भीलवाड़ा/ अक्षय तृतीया (आखातीज) के पर्व 03 मई एवं पीपल पूर्णिमा 16 मई के पर्व पर जिले में बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम के लिए जिला मजिस्टेªट श्री आशीष मोदी ने बुधवार को दिशा-निर्देश जारी किये ।
जिला मजिस्टेªट श्री मोदी ने आदेश जारी करते हुए बताया कि बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम के लिए ग्राम एवं तहसील स्तर पर पदस्थापित विभिन्न विभागों के कर्मचारियों/ अधिकारियों (वृताधिकारी, थानाधिकारीगण, बीट कान्सटेबल, पटवारीयों भू-अभिलेख निरीक्षकों, ग्राम पंचायत सचिवों ग्रामसेवकों, कृषि पर्यवेक्षकों, महिला विकास अभिकरणों एवं महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारियों, पर्यवेक्षकों, आंगनबाडी कार्यकर्ता, शिक्षा विभाग के अध्यापकों, नगर परिषद् एवं नगर पालिका के कर्मचारियों, जिला परिषद एवं पंचायत समिति सदस्यों, सरपंचो तथा वार्ड पंचो) को पाबंद कराते हुए उनके माध्यम से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों का व्यापक प्रचार-प्रसार करने एवं आमजन को जानकारी कराते हुए जनजागृति उत्पन्न करने एवं बाल विवाह रोके जाने के लिए कार्यवाही की जायें। ब्लॉक स्तर, ग्राम पंचायत स्तर के जन प्रतिनिधियों यथा प्रधान, जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, सरपंच, वार्ड पंच आदि का सहयोग भी लिया जायें।
बाल विवाह को रोकने के लिये समाज की मानसिकता एवं सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाना आवश्यक है। इसलिए बाल विवाह की रोकथाम हेतु जन-सहभागिता व चेतना जागृत करने हेतु एक कार्य योजना बनाकर कार्य किया जाए, इसके लिए कुछ बिन्दु निम्न प्रकार हैः-
यह करना होगा
1. जिला/ब्लॉक/ग्राम स्तर पर गठित विभिन्न सहायता समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाडी कार्यकर्ता, साथिन, सहयोगिनी के कोर ग्रुप को सक्रिय करना।
2. ऐसे व्यक्ति व समूह जो विवाह सम्पन्न कराने में सहयोगी है यथा हलवाई, बैण्ड बाजा, पंडित, बाराती, पाण्डाल व टेन्ट लगाने वाले ट्रांसपोर्ट, इत्यादि पर बाल विवाह में सहयोग न करने का आश्वासन लेना और उन्हें कानून की जानकारी देना, जहां आवश्यक हो, समूहों व संस्थाओं के माध्यम से जन सहभागिता के कार्यक्रम आयोजित कर चेतना बैठकों का आयोजन करना।
4. ग्राम सभाओं में सामूहिक रूप से बाल विवाह के दुष्प्रभावों की चर्चा करना व रोकथाम की कार्यवाही करना।
5. किशोरियों, महिला समूहों, स्वयं सहायता समूहो व विभिन्न विभागों के कार्यकर्ता जैसे स्वास्थ्य विभाग, वन विभाग, कृषि समाज कल्याण, प्राथमिक शिक्षा विभागो के साथ समन्वय बैठक आयोजित करना।
6. विवाह हेतु छपने वाले निमंत्रण पत्र में वर-वधु के आयु का प्रमाण प्रिन्टिंग प्रैस वालो के पास रहे अथवा निमंत्रण पत्र पर वर-वधु की जन्म तारीख प्रिन्ट किये जाने के लिए पाबंद किया जायें।
7. सार्वजनिक स्थानों पर सूचना-बॉक्स रखें जावे एवं इस हेतु नियन्त्रण कक्ष स्थापित किया जायें।
8. विद्यालयों के स्तर पर बाल विवाह के दुष्परिणामों व इससे संबंधित विधिक प्रावधानों की जानकारी दिये जाने हेतु सभी स्कूलों को निर्देशित किया जावें।
9. सामूहिक चर्चा से मिली जानकारी के आधार पर गांव / मौहल्लों के उन परिवारों में जहां बाल विवाह होने की आशंका हो, समन्वित रूप से समाझाईश करना। जहां आवश्यक हो, कानून द्वारा बाल विवाहों को रोका जाना।
10. बाल विवाह रोकथाम के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग के ग्राम स्तरीय कार्मिकों को जोड़ा जाना साथ ही पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी अध्यापक इत्यादि को बाल विवाह होने पर निकट के पुलिस स्टेशन में सूचना देने हेतु पाबन्द करना।
11. समस्त उपखण्ड मजिस्ट्रेट, पुलिस उपाधीक्षक, तहसीलदार, विकास अधिकारी, अधिशाषी अधिकारी नगर परिषद को निर्देशित किया जाता है कि वे बाल विवाहों की रोकथाम के संबंध में अपने-अपने क्षेत्र में बाल विवाह रोकने के लिय समुचित कार्यवाही करें एवं सूचना प्राप्त होने पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत कानूनी कार्यवाही करें।
12. बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिला पुलिस अधीक्षक, भीलवाड़ा, समस्त उपखण्ड कार्यालय/तहसीलदार कार्यालय में कन्ट्रोल रूम स्थापित किया जावें जो 24 घण्टे क्रियाशील रहेगें।
13. बाल विवाहों के आयोजन किये जाने की स्थिति में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा-16 के तहत नियुक्त बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों की जवाबदेही नियत की जावेगी एवं जिनके क्षेत्रों में बाल विवाह सम्पन्न होने की घटना होती है, उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावें।
14. समस्त टेन्ट हाउस, हलवाई, बैण्ड, प्रिन्टिग प्रेस, ढोलवादक से निर्धारित प्रपत्र में पंजिका संधारित करवाई जावें जिनका नियमित रूप से निरीक्षण किया जाकर यदि कहीं भी बाल विवाह की बुकिंग पाई जाती है तो नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करें।
15. समस्त टेन्ट हाउस, हलवाई, बैण्ड, प्रिन्टिग प्रेस, ढोलवादक से निर्धारित प्रपत्र में शपथ पत्र प्राप्त किया जावें। बाल विवाह की बुकिंग प्राप्त होती है तो अविलम्ब स्थानीय स्तर पर पटवारी/ग्राम विकास अधिकारी/बीट कान्सटेबल या उपखण्ड स्तर पर स्थापित बाल विवाह नियंत्रण कक्ष में सूचना प्रेषित करें। बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति को रोकने के लिये इसे सर्वाेच्च प्राथमिकता प्रदान करने के भी निर्देश दिए।