भीलवाड़ा/ जिले के जहाजपुर विधानसभा क्षेत्र के शकरगढ़ ग्राम पंचायत मुख्यालय पर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के बाबू द्वारा किए गए लाखों के गबन और घोटाले के मामले में जांच रिपोर्ट में दोषी पाए गए उस विद्यालय के तत्कालीन वर्तमान और निवर्तमान प्रिंसिपल के खिलाफ अभी तक कार्यवाही नहीं हो पाई है आखिर क्यों ? यह सवाल शिक्षा विभाग के साथ साथ ही आमजन में भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
विदित है की शकरगढ़ ग्राम पंचायत मुख्यालय पर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के कनिष्ठ सहायक नीलेश वैष्णव द्वारा साल 2019 से लेकर जून 2022 तक वेतन बिलों में हेराफेरी करके विभाग को 13 लाख रुपए का राजस्व नुकसान पहुंचाने के मामले में 14 जुलाई 2022 को तत्कालीन मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ब्रह्मा राम चौधरी द्वारा विद्यालय की तत्कालीन प्रिंसिपल लक्ष्मी शर्मा को बाबू नीलेश वैष्णव खिलाफ पुलिस मुकदमा दर्ज
कराने के निर्देश देने के साथ ही तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक और वर्तमान में एडीपीसी तथा कार्यवाहक मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी योगेश चंद्र पारीक के नेतृत्व में एक ऑडिट जांच कमेटी गठित की थी इस जांच कमेटी ने उस समय इस मामले में उस अवधि के दौरान शकरगढ़ राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मिशन 2019 से सन 2021 तक रामबाबू ज्योति प्रिंसिपल रहे।
उसके बाद 2021 में अगस्त तक मोती लाल मीणा कार्यवाहक प्रिंसिपल के पद पर रहे इसके बाद सितंबर 2021 से लक्ष्मी शर्मा प्रिंसिपल के पद पर नियुक्त हुई थी।
इन सभी को घोटाले और गबन के मामले में निलेश बाबू के साथ-साथ इन सभी को भी दोषी माना था और अपनी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंप दी थी।
लेकिन बाबू नीलेश वैष्णव को तो निदेशालय के आदेश से तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था लेकिन इन सभी दोषी प्रिंसिपल के खिलाफ डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई ?
इसी बीच इसी जांच के चलते हुए इसी माह को ही G- 55 से खुलासा हुआ कि स्कूल के निलंबित कनिष्ठ सहायक निलेश वैष्णव ने अपनी दो आईडी बना रखी थी उस दूसरी आईडी से 3 से 4 लाख का और घोटाला सामने आया तो वही निलेश वैष्णव ने अपने मृत पिता भगवान लाल वैष्णव जोकि शिक्षा विभाग में ही राजकीय सेवा में लैबबॉय समकक्ष चतुर्थ श्रेणी कार्मिक के रूप में सेवाएं देते हुए।
सन 2017 में दिवंगत हो गए थे और उनके दिवंगत होने के बाद नियमानुसार भुगतान राशि और परी लाभ सभी का भुगतान करते हुए उनकी आईडी बंद कर दी गई थी और मृतक आश्रित कोटे से निलेश वैष्णव को अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी निलेश वैष्णव ने अपने मृत पिता की बंद पड़ी आईडी को फिर से चालू करते हुए ।
पिता को वरिष्ठ अध्यापक बताते हुए उनकी आईडी चालू कर उससे उनके नाम का वेतन और सारे परी लाभ उठाता और करीब 2700000 रूपया तक उसने उठा लिए थे यह खुलासा G- 55 से खुलासा होने के बाद कार्यवाहक मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी योगेश चंद्र पारीक ने जीपीएस तथा बैंक शाखाओं जिनमें नीलेश वैष्णव और उसके मृत पिता के खाते थे जिनमें वेतन जमा हो रहा था।
की डिटेल और इनकी आईडी कैसे चालू हुई तथा निलेश वैष्णव की दो आईडी कैसे बनी इस संबंध में पूरी जानकारी मांगी और पुलिस थाने में पूर्व में दर्ज मामले में उक्त प्रकरण के संबंध में विद्यालय के कार्यवाहक प्रिंसिपल मोतीलाल मीणा को रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे ।
कार्यवाहक सी डी ई ओ योगेश चंद्र पारीक ने इस मामले में कराई जांच में बातचीत के दौरान बताया कि इस पूरे घोटाले में योगेश वैष्णव के दोषी होने के साथ-साथ ही पहले के तत्कालीन प्रिंसिपल रामबाबू ज्योति कार्यवाहक प्रिंसिपल मोती लाल मीणा और प्रिंसिपल लक्ष्मी शर्मा दोषी पाए गए हैं इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर निदेशालय बीकानेर भेज दी गई है ।
कौन -कौन प्रिंसिपल जिम्मेदार
रामबाबू ज्योति-8/3/2019 से 7/1/2021 तक
मोती लाल मीणा व्याख्याता कार्यवाह प्रिंसिपल- 8=1/2021 से 9/9/21 तक
श्रीमती लक्ष्मी शर्मा-10=9/2021से 7/8/2022 तक
मोती लाल मीणा व्याख्याता कार्यवाहक प्रिंसिपल-8/8/2022 से निरतंर
इस घोटाले के संबंध में तत्कालीन मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ब्रह्मा राम चौधरी द्वारा योगेश चंद्र पारीक जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक के नेतृत्व में गठित टीम ने की जांच में इन तीनों प्रिंसिपल को गबन के लिए जिम्मेदार और दोषी करार करते हुए 5 अगस्त को अपनी रिपोर्ट दे दी थी।
लेकिन आज तक भी इन तीनों प्रिंसिपल के खिलाफ विभाग द्वारा अब तक कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई है।
इनकी जुबानी
हमने ₹300000 के गबन के मामले में जांच के लिए कमेटी गठित कर जांच प्रारंभ की और बैंक से खातों की डिटेल मांगी लेकिन बैंक ने देने से मना कर दिया इसलिए जांच और नहीं हो पाई है और इस जांच में इस गबन के लिए तीन प्रिंसिपल दोषी पाए गए हैं यह रिपोर्ट बनाकर निदेशालय को भेज दी गई है।
योगेश चन्द्र पारीक
कार्यवाहक मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी(CDEO), भीलवाड़ा