शिक्षा विभाग कोटडी गबन मामला – भट्ट, जाट व बियाणी मुख्य दोषी, बैंक नही दे रहा वीवीआर रिपोर्ट व वाउचर कापियां

Dr. CHETAN THATHERA
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Bhilwara News। भीलवाड़ा जिले के कोटड़ी उपखंड स्थित शिक्षा विभाग के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी सीबीईओ के अधीनस्थ दो स्कूलों में फर्जी शिक्षक बना काल्पनिक वेतन बिलो के आधार पर शिक्षा विभाग को 2.15 करोड की चपत अर्थात गबन करने के मामले में आज तक की जांच रिपोर्ट मैं इस गबन के मुख्य दोषी तत्कालीन लेखा अधिकारी सीडीईओ कार्यालय के लेखा लिपिक भवंर जाट और सेवानिवृत्त लेखा अधिकारी बियाणी है

इस मामले में भीलवाड़ा सी डी ई ओ द्वारा कराई गई जांच के बाद शिक्षा निदेशालय से निदेशक सौरभ स्वामी (आईएएस ) द्वारा भेजी गई जांच टीम द्वारा की जा रही जांच के दौरान 2 दिन की जांच प्रक्रिया में सामने आया है कि यह गबन का मामला 2011 के बजाए सन 2009 से ही किया जा रहा था ।।

अब तक की जांच में यह सामने आया है कि इस गबन का मुख्य आरोपी सीबीओ कार्यालय में संविदा पर नियुक्त कंप्यूटर ऑपरेटर गोपाल सुवालका तो एक मोहरा है और इस गबन का मुख्य मास्टरमाइंड सीबीओ कार्यालय में नियुक्त लेखा लिपिक भंवर लाल जाट तथा समग्र शिक्षा अभियान (समसा) में नियुक्त तत्कालीन लेखा अधिकारी दिनेश भट्ट और सेवानिवृत्त लेखा अधिकारी तथा समिति के बाद संविदा पर लगे कृष्ण गोपाल बियानी की मिलीभगत से यह गबन का सारा खेल खेला गया ।

गबन का खेल कैसे खेला उदारहण से समझे

जैसे बिल नबंर 306 दिनांक 25/5/16

कार्मिक का नाम राशि
1 –अ 5
2– बी 4
3– सी 1
5– ई 5
6– एफ 4
7– जी 1
8– एच 5
9– आई 5
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10 35
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अब यहां समझने वाली बात यह है की इस तरह की सूची लेखा लिपिक भवंर जाट संविदाकर्मी कंप्यूटर ऑपरेटर गोपाल सुवालका से बनवा अंतिम रूप परीक्षण के लिए समसा ऑफिस भीलवाडा मे तत्कालीन लेखाधिकारी दिनेश भट्ट व सेवानिवृत लेखाधिकारी तथा सेवानिवृत्त के बाद संविदा पर कार्यरत गोपाल बियाणी के पास भेजते ।

इस सूची मे आपने देखा होगा क्रम संख्या 4 नही है और टोटल कार्मिक 9 ही लेकिन नीचे टोटल कार्मिको की जोड 10 बताई जाती थी तथा राशि 9 कार्मिको की उनके नाम के आगे लिखी है जो उनके खाते मे डालनी थी अर्थात यह उनका वेतन अब इस वेतन राशि का जोड जोडा जाए तो 30 रूपये ही आ रहा है लेकिन लेखा लिपिक भवंर जाट सूची के नीचे जोड मै 35 रूपये बताता और यहां समसा मे तत्कालीन लेखाधिकारी भट्ट व बियाणी इसे बिना जोडे और चैक किए इसे पास कर देते थे और समसा से 35 रूपये का चैक सीबीईओ कार्यालय पहुंच जाता और बैक मे चला जाता और बैंक 5 रूपये जो अधिक है ।

