Tonk / Piplu News (ओपी शर्मा) – सुप्रीम कोर्टकी रोक के बावजूद भी क्षेत्र के बनास नदी में इन दिनों बजरी का अवैध खनन जोरों पर है। नदी में रात- दिन ही बजरी माफिया नदी से एक दिन में करीब 300-400 डंपर बजरी का अवैध खनन कर रहे हैं । अवैध खनन से राज्य सरकार व खनन विभाग को हर रोज लाखों के राजस्व का चूना लग रहा है। लेकिन खनन विभाग, पुलिस व परिवहन विभाग भी राजस्व की परवाह ना करते हुए अपनी जेबें भरकर चांदी कूटने मे लगें हुए हैं वहीं खनन विभाग की लचर मॉनिटरिंग से बजरी माफियों की बल्ले-बल्ले हो रही है। बजरी माफिया इन डंपर चालकों से अवैध वसूली कर लाखों की चांदी कुट रहे है। इन खनन माफियों के खिलाफ कार्रवाई करने में खनन विभाग तो पूरी तरह उदासीन बना हुआ। वहीं पुलिस कभी-कभार ट्रैक्टर-ट्रॉली चालकों के खिलाफ कार्रवाई कर इतिश्री कर लेती है। लेकिन अवैध बजरी का परिवहन व प्रशासन अधिकारी से साठगांठ करने वालों पर कभी कार्रवाई नहीं होती है। ऐसे में बड़े डंपरों के माध्यम से बजरी का काला कारोबार करने वाले खनन माफियों के हौसलें बुलंद बने हुए है।
अनदेखी पड़ रही भारी बनास नदी में रात -दिन भी अवैध बजरी का खनन चलता है। दिन रात नदी मे बजरी माफियाओं व ट्रेक्टरो का जमावड़ा रहता हैं । व अंधेरा होते ही अवैध चल रहे पेडो पर डंपरों की लाइन लग जाती है। डंपर चालक दिन रात होटलों ढाबों पर आराम करते है। इन होटलों पर दिन में खाली डंपरों की कतार सी लगी रहती है। शाम होते ही डंपर चालक होटलों से रवाना होते है। पूरी रात बजरी की कालाबाजारी कर सुबह वापस खाली होकर होटल पर आ जाते है।
जयपुर तक होती है कालाबाजारीब जरी खनन पर रोक के बाद अवैध खनन करने वाले खननकर्ता शहर में भी बेरोक-टोक अवैध रूप से बजरी पहुंचा रहे हैं। रात के अंधेरे में डंपर आते हैं व बुकिंग करवाने वाले की बताई गई जगह पर खाली कर जाते हैं। वहीं कई लोगों ने तो बजरी बेचने का व्यवसाय शुरू कर दिया। बजरी व्यवसायी रात में खाली प्लॉट्स पर डंपर से बजरी खाली करवाते हैं। इसके बाद दिन में ट्रैक्टरों के माध्यम से शहर में सप्लाई करते हैं। इसके अलावा टोंक से जयपुर तक रात में बजरी की कालाबाजारी की जाती है। जयपुर नजदीक होने से डंपर चालक रात में दो से तीन ट्रीप आराम से कर देते है।