Bhilwara News/ भीलवाड़ा शहर विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से नाराजगी भाजपा को इस बार कहीं बहुत भारी न पड जाए । संघ विचारधारा के गौ भक्त अशोक कोठारी द्वारा निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में ताल ठोकने के बाद भीलवाड़ा चुनाव का समीकरण और फिजा बदल सी गई है
और 20 साल बाद भीलवाड़ा विधानसभा सीट भाजपा के हाथ से निकलकर के आसार है ? भीलवाड़ा शहर की विधानसभा सीट का असर जिले की अन्य विधानसभा सीटों पर भी पड़ जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है ।
भारतीय जनता पार्टी ने भीलवाड़ा विधानसभा सीट से लगातार तीन बार से विधायक विट्ठल शंकर अवस्थी को राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के विरोध के बाद भी मैदान में उतारा वहीं दूसरी ओर अवस्थी को लेकर पार्टी में भी गुटबाजी और विरोध के स्वर अवस्थी के टिकट मिलने के बाद से ही शुरू हो गया थे जो लगातार मुखर होते जा रहे है।
सूत्रों के अनुसार संघ ने अवस्थी का टिकट होने के बाद अपनी आपत्ति और विरोध जताते हुए भाजपा को सलाह दी थी कि वह भीलवाड़ा विधानसभा सीट से चेहरा बदलें और साथ ही संघ ने नहीं बदलने की सूरत में संघ ने मौन धारण करने की रणनीति की बात कही थी ? लेकिन इसके बाद भी भारतीय जनता पार्टी द्वारा तीसरी सूची जारी होने के दौरान भीलवाड़ा विधानसभा सीट से टिकट नहीं बदलने पर विट्ठल विरोधी गुट ने नया संगठन विचार परिवार बनाते हुए।
इस विचार परिवार के बैनर तले राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की विचारधारा से जुड़े हुए भीलवाड़ा शहर के जाने-माने और गौ भक्त अशोक कोठारी को निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय बृहद स्तर पर हुई बैठक में लिया गया और इसे अमली जामा पहनाते हुए।
अशोक कोठारी ने सर्व सम्मिति से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन दाखिल कर दिया। नामांकन दाखिल से दो दिन पूर्व अशोक कोठारी शाम को रेलवे स्टेशन चौराहे से लेकर पुराने शहर के बाद मंदिर चारभुजा नाथ तक रैली निकाली यह रैली महरेला में तब्दील हो गई।
इस शक्ति प्रदर्शन मे उमडी भीड़ ने भीलवाड़ा विधानसभा सीट से सारे समीकरण बदल दिए । अशोक कोठारी ने मीडिया से बातचीत के दौरान भीलवाड़ा विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए नामांकन दाखिल कर दिया । कोठारी के नामांकन दाखिल होने के बाद भाजपा और कांग्रेस खेमे में खलबली मच गई ।
भीलवाड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस ने नगर परिषद के पूर्व सभापति ओम नारायणीवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है नारायणीवाल को निवर्तनमान राजस्व मंत्री रामलाल जाट का वृद्ध हस्त प्राप्त है तथा नरायणील को भी लंबा राजनैतिक अनुभव है ।
अब इस सीट पर भाजपा के विट्ठल शंकर अवस्थी कांग्रेस से ओम नारायणीवाल संघ विचारधारा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अशोक कोठारी के मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय होकर बड़ा ही रोचक होगा ।
हालांकि ओम नारायणीवाल को कांग्रेस द्वारा प्रत्याशी बनाने पर कांग्रेस में भी आतंरिक गुटबाजी होगी इससे इनकार नहीं किया जा सकता और भीतर घात भी होगा इसकी संभावनाओं से भी नकारा नहीं जा सकता है ।
भीलवाड़ा विधानसभा सीट पर भाजपा में ऊपरी गुटबाजी और विरोध तथा कांग्रेस में भीतर घात की संभावनाएं से निर्दलीय प्रत्याशी को इसका फायदा मिल सकता है ?
ऐसी स्थिति में भीलवाड़ा विधानसभा सीट पर इस त्रिकोणीय मुकाबले में कौन बाजी मारेगी किसका पलड़ा भारी रहेगा यह तो 25 नवंबर को मतदान और 3 नवंबर को मतगणना के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा लेकिन वर्तमान हालात मे चर्चाओं के अनुसार अशोक कोठारी बाजी मार जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी और यह भाजपा के लिए एक बड़ा झटका होगा ।
भीलवाड़ा में जातिगत मतदाताओं की संख्या इस प्रकार है
ब्राह्मण– 88000
महाजन– 50000 से 60000
मुस्लिम– 35000
एससी एसटी– 20000 से 22000 राजपूत– 12000 से 14 000
सुनार– 8000
माली –45 से 55000
बिश्नोई –45 से 50000
अन्य –29000
कुल– 2,73,201 मतदाता है
नोट- जातिगत आंकड़े लगभग संख्या में है
जातिगत आंकड़ों के आधार पर यह माना जाता है कि ब्राह्मण महाजन वर्ग माली समाज बिश्नोई समाज मुस्लिम समाज राजपूत और एससी-एसटी की बहुत बड़ी भूमिका निर्णायक के रूप में रहेगी ।
भाजपा प्रत्याशी विट्ठल शंकर अवस्थी ब्राह्मण समाज से आते हैं ऐसे में भीलवाड़ा शहर में ब्राह्मण समाज के 88000 मतदाता है लेकिन इस बार भाजपा के पक्ष में ब्राह्मण मतदाताओं का रुझान कितना रहता है।
यह देखने वाली बात होगी जबकि कांग्रेस प्रत्याशी ओम नारायणीवाल और निर्दलीय प्रत्याशी अशोक कोठारी वेश्य महाजन वर्ग से आते हैं ऐसे में वैश्य और महाजन वर्ग मतदाता भी बटेगा मुस्लिम मतदाता को कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है परंतु वास्तविकता में यह सही नहीं है हां काफी हद तक मुस्लिम मतदाता का रुझान कांग्रेस की ओर माना जाता है।
जातिगत मतदाताओं का ध्रुवीकरण और प्रत्याशी की व्यक्तिगत कार्य शैली कार्यप्रणाली व्यवहार और मिलन सारिता तथा उनकी बेदाग छवि और सनातनी होना उसके लिए जीत का कारण बन सकता है ।
हालांकि अभी नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 9 नवंबर है और इस बीच क्या राजनीतिक ध्रुवीकरण होता है निर्दलीय को मनाने में भाजपा कितना कामयाब होती है यह स्थिति 9 नवंबर को 3 बजे बाद स्पष्ट हो पाएगी अगर भाजपा निर्दलीय कोठारी को मनाने में सफल रहती है तो मुख्य मुकाबला फिर भाजपा कांग्रेस के बीच होगा जिसमें भाजपा का पलड़ा भारी रहने की संभावना है