जहाजपुर (आज़ाद नेब) । टीचर ने पुलिस उपाधीक्षक हंसराज बैरवा के समक्ष पेश होकर शक्करगढ़ थानेदार व दीवान के खिलाफ फरियाद करते हुए बिना किसी प्रकरण के पूरी रात बन्द रखने बेवजह मारपीट करने ओर बीस हजार रुपए कि मांग करने का आरोप लगाते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कि मांग कि है।
पुलिस उपाधीक्षक हंसराज बैरवा ने मामले को गंभीरता से लेते हुए फरियादी का मेडिकल चेकअप कर मुकदमा दर्ज करने के लिए शक्करगढ़ थाने को सुचित किया ओर फरियादी को निष्पक्ष जांच करने ओर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
टीचर रामकिशन मीणा ने पुलिस उपाधीक्षक को दी गई रिपोर्ट में बताया कि 16 जनवरी को सायं 7:30 बजे के आस-पास की घटना है कि मैं अपने घर पर जा रहा था कि रास्ते में माठ का झुपड़ा पहुंचा की मनोहर लाल पिता बालू माठ, श्रवण पिता बालू माठ उनके परिवार वालों ने मुझे को जाते हुए को रोककर मारपीट करने लग गये।
जिस पर मेरे परिवार वालों ने थाना-शक्करगढ़ में फोन किया तो थाना-शक्करगढ़ वालो मौके पर आये तो उक्त सारे व्यक्ति मौके से भाग गये मौके पर अकेला ही रहां तो मुलजिम विजय सिंह प्रार्थी को जबरदस्ती अपने साथ बिठाकर थाने पर ले जाने लगा।
इस पर मैंने कहां कि मेरे परिवार वालों के द्वारा आपको फोन कर मेरे साथ मारपीट करने वालों को पकड़ने के लिए बुलाया है, आप मुझे क्यों ले जाना चाहते हो तथा मेरे साथ मारपीट करने वाले व्यक्तियों को क्यों नहीं पकड़ रहें हो ।
इस पर मुलजिम मुझ पर नाराज हो गया एवं यह जानते हुए कि वह मीणा जाति का है अनुसूचित जन जाति का व्यक्ति है बावजुद इसके मुझ को अनुसूचित जनजाति का होने के कारण उसे जातिगत अपमानीत करने के आशय से सार्वजनिक रास्ते पर मां-बहनों की बूरी-गालिया निकाली एवं जबरन 20 हजार की मांग की।
मुझे बिना वजह थाने में लाने के बाद पूरी रात बिना किसी प्रकरण के ही मुलजिम कुलदीप सिंह के कहने पर विजय सिंह ने थाने मे बन्द रखा एवं मुलजिम विजय सिंह ने मुझ से कहां कि अगर तुझे घर जाना है तो इसके बदले मुझे बीस हजार रूपये दे अन्यथा तुझे कोई भी झूठा मुकदमा लगाकर जेल में सड़ा दूंगा।
अभियोगी द्वारा मुलजिम को उसके द्वारा मुकदमा नहीं लगाने के एवज में मांगी गई राशि नहीं देने पर रात्रि में अभियोगी के साथ में गम्भीर रूप से मारपीट करी उक्त मुलजिम के द्वारा अभियोगी के साथ की गई।
मारपीट के कारण अभियोगी के बांई आंख में गहरी चोट आई जिससे की अभियोगी को बाई आंख से दिखना बन्द हो गया हैं एवं शरीर में कहीं जगह अन्दरूनी एवं बाहरी चोटे आई।
मुलजिम को यह भली भांती पता है कि वह लोक सेवक है बावजूद इसके उसके द्वारा अपने पद एवं कर्तव्य का सही तरीके से पालन नहीं किया है एवं अपने पद का दुरूपयोग करते हुए जबरन प्रार्थी से बीस हजार रूपये की मांग की।