जयपुर। राजस्थान की सियासत में रविवार का दिन बेहद घटनाक्रम वाला रहा। गहलोत समर्थक 92 विधायकों के इस्तीफे ने सियासत में हलचल मचा दी। जयपुर से लेकर दिल्ली तक इस्तीफे की खबर ने कांग्रेस आलाकमान के पसीने छुड़ा दिए तो वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर अपनी सियासी ताकत का नजारा पेश करके आलाकमान को भी संदेश दे दिया कि राजस्थान में वही सर्वमान्य नेता हैं।
दरअसल राजस्थान में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर पार्टी आलाकमान ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक रविवार शाम 7 बजे बुलाई थी लेकिन बैठक से पहले ही गहलोत सरकार में वरिष्ठ मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर गहलोत समर्थक विधायकों का जमावड़ा शुरू हो गया।
दोपहर 3 बजे से शांति धारीवाल के आवास पर गहलोत समर्थक विधायक आना शुरू हुए और उसके बाद आने का सिलसिला लगातार चलता रहा।
गहलोत समर्थक विधायकों के शांति धारीवाल के आवास पर जुटने की खबरें पर्यवेक्षक को तक पहुंची तो उन्होंने पहले 7:30 और उसके बाद 8 बजे के लिए विधायक दल की बैठक का समय बढ़ाया लेकिन बावजूद इसके गहलोत समर्थक विधायकों ने विधायक दल की बैठक से दूरी बनाए रखी और बैठक में केवल 25 विधायक की पहुंचे तो वही शांति धारीवाल के आवास पर 92 विधायक पहुंच चुके थे जिनमें निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस मे वाजिब अली, संदीप यादव, लाखन मीणा और जोगिंदर अवाना भी थे।
पर्यवेक्षक मुख्यमंत्री आवास पर करते रहे इंतजार
इधर एक और जहां यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर गहलोत समर्थक विधायकों की बैठक चलती रही तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री आवास पर पर्यवेक्षक मलिकार्जुन खड़गे और अजय माकन विधायकों के आने का इंतजार कर करते रहे हालांकि पायलट समर्थक विधायक मुख्यमंत्री आवास पहुंच गए थे तो वहीं कुछ गैरो समर्थक विधायक भी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे।
खाचरियावास, मेघवाल और संयम ने संभाला मोर्चा
वहीं दूसरी ओर गहलोत कैंप की तरफ से कैबिनेट मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, गोविंद राम मेघवाल और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने मोर्चा संभालते हुए साफ कर दिया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ही रहना चाहिए। निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि हमारा समर्थन केवल अशोक गहलोत को था अगर हमारे मुताबिक काम नहीं हुए तो सरकार गिर सकती है।
कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि प्रदेश की जनता चाहती है कि अशोक गहलोत मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने मैंने कहा कि एक के पास 20 विधायक हैं और एक नेता के पास 12 विधायक हैं तो किस नेता की सुनी जाएगी हम राहुल गांधी और सोनिया गांधी से आग्रह करेंगे कि अशोक गहलोत की मुख्यमंत्री रहे कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने कहा कि अशोक गहलोत ने 4 साल में शानदार बजट पेश किए हैं। इनका लाभ हमें तभी मिल सकता है जब अशोक गहलोत मुख्यमंत्री रहे।
102 विधायकों में से बने मुख्यमंत्री
इससे पहले शांति धारीवाल के आवास पर हुई घर गहलोत समर्थक विधायकों की बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि अगर अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाता है तो फिर उ5सरकार बचाने वाले 102 विधायकों में से ही मुख्यमंत्री होना चाहिए। सरकार गिराने की साजिश में शामिल विधायकों को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाना चाहिए।
रात 10 बजे पहुंचे सीपी जोशी के आवास पर
वही गहलोत समर्थक विधायक लग्जरी बस में सवार होकर रात 10 बजे विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के आवास पर पहुंचे और अपना इस्तीफा सीपी जोशी को सौंपा। हालांकि विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होगा या नहीं इसका फैसला विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ही करेंगे।
बैठक का बहिष्कार अनुशासनहीनता का मामला
वहीं दूसरी ओर एक और जहां गहलोत समर्थक विधायकों ने अपना शक्ति प्रदर्शन दिखाया तो कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार भी किया। गहलोत समर्थक विधायकों की ओर से विधायक दल की बैठक से दूरी बनाने को अनुशासनहीनता के तौर पर देखा जा रहा है।
दिलचस्प बात तो यह है कि अनुशासनहीनता का नोटिस जारी करने वाले मुख्य सचेतक महेश जोशी और उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी भी विधायक दल की बैठक से दूर रहे।
विधायक दल की बैठक में होना था एक लाइक का प्रस्ताव पास
दरअसल कांग्रेस विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर एक लाइन का प्रस्ताव पास होना था, जिसमें मुख्यमंत्री चुनने का फैसला कांग्रेस आलाकमान पर छोड़ा जाना था लेकिन जिस तरह से गहलोत समर्थक विधायकों ने विधायक दल की बैठक से ही दूरी बनाईज़ उससे पार्टी आलाकमान ने पर्यवेक्षकों को भी चिंता में डाल दिया ।गौरतलब है कि अशोक गहलोत
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन रहे हैं यो नाते एक व्यक्ति एक पल सिद्धांत के चलते उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पढ़ रहा है इसी के चलते पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित कई नेताओं के नाम नए मुख्यमंत्री की रेस में शामिल हो गए थे हालांकि पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट कोई प्रबल दावेदार माना जा रहा था।