राजस्थान के अजमेर,उदयपुर संभाग में मोबाइल मेडिकल वेन योजना में फर्जीवाडा,फेक चिकित्सक कर रहे इलाज,सरकार बेख़बर

In Ajmer, Udaipur division of Rajasthan, fraud in mobile medical van scheme, fake doctors are doing treatment, government uninformed

भीलवाड़ा/ राजस्थान में सरकार ने दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए मोबाइल मेडिकल वैन योजना सुविधा शुरू की है लेकिन इस योजना में चिकित्सक की जगह एक चिकित्सक अर्थात फर्जी चिकित्सक बनकर नर्सिंग कर्मी या फार्मेसिस्ट ही इलाज कर रहे हैं और जाचो के नाम पर मात्र खानापूर्ति की जा रही है और दवाइयों का वितरण भी केवल नाम मात्र का किया जा रहा है। इस तरह इस योजना के नाम पर जोधपुर के एनजीओ द्वारा जहां सरकार को करोड़ों की चपत लगाई जा रही है वहीं प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है ।

राजस्थान के अजमेर,उदयपुर संभाग में मोबाइल मेडिकल वेन योजना में फर्जीवाडा,फेक चिकित्सक कर रहे इलाज,सरकार बेख़बर

सरकार ने एक अच्छी और सकारात्मक सोच को मध्य नजर रखते हुए ऐसे दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र जहां मेडिकल की सुविधा नहीं है वहां के ग्रामीणों को समुचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राजस्थान में राष्ट्रीय मोबाइल मेडिकल वैन सुविधा शुरू की। इस सुविधा का नाम पहले राजीव गांधी मेडिकल मोबाइल वाहन था और अब इसका ऑआम बदलकर राष्ट्रीय मोबाइल मेडिकल वैन कर दिया है ।

क्या है मोबाइल मेडिकल वेन सुविधा

इस सुविधा में एक वैन जिसमें एक डॉक्टर एक नर्सिंग कर्मी एक फार्मासिस्ट एक लैब टेक्नीशियन और एक चालक जाता है ।कुल मिलाकर 5 का स्टाफ होता है ।चिकित्सक एमबीबीएस (MBBS) होना जरूरी है । इसके अलावा वेन में जाचो से संबंधित सारी सुविधा और दवाइयां भी उपलब्ध होती है ।

किसको कितना मिलता वेतन और कितने कैंप व अवधि

मेडिकल मोबाइल वैन से एक माह में 20 कैंप लगाए जाते हैं और प्रत्येक कैंप की अवधि 5 घंटे होती है । तथा इस कैंप में जाने वाले चिकित्सक को ₹28000 और नर्सिंग कर्मी लैब टेक्नीशियन फार्मासिस्ट और वैन चालक को प्रत्येक को 6-6 हजार रुपए मिलते हैं।

 

राजस्थान के अजमेर,उदयपुर संभाग में मोबाइल मेडिकल वेन योजना में फर्जीवाडा,फेक चिकित्सक कर रहे इलाज,सरकार बेख़बर

सरकार और NGO के बीच अनुबंध

मेडिकल मोबाइल वैन की सुविधा एनजीओ के साथ मिलकर शुरू की है । अजमेर और उदयपुर संभाग के लिए जोधपुर के एनजीओ परमात्मा चंद्र भंडारी (PCB) ट्रस्ट के साथ इस सुविधा को लेकर सरकार के बीच अनुबंध हुआ है। अजमेर और उदयपुर संभाग में एनजीओ की ओर से इसकी मॉनिटरिंग मनीष पांचाल करते हैं।

कैसे और क्या चल रहा है फर्जीवाडे का खेल

मोबाइल मेडिकल वैन में डॉक्टर सहित सभी स्टाफ की ड्यूटी लगाने अर्थात की कौन डॉक्टर और अन्य स्टाफ जाएगा इसका निर्धारण एनजीओ निर्धारित करता है और इसका चार्ट बनाकर सीएमएचओ(CMHO) व संबंधित बीसीएमओ(BCMO) को देता है । किस माह में कहां-कहां कैंप लगेंगे यह संबंधित बीसीएमओ (BCMO)
निर्धारित करते है ।

मेडिकल मोबाइल वैन में अपवाद स्वरूप एक या दो जगह को छोड़कर सभी जगह चिकित्सक की जगह नर्सिंग स्टाफ या फार्मेसिस्ट या फिर डॉक्टर की पढ़ाई कर रहे फर्स्ट ईयर सेकंड ईयर और थर्ड ईयर के छात्रों को भेजा जाता है और कागजों में एमबीबीएस(MBBS) डॉक्टर की डिग्री लगाकर भरपाई की जाती है जबकि वास्तविकता में कैंप में एमबीबीएस डॉक्टर नहीं जाता । जिसके नाम की डॉक्टर की डिग्री लगाई जाती है उससे एनजीओ का प्रतिनिधि सांठगांठ करके उसे कुछ राशि बतौर कमीशन डिग्री लगाने की दे देते हैं । इसी तरह एक कैंप में 5 के स्टाफ की जगह कई बार 3 या 4 का स्टाफ ही जाता है वास्तविकता में लेकिन कागजों में पूरा 5 का स्टाफ जो तय किया हुआ है वह बताया जाता है और उसका भुगतान उठाया जाता है ।

भुगतान की प्रक्रिया क्या और कैसे

मेडिकल मोबाइल वैन सुविधा के तहत अगर एनजीओ अपना मेडिकल मोबाइल वैन लगाता है तो उसे 1.35 लाख तथा सरकार की वैन है तो 1.25 लाख रूपये एनजीओ को दिए जाते है ।

भुगतान बिल का सत्यापन संबंधित ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी (BCMO) करता है और फिर वह बिल एनजीओ के प्रतिनिधि को देता है एनजीओ का प्रतिनिधि उन सभी बिलों को एनजीओ के मुख्यालय जोधपुर ट्रस्टी को भेजता है वहां से बिलों में कमी पूर्ति होकर फाइल वापस अपने प्रतिनिधि के पास भेजते है और वह फिर भुगतान के लिए सीएमएचओ (CMHO) के पास आती है और फिर सीएमएचओ उस बिल का भुगतान करता है ।

सरकार को बदनाम और जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड

मेडिकल मोबाइल वैन में इस तरह एनजीओ द्वारा फर्जीवाड़ा का खेल खेल कर सरकार की मंशा योजना को फेल करने के साथ ही सरकार को बदनाम भी किया जा रहा है? और साथ ही सरकार को राजस्व नुकसान भी पहुंचाया जा कर प्रदेश की ग्रामीण जनता के स्वास्थ्य के साथ भी फर्जी डॉक्टर भेजकर खिलवाड़ किया जा रहा है ।

इनकी जुबानी

राष्ट्रीय मेडिकल मोबाइल वेन सुविधा में मेरे पास जहाजपुर की शिकायत आई थी कि यहां बिना चिकित्सक के कैंप किया गया था हमने उस कैंप को शून्य कर दिया है अगर इसी तरह कई और भी जगह का मामला है और फर्जीवाड़ा हो रहा है तो इस संबंध में आप द्वारा बताया गया है तो उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जाकर कार्यवाही की जाएगी

डाॅ. मुश्ताक खान
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO)
भीलवाड़ा