वह अधिक राशि बैंक विभाग या सीबीईओ कार्यालय को लौटाने के बजाय सुवालका और उसकी पत्नी व उसके विविध खातो मे डाल देता था ।

अगर यह…

अगर लेखाधिकारी दिनेश भट्ट व सेवानिवृत लेखाधिकारी जो सूविदा पर लगे थे गोपाल बियाणी सीबीईओ कार्यालय के लेखा लिपिक भवंर जाट द्वारा भेजे गए बिलो की राशि व कार्मिको की जोड लगा लेते तो यह गबन नही होता ।

लेखा लिपिक जाट को राजनैतिक सरक्षण

लेखा लिपिक भंवर लाल जाट को संभवत या राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है जाट कोटडी में जो पहले ब्लॉक ऑफिस कार्यालय हुआ करता था।

सन 2002 से वहां कार्यरत है और पदोन्नति होने के बाद मात्र चंद समय के लिए भंवर लाल जाट बीरधोल गया था तबादले पर लेकिन चंद दिनों में ही पुनः कोटडी प्रतिनियुक्ति पर बीईओ कार्यालय में आ गया ।

जो अब वर्तमान में सीडीईओ कार्यालय है और तब से ही जाट आज दिनांक तक इसी कार्यालय में कार्यरत है और लेखा लिपिक का कार्य संचालित कर रहा है और इसी की देखरेख में ही संविदा कर्मी कंप्यूटर आफ्टर गोपाल सुवालका कार्य करता है ।

यह षड्यंत्र हो सकता ?

इस गवर्नर भंवर लाल जाट की भूमिका मास्टरमाइंड की है और उसने गोपाल सुवालका को मोहरा बनाया है। क्योंकि नियमों के अनुसार संविदा कर्मी अगर कोई फर्जीवाड़ा या घोटाला सरकारी दफ्तर में संविदा पर रहते हुए करता है तो उससे सरकार वसूली नहीं कर सकती और वसूली एक स्थिति में हो सकती है जब उसके नाम या उसकी पत्नी के नाम कोई संपत्ति हो।

लेकिन इस मामले में भंवर जाट और गोपाल सुवालका ने मिलीभगत करके दिमाग से खेल खेला है जहां गोपाल सवाल का नहीं संपत्ति अपने नाम बिल्कुल भी नहीं रखी है।

वही भंवर जाट ने गोपाल सुवालका से यह अनुबंध किया था कि अगर यह गबन पकड़ में भी आता है तो सरकार तेरे से कोई वसूली नहीं कर सकेगी और तू उक्त गबन की राशि तेरे तेरी पत्नी और अन्य लोग हैं खाते में डलवा दें और निकाल कर मुझे दे देना।

इस तरह की संभावना या आकलन लगाया जा रहा है । और इस पूरे गबन में भंवर जाट गोपाल सुवालका दिनेश भट्ट गोपाल बियानी तथा तत्कालीन बैंक मैनेजर ओं की मिलीभगत के रूप से रही है और इसी के साथ ही तत्कालीन सीबीईओ और दोनों स्कूलों के प्रिंसिपल भी सहभागी है ।

लेखा लिपिक भवन जाट को क्षेत्र के कुछ राजनीतिक रसूख रखने वाले राजनीतिज्ञ का भी सरंक्षण मिला हुआ है इसीलिए वह इतने सालों से एक ही जगह एक ही पद पर रह कर इस तरह का खेल खेल गया ।

बैंक नही कर रहा जांच दल का सहयोग

कोटडी उपखंड मुख्यालय पर स्थित एसबीआई बैंक जांच दल को पूरी तरह से सहयोग नहीं कर रहा है विभाग की ओर से बैंक में का आवेदन देकर वीवीआर रिपोर्ट और वाउचर की कॉपियां मांगी गई थी लेकिन विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि बैंक ने दिव्या रिपोर्ट और वाउचर कॉपियां देने से इनकार कर दिया है

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम