रक्षाबंधन को लेकर संशय, कहीं अनिष्ट न हो जाएं, कब मनाए राखी , पढ़े ये ख़बर 

Dr. CHETAN THATHERA
4 Min Read

भीलवाड़ा/ भाई- बहन के पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन को लेकर इस साल आमजन मे कुछ असमंजस की स्थिति है क्योंकी रक्षाबंधन पूर्णिमा को मनाई जाती है और पूर्णिमा 11 अगस्त की लेकिन इस साल पूर्णिमा पर भद्राकाल है ऐसे मे शास्त्र और विद्वानो के अनुसार रक्षाबंधन 11 अगस्त को कब मनाएं और राखी कब बांधी जाए की भाई और बहन का अनिष्ट न हो ।

जाने विद्वानो की राय 

11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि लगभग 9:35 पर प्रारंभ होगी वह अगले दिन सवेरे 7:16 तक रहेगी और इसी दिन भद्रा सवेरे 10:38 बजे शुरू होगी