राजस्थान कांग्रेस में दीपावली बाद बडा धमाका, नहीं मान रहे आलाकमान की चेतावनी,गहलोतv/s पायलट खेमें में युद्ध जारी

Dr. CHETAN THATHERA
6 Min Read

जयपुर/ राजस्थान मैं इस साल दीपावली पर आमजन जमकर आतिशबाजी अर्थात पटाखे छोड़ेंगे और जश्न मनाएंगे लेकिन दूसरी ओर राजस्थान कांग्रेस में दीपावली बाद बम फूटेंगे और कहीं होगा जश्न तो कहीं होगा रुदन । कुल मिलाकर दीपावली बाद राजस्थान कांग्रेस में होगा बड़ा धमाका

राजस्थान कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोतV/S सचिन पायलट के बीच पार्टी के सत्ता में आने के साथ ही चल रही वर्चस्व की लड़ाई को 4 साल बीत गए और पिछले 2 महीने में जो सियासी घटनाक्रम घटित हुआ और उसके बाद अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़के के निर्वाचन के साथ ही दीपावली के बाद इस वर्चस्व की लड़ाई और घमासान को लेकर बड़ा धमाका हो सकता है।

धमाके के रूप में राजस्थान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का बदलाव और मंत्रिमंडल में परिवर्तन प्रमुख रूप से है। नए राष्ट्रीय अध्यक्ष खडके सोनिया गांधी राहुल गांधी और प्रियंका बॉर्डर की सहमति से राजस्थान कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष पर नियुक्ति करेंगे और वर्तमान हालात तथा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को भी मद्देनजर रखा जाएगा ।

इसी के साथ ही ऐसी संभावनाएं नजर आ रही है कि राजस्थान में वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए सचिन पायलट को प्रदेशाध्यक्ष की कमान नहीं सौंपी जाएगी और अपुष्ट सूत्रों के अनुसार स्वयं पायलट भी प्रदेश अध्यक्ष बनने के अब मूड में नहीं है ऐसी स्थिति में नए प्रदेशाध्यक्ष के रूप में कोई नया नाम सामने आएगा।

वर्तमान में जाट समुदाय से आने वाले गोविंद सिंह डोटासरा प्रदेशाध्यक्ष हैं और जाट समुदाय का विधानसभा चुनाव में लाभ लेने के नजरिए से अगर फिर जाट समुदाय से ही किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी जाने की पैरवी गहलोत कूट कर सकता है ऐसी स्थिति में राहुल गांधी के निकटतम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामेश्वर डूडी का नाम सबसे आगे है और उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने की संभावनाएं भी प्रबल बताई जा रही है।

इसी के साथ गहलोत मंत्रिमंडल में भी बदलाव होगा जिसमें से मंत्रियों को जिन की कार्यप्रणाली कमजोर संदेह के घेरे में हर जिनकी शिकायतें आलाकमान तक पहुंची है उनकी छुट्टी होगी तथा पायलट गुट के कुछ और विधायकों को मंत्री पद से नवाजा जाएगा तथा निगम और नियमों में और बोर्डों में रिक्तियों को भरा जाएगा जिनमें पायलट खेमे को प्राथमिकता दी जाएगी तथा कुछ बड़बोले मंत्रियों नेताओं के पर काटे जाएंगे और इस तरह एक संतुलन बनाने की कोशिश आलाकमान द्वारा की जाएगी ।

हमने पहले भी लिखा है कि राजस्थान में अशोक गहलोत का ही राज होगा अर्थात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही बने रहेंगे यह हमने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव से पहले लिखा था और आज फिर लिख वही दोहरा रहे हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही रहेंगे ।

हालांकि गहलोत ने कटे सियासी घटनाक्रम के बाद दस जनपथ जाकर सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा तक सो पाए हैं कि वह चाहे तो निर्णय ले सकते हैं लेकिन सोनिया गांधी राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए पंजाब जैसी गलती नहीं दोहराएंगे।

दूसरी ओर राजस्थान में गहलोत तथा गहलोत समर्थकों द्वारा और सचिन पायलट समर्थकों द्वारा जो बयान बाजी का युद्ध चल रहा है इसको लेकर आलाकमान ने पिछले माह एक चेतावनी भरा नोटिस जारी कर सब को चेतावनी दी थी कि अब कोई भी नेता या मंत्री एक दूसरे के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयानबाजी नहीं करेगा ।

लेकिन आलाकमान की चेतावनी का असर राजस्थान के मंत्रियों नेताओं पर देखने को नहीं मिल रहा है और एक दूसरे के खिलाफ बयान बाजी जारी है कल ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव के मतदान के बाद एक और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अप्रत्यक्ष रूप से सचिन पायलट पर तंज कसते हुए कहा था कि जिन युवाओं को समय से पहले ही केंद्र में मंत्री सहित कई विभिन्न पद मिल गए वह हवा में उड़ रहे हैं उनकी जब तक रगड़ा ही नहीं हो जाती और फिर उन्हें पद मिलते तब पता चलता राजनीति का साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि युवाओं को मौका मिलेगा ।

लेकिन उन्हें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए अशोक गहलोत के इस तर्ज का गहलोत के ही मंत्रिमंडल के मंत्री राजेंद्र गुड्डा ने करारा जवाब देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत भूल गए हैं कि वह भी सचिन पायलट की उम्र में ही मुख्यमंत्री बन गए थे आलाकमान के एक लाइन के प्रस्ताव से जबकि उस समय भी शिवचरण माथुर परसराम मदेरणा जैसे दिग्गज और वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री के दावेदार थे लेकिन फिर भी आलाकमान की एक लाइन के दिशा निर्देश पर गहलोत मुख्यमंत्री बने हैं।

राजस्थान में गहलोत और गहलोत समर्थकों तथा पायलट समर्थकों द्वारा एक दूसरे के खिलाफ सार्वजनिक रूप से की जा रही इस तरह की बयानबाजी में राजस्थान में कांग्रेस की प्रतिष्ठा को धूमिल ही नहीं किया बल्कि पार्टी को डूबने की किनारे पर ला दिया है ।

Share This Article
Follow:
चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम