श्री कृष्ण जन्माष्टमी 6 को , बन रहा अद्भुत संयोग, मंदिरों में तैयारियां शुरू ,कब है पूजा का मुहूर्त

Dr. CHETAN THATHERA
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भीलवाड़ा/ श्री कृष्ण जन्माष्टमी अर्थात भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव देशभर में 6 सितंबर को हरसोला से मनाया जाएगा भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को लेकर मंदिरों में तैयारी शुरू हो गई है कब है भगवान श्री कृष्ण के पूजा का मुहूर्त क्या है महत्व और क्यों है मनाया जाता जन्माष्टमी पर आईए जानते हैं ज्योतिष नगरी कारोई स्थित वेद गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के निदेशक ज्योतिष डॉक्टर पंडित गोपाल लाल पुत्र नानूराम उपाध्याय से उनकी जुबानी।

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में यह पर्व देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कृष्ण जन्मोत्सव के दिन लोग व्रत रखते हैं और रात में 12 बजे कान्हा के जन्म के बाद उनकी पूजा करके व्रत का पारण करते हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल गोपाल स्वरूप की पूजा की जाती है।

ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान श्री कृष्ण सभी इच्छाएं शीघ्र पूर्ण कर देते हैं। वहीं महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना के साथ यह व्रत करती हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के पकवान अर्पित किए जाते हैं। उन्हें झूला झुलाया जाता है। 

जन्‍माष्‍टमी कब है?

हिंदी पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्‍टमी तिथि यानी कि जन्माष्टमी तिथि 6 सितंबर 2023 की दोपहर 03.37 मिनट पर शुरू होगी और 7 सितंबर 2023 की शाम 04.14 मिनट पर समाप्‍त होगी। ऐसे में लोगों के मन में असमंजस की स्थिति है।

पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस मान्यता के अनुसार गृहस्थ जीवन वाले लोग 6 सितंबर को जन्मोत्सव मनाएंगे। इस दिन रोहिनी नक्षत्र भी है, ऐसा अद्भुत संयोग बनना बहुत शुभ है। वहीं वैष्णव संप्रदाय में श्रीकृष्ण की पूजा 7 सिंतबर को की जाएगी।।

जन्‍माष्‍टमी पूजा का शुभ मुहूर्त 

जन्‍माष्‍टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त 6 सितंबर की मध्यरात्रि 12:02 से मध्यरात्रि 12:48 तक है ।इस तरह पूजा की अवधि केवल 46 मिनट की ही रहेगी। वहीं जन्‍माष्‍टमी व्रत पारण का समय 7 सिंतबर 2023 की सुबह 06.09 के बाद है ।

जन्‍माष्‍टमी पर रोहिणी नक्षत्र की शुरुआ 6 सितंबर 2023 की सुबह 09:20 से 7 सितंबर 2023 की सुबह 10:25 तक रहेगा। जन्‍माष्‍टमी के दिन शुभ मुहूर्त में कान्‍हा की विधि-विधान से पूजा करें और माखन, मिश्री, पंजरी, खीरे का भोग लगाएं. ऐसा करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. सुख-समृद्धि मिलती है। संतान प्राप्ति के योग बनते हैं।

जन्माष्टमी का महत्व

मान्यताओं के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ भी भगवान कृष्ण का आशीर्वाद और कृपा भी बनी रहती है। जो लोग व्रत करते हैं वह मध्य रात्रि पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना भी करते हैं। इस दिन देशभर में मंदिरों को विशेष तौर पर सजाया जाता है।

जन्माष्टमी पर भक्त श्रद्धानुसार, उपवास करते हैं। साथ ही भगवान कृष्ण की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। बता दें कि भगवान कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था।

लोग अपने घर में मौजूद लड्डू गोपाल का भी जन्म तभी कराते हैं। इसके बाद उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाकर फूल आदि अर्पित करते हैं। इसके बाद कृष्ण जी को भोग लगाया जाता है और उस भोग को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम