पुरूषों में प्रोस्टेट के इलाज में देरी कैंसर का कारण

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जयपुर

 

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जयपुरपुरूषों में 50 वर्ष की उम्र के बाद बार बार तथा रुक रुक कर पेशाब आना प्रोस्टेट में बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। इसका समय पर इलाज नहीं करवाया जाए तो यह कैंसर का कारण भी बन सकती है। देशभर में सितम्बर को प्रोस्टेट हैल्थ माह के रूप में मनाया जा रहा है। इसके लिए प्रोस्टेट जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रह है।इस कडी में गुरूवार को टोंक रोड स्थित एक निजी होटल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चिकित्सकों ने बताया कि प्रोस्टेट का समय पर इलाज करवाया जाए तो इस बीमारी को बढने से रोका जा सकता है। उम्र बढने के साथ पुरूषों को यह बीमारी होती ही है।हर 5 भारतीय पुरुषों में से लगभग 2 में लोअर यूरिनरी ट्रैक्ट के खराब लक्षण मौजूद हैं। हालांकि अधिकांश लोग डॉक्टर के पास जाकर इसका इलाज नहीं कराते और इसे बढ़ती उम्र, मौसम, यात्रा संबंधी तनाव, पानी में बदलाव से जोड़ते हैं। इसके कारण ही यह बीमारी बढ़ती जाती है।इस बारे में एसएमएस अस्पताल के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. के के शर्मा ने बताया कि प्रोस्टेट बढने के कारण व्यक्ति को रात में बार बार पेशाब, पेशाब करने में परेशानी, पूरी पेशाब न कर पाने की शिकायत शुरू हो जाती है। छोटी प्रोस्टेट वाले पुरुषों के लक्षण काफी गंभीर हो सकते हैं,जबकि ज्यादा बड़ी प्रोस्टेट वाले पुरुषों को बहुत छोटे यूरिनरी लक्षण हो सकते हैं। इनका इलाज ना हो तो यूरिनरी समस्याओं के कारण पेशाब की नली बंद हो सकती है। इसका इलाज दूरबीन और लेजर से किया जाता है। लेजर से प्रोस्टेट की सर्जरी करने से रक्तस्त्राव बहुत कम होता है।एसएमएस अस्पताल के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव माथुर ने कहा कि प्रोस्टेट के इलाज के लिए टैमुसुलोसिन, अल्फा ब्लॉकर्स जैसी दवाईयां दी जाती है। यदि दवाईयों से भी कोई फायदा ना हो तो सर्जरी से प्रोस्टेटिक टिश्यू को निकालना  ही अंतिम विकल्प होता है। कई बार एक सर्जरी के बाद दुबारा लोगों को इसकी समस्या हो जाती है लेकिन उसका भी छोटा सा चीरा लगाकर इलाज कर दिया जाता है। प्रोस्टेट बढने के यह है लक्षण बार बार पेशाब की इच्छा होना पेशाब के बाद भी यह महसूस होना कि ब्लैडर भरा हुआ है। यह महसूस होना कि पेशाब के लिए इंतजार नहीं किया जा सकता। पेशाब का कम बहाव। पेशाब का टपकते हुए होना। पेशाब कई बार रुक रुक कर करना। पेशाब शुरू होने में परेशानी। पेशाब करने के लिए दबाव या जोर लगाना।
पुरूषों में 50 वर्ष की उम्र के बाद बार बार तथा रुक रुक कर पेशाब आना प्रोस्टेट में बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। इसका समय पर इलाज नहीं करवाया जाए तो यह कैंसर का कारण भी बन सकती है। देशभर में सितम्बर को प्रोस्टेट हैल्थ माह के रूप में मनाया जा रहा है। इसके लिए प्रोस्टेट जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रह है।इस कडी में गुरूवार को टोंक रोड स्थित एक निजी होटल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चिकित्सकों ने बताया कि प्रोस्टेट का समय पर इलाज करवाया जाए तो इस बीमारी को बढने से रोका जा सकता है। उम्र बढने के साथ पुरूषों को यह बीमारी होती ही है।हर 5 भारतीय पुरुषों में से लगभग 2 में लोअर यूरिनरी ट्रैक्ट के खराब लक्षण मौजूद हैं। हालांकि अधिकांश लोग डॉक्टर के पास जाकर इसका इलाज नहीं कराते और इसे बढ़ती उम्र, मौसम, यात्रा संबंधी तनाव, पानी में बदलाव से जोड़ते हैं। इसके कारण ही यह बीमारी बढ़ती जाती है।

 

इस बारे में एसएमएस अस्पताल के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. के के शर्मा ने बताया कि प्रोस्टेट बढने के कारण व्यक्ति को रात में बार बार पेशाब, पेशाब करने में परेशानी, पूरी पेशाब न कर पाने की शिकायत शुरू हो जाती है। छोटी प्रोस्टेट वाले पुरुषों के लक्षण काफी गंभीर हो सकते हैं,जबकि ज्यादा बड़ी प्रोस्टेट वाले पुरुषों को बहुत छोटे यूरिनरी लक्षण हो सकते हैं। इनका इलाज ना हो तो यूरिनरी समस्याओं के कारण पेशाब की नली बंद हो सकती है। इसका इलाज दूरबीन और लेजर से किया जाता है। लेजर से प्रोस्टेट की सर्जरी करने से रक्तस्त्राव बहुत कम होता है।

 

एसएमएस अस्पताल के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव माथुर ने कहा कि प्रोस्टेट के इलाज के लिए टैमुसुलोसिन, अल्फा ब्लॉकर्स जैसी दवाईयां दी जाती है। यदि दवाईयों से भी कोई फायदा ना हो तो सर्जरी से प्रोस्टेटिक टिश्यू को निकालना  ही अंतिम विकल्प होता है। कई बार एक सर्जरी के बाद दुबारा लोगों को इसकी समस्या हो जाती है लेकिन उसका भी छोटा सा चीरा लगाकर इलाज कर दिया जाता है।

 

 प्रोस्टेट बढने के यह है लक्षण 

 

बार बार पेशाब की इच्छा होना

 पेशाब के बाद भी यह महसूस होना कि ब्लैडर भरा हुआ है।

 यह महसूस होना कि पेशाब के लिए इंतजार नहीं किया जा सकता।

 पेशाब का कम बहाव।

 पेशाब का टपकते हुए होना।

 पेशाब कई बार रुक रुक कर करना।

 पेशाब शुरू होने में परेशानी।

 पेशाब करने के लिए दबाव या जोर लगाना।

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