Dausa News / Dainik reporter : राजस्थान के सांभर लेक में जिस तरह परिन्दे काल के ग्रास में समा गए कहीं ऐसी घटना दौसा के गेटोलाव सरोवर में नहीं घट जाए। सरोवर के हालात देख कर तो ऐसा ही लगता है कि जल्द ही यहां भी कुछ ऐसा ही घटने वाला है।
गेटोलाव के पवित्र सरोवर को हाल ही के बरसों में इस तरह विकसित किया गया था कि यहां विदेशी परिन्दों ने डेरा जमाना शुरू कर दिया था, लेकिन बारिश नहीं होने के कारण गत वर्ष गेटोलाव खाली रह गया था। इसके चलते परिन्दे नहीं आ सके थे, लेकिन इस बार मानसून मेहरबान होने से गेटोलाव सरोवर लबालब हो गया। ऐसे में यहां परिन्दों ने आकर अपनी कॉलोनियां तो बसा ली।
पर प्रशासनिक अनदेखी के चलते इस बार हालात उनके अनुकूल नहीं है। खाली रहने वाले गेटोलाव सरोवर को पूरी तरह सिंघाड़े की बेलों से ढक दिया गया, ऐसे में पक्षी विचरण नहीं कर पाते हैं,जो कर रहे हैं वे बेलों में फंस जाते है। साथ ही सिंघाड़े की फसल को विकसित करने के लिए पानी में भारी मात्रा में कैमिकल डाला गया है, जो इन परिन्दों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
यहीं नहीं सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि जिस तरह इस सरोवर को भरतपुर के केवला देव अभयारण्य की तर्ज पर बनाने की कोशिश की गई थी और यहां स्वच्छता का ध्यान रखा गया था वह दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आती। सरोवर और घाट गन्दगी से अटे पड़े हैं, लेकिन उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है।
एक ओर जहां दो वर्ष पूर्व दुनिया के पक्षी प्रेमियों के लिए इस स्थान को दुनिया के मानचित्र पर दर्शाया गया था, जिसके चलते देश-विदेश के पर्यटक एवं पक्षी प्रेमी यहां आने लगे थे। वे यहां आकर हैरानी जताते हुए निराश लौट रहे हैं।