चित्तौड़गढ/ लोकेश शर्मा। मंगलवार को चित्तौड़गढ़ प्राइवेट बस एसोसिएशन के बैनर तले निजी बस ऑपरेटर्स ने लोक डाउन की अवधि के दौरान 6 माह का कर माफ करने तथा अन्य मांगों को लेकर केंद्रीय परिवहन मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन जिला कलेक्टर को सौंपा।
चित्तौड़गढ़ प्राइवेट बस एसोसिएशन के सचिव इरशाद मोहम्मद ने बताया, कि कोविड-19 महामारी समस्या से ग्रस्त राजस्थान में परिवहन विभाग के निजी बस ऑपरेटर पर जिला परिवहन अधिकारियों द्वारा भारत सरकार की गाइडलाइन एवं मोटर व्हीकल एक्ट की धज्जियां उड़ाई जा रही है।
जिस पर कराधान अधिकारी द्वारा अपनाए गए तानाशाही रवैए के विरोध में मंगलवार को जिला कलेक्टर चेतन देवड़ा को ज्ञापन सो मांग की गई कि देशभर में लोग डाउन होने से चित्तौड़गढ़ जिले के समस्त बस ऑपरेटर्स की बसें बंद हो गई और व्यवसाय ठप सा हो गया।
जिस पर सभी बस मालिकों ने मीटिंग कर या फैसला लिया, कि राज्य सरकार को 6 माह का कर माफ वाहन स्वामियों को रियायत देनी चाहिए साथ ही लॉक डाउन की वजह से बंद पड़ी बसों की 3 माह की बीमा प्रीमियम में बीमा कंपनियों को छूट के लिए आदेशित करना चाहिए।
उन्होंने बताया, कि कोविड-19 महामारी के संकट की घड़ी में राजस्थान सरकार के आदेश के कारण बस संचालकों ने वाहन संचालित नहीं किया, जिसके कारण मोटर व्हीकल एक्ट में नॉन यूज के तहत सरकार के नियम 25 ए के तहत कर छूट का प्रावधान है नियमों में प्रावधान होने के बावजूद भारत सरकार ने विशेष गाइडलाइन जारी की लेकिन समस्त जिला परिवहन अधिकारी कराधान में एकजुट होकर वाहनों को लोग डाउन के अवधि की छूट देकर टीसीसी कर चुकता प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा और तानाशाही रवैया अपनाते हुए वाहन स्वामियों को जून माह का टैक्स का बोझ और ऊपर से डाल दिया।
जिससे प्रत्येक वाहन को 8000 रु से 50000 रु का टैक्स देना पड़ेगा। जबकि वाहन कोई कहीं भी संचालित नहीं कर रहा है। जिससे वाहन स्वामियों की आय शून्य हो गई है, साथ ही लगभग 3 माह से बंद पड़ी बसों में यांत्रिक खराबी या हो गई साथ ही बैटरी, टायर,लाइट इत्यादि सामान भी चोरी हो गया है।
उन्होंने बताया कि जिले के सभी वाहन स्वामी बस आरसी सरेंडर करना चाहते हैं लेकिन जिला परिवहन अधिकारी द्वारा उनकी आरसी सरेंडर नहीं ले रहे है, क्योंकि हम वाहन संचालन नहीं कर रहे हैं और वाहनों के नो यूज़ नो टैक्स के नियम के अनुसार हमें टैक्स में छूट मिलनी चाहिए इसके लिए मजबूरन समस्त वाहन को भौतिक रूप से वाहनों को जिला परिवहन कार्यालय खड़ा करना पड़ेगा।