बलात्कारी पाखंडी मौलाना को 18 वर्ष का सश्रम कारावास

liyaquat Ali
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✍️ चेतन ठठेरा

मनासा/(मध्य प्रदेश )। अखिलेश कुमार धाकड़, अपर सत्र न्यायाधीश, मनासा द्वारा एक आरोपी बाबा को 16 वर्षीय नाबालिग बालिका का बलात्कार करने के आरोप का दोषी पाकर कुल 18 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 2,200रू जुर्माने से दण्डित किया।

जिला लोक अभियोजन अधिकारी जगदीश चौहान द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि घटना लगभग 6 वर्ष पुरानी होकर दिनांक 29.03.2014 को थाना मनासा की हैं। 16 वर्षीय पीड़िता उसके मामा के घर पर रहती थी। घटना दिनांक को रोज की तरह उसके मामा उसे स्कूल छोडकर चले गये थे। शाम 7 बजे तक पीडिता जब घर वापस नहीं आई तब परिजनों ने आस-पास व मिलनें वालो से पूछताछ की तब पता चला की झाडफूंक करने वाले मोहम्मद अली की पीडिता से बातचीत थी और वह भी घटना के बाद से गायब हैं।

इसके बाद पीडिता के परिजन ने थाना मनासा आरोपी मोहम्मद अली के विरूद्ध रिपोर्ट की, जिस पर से आरोपी के विरूद्ध अपराध क्रमांक 145/14, धारा 363, 366, 506 भादवि व धारा 5/6 पॉक्सों एक्ट अंतर्गत दर्ज किया गया। जिस पर से थाना मनासा पुलिस द्वारा पीडिता की तलाश कर उसे आरोपी मोहम्मद अली के आधिपत्य से जावरा (रतलाम) से बरामद किया गया।

पीडिता से पुछताछ करनें पर पीडिता नें बताया कि आरोपी मोहम्मद अली स्कूल के बाहर से मुझें बहला-फूसलाकर शादी का झांसा देकर अपनें साथ ले गया था और उसकी सहमति के बिना कई बार बलात्संग किया था। पुलिस द्वारा विवेचना के दौरान आरोपी को गिरफ्तार कर शेष आवश्यक विवेचना पूर्ण कर चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।

अभियोजन की ओर से जगदीश चौहान, जिला अभियोजन अधिकारी द्वारा पीड़िता, उसके परिजन, पीडिता को नाबालिग प्रमाणित करने तथा पीडिता के मेडिकल रिपोर्ट के संबंध में आवश्यक साक्ष्य न्यायालय में कराकर आरोपी के विरूद्ध नाबालिग का अपहरण कर बलात्कार करने के अपराध को संदेह से परे प्रमाणित कराकर, दण्ड के प्रश्न पर तर्क रखा गया कि, आरोपी एक पाखंडी मौलाना है, जिसके द्वारा पीड़िता को विश्वास में लेकर उसका जीवन बर्बाद किया हैं, इसलिए आरोपी के साथ दण्ड के संबंध में कोई नर्मी न बरती जाये।

अभियोजन अधिकारी के सारगर्भित तर्को से सहमत होकर अखिलेश कुमार धाकड़, अपर सत्र न्यायाधीश, मनासा द्वारा आरोपी मोहम्मद अली पिता रफीक मोहम्मद मंसूरी, उम्र-28 वर्ष, निवासी-बांसवाडा, (राजस्थान) को धारा 363 भादवि में 3 वर्ष का सश्रम कारावास व 500रु जुर्माना, धारा 366 भादवि में 4 वर्ष का सश्रम कारावास व 700रु जुर्माना, धारा 506 भादवि में 1 वर्ष का सश्रम कारावास व 200रु जुर्माना व धारा 5/6 पॉक्सों एक्ट में 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 800रू. जुर्माना, इस प्रकार आरोपी को कुल 18 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 2,200रू. जुर्माने से दण्डित किया, साथ ही पीड़िता को प्रतिकर प्रदान करने का आदेश पारित किया। न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी जगदीश चौहान, डीपीओ द्वारा की गई।

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