिनभर कड़े प्रशिक्षण के बाद इन महिलाओं के मनोरंजन का ख्याल भी रखा जाता है, ताकि महिलाएं तनाव व थकान से अपने आप को चुस्त-दुरुस्त कर सके। फिर अगले दिन की ट्रेनिंग को बखूबी से पूरी कर सके। इसके लिए शाम को इन्हें थिएटर में मूवी भी दिखाई जाती हैं। इसके अलावा संस्कृति कार्यक्रम व नाट्य मंचन के माध्यम से भी इन्हें तरोताजा किया जाता है। बहरहाल इन महिलाओं की ट्रेनिंग 12 दिसम्बर को समाप्त हो जाएगी। इसके बाद ये सभी अपने जीवन की चुनौतीपूर्ण नई पारी की शुरुआत करेंगे।

समाज व देश सेवा का भी सिखा रहे ज्ञान-

उक्त प्रशिक्षण की सबसे खास बात यह है कि इन महिला ्रप्रशिक्षाणार्थियों को देश व समाज सेवा की सीख दी जा रही है। बल की ओर से आएं दिन पौधारोपण, शहर में स्वच्छता बनाने रखने के लिए श्रमदान, बेटी-बचाओं-बेटी पढ़ाओं अभियान व जल संरक्षण, जल शक्ति अभियान में सहयोग करने के काम कराएं जा रहे है। इसके अलावा इन प्रशिक्षाणार्थियों को सांस्कृतिक इतिहास से रुबरु कराने के लिए भी इन्हें सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल किया जा रहा है। ऐसे में जेल प्रहरी की ये महिलाएं देश सेवा के हर पहलु पर खरा उतरेगी।

”आधुनिक परिप्रेक्ष्य में जेल की सुरक्षा एक कड़ी चुनौतीभरा है। इसके मद्देनजर प्रशिक्षाणार्थी महिलाओं को परफेक्ट प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आंतरिक व बाह्य विषय के विभिन्न प्रशिक्षणों से गुजरने के बाद प्रशिक्षाणार्थी पूर्ण जेल प्रहरी बनकर पास आउट होगी।”

दिग्विजय कुमार सिंह, उपमहानिरीक्षक व प्राचार्य सीआइएसएफ आरटीसी, देवली।

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परिचय- वर्ष 2000 से पिता श्री राजेन्द्र बागड़ी के मार्गदर्शन में पत्रकारिता क्षेत्र में प्रवेश किया। इस दौरान पत्रकारिता की शुरुआत कम्प्यूटर पर खबरे कम्पोज करने के साथ हुई। इसके साथ ही देवली में राजस्थान पत्रिका में प्रेस फोटोग्राफर व सहायक संवाददाता के रूप में काम किया। इस दौरान क्राइम, जनसमस्या, घटना, दुर्घटना, राजनैतिक आयोजन, धार्मिक से जुड़ी कई खबरें व स्टोरी कवर की। वर्ष 2009 से राजस्थान पत्रिका के भीलवाड़ा संस्करण में भी रिपोर्टर का कार्य शुरू किया। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 2017 से A1 TV rajasthan न्यूज़ चैनल में देवली रिपोर्टर के रूप में कार्यरत।