भीलवाडा / भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव कृष्ण जन्माष्टमी पर सालो बाद विशेष संयोग बन रहा है ।
भगवान श्रीकृष्ण का 5248 वां प्राकट्य उत्सव( जन्मोत्सव ) पुराणादि धर्म शास्त्रों की मान्यता के अनुसार भाद्र मास कृष्ण पक्ष अष्टमी रोहिणी नक्षत्र व वृषभ राशि के चन्द्रमा मे अर्द्धरात्री मे हुआ था ।। इस साल 30 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी इस दिन द्वापरयुग जैसा संयोग है और दो पंथ स्मार्त व वैष्णव इस बार एकमत से इसी दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाऐंगे ।।
ज्योतिष डाॅ. गोपाल उपाध्याय के अनुसार इस वर्ष 30 अगस्त सोमवार को वर्षो बाद श्रीकृष्ण जन्म समय के सभी दुर्लभ योगों का संयोग प्राप्त हो रहै है। 30 अगस्त सोमवार को सूर्योदय कालीन अष्टमी तिथि है जो रात्रि 1 बजकर 59 मिनिट तक रहेगी। अर्द्धरात्रि व्यापिनी रोहिणी नक्षत्र भी दूसरे दिन प्रातः 9 बजकर 43 मिनिट तक रहेगा ।
सूर्योदय कालीन अष्टमी तिथि अर्धरात्रि व्यापिनी रहेगी । रोहिणी नक्षत्र भी अर्धरात्रि में रहेगा। वृषभ राशि का चन्द्रमा भी है। इन दुर्लभ छः तत्वों के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग एवम लक्ष्मी नारायण योग जन्माष्टमी पर्व की शोभा बढाएंगे।
छः विशेष तत्वों का संयोग जो जयंती योग निर्मित कर रहा है ;- भाद्र मास,अष्टमी तिथि,रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशी का चन्द्रमा,अर्धरात्रि व्यापिनी अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र, ये छः मुख्य तत्त्वों के साथ सोमवार जन्माष्टमी पर्व को विषेश पुण्यफलदायी बना रहा है।
जन्म जन्मान्तरों के पुण्य संचय से ही इस प्रकार के दुर्लभ योग की प्राप्ति कलियुग में होती है। विष्णु रहस्य ,गौतमी तन्त्र,पद्मपुराणआदि ग्रन्थों में इस महायोग में व्रत,उपवास करने से पितृ यदि प्रेतयोनि को प्राप्त हुए हो तो वे प्रेतयोनि से मुक्त हो जाते है।जयंती योग में किया उपवास करोड़ों यज्ञों का फल प्रदान करता है ।
इस प्रकार धर्मशास्त्रीय गर्न्थो में इस दुर्लभ योग की बड़ी ही महिमा बताई गई है।
इस वर्ष कृष्ण भक्तों के लिए कृष्ण जन्म का जयंती योग से विशेष महत्व बढ़ गया है। वर्ष भर इंतजार के बाद यदि दुर्लभ जयन्ती योग प्राप्त हो जाये तो क्या बात हैं। आज के दिन व्रती को प्रातः नित्य कर्म से निवृत हो जन्माष्टमी व्रत विधि विधान से अनुष्ठान का संकल्प करना चाहिए। दिन में उपवास औऱ रात्रि जागरण व विविध पूजा उपचारों से बाल रूप श्रीकृष्ण का पूजन ,भगवत कीर्तन आदि इस उत्सव के प्रधान अंग है।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय व ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने प्रनतह क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः – -इस महामन्त्र का जप करने चारो पुरुषार्थो की प्राप्ति होती है
देश भर में मनाया जाता है कृष्ण जन्मउत्सव श्रीनाथजी ,मथुरा वृन्दावन में कृष्ण जन्मोत्सव वैदिक विधि से मनाया जाता है जो दर्शनीय भी है ,वैसे पूरे भारत वर्ष मे जन्माष्टमी पर्व पूरे उत्साह व उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह सर्वमान्य उत्सव है।वल्लभ,चैतन्य व निम्बार्क सम्प्रदाय का यह सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है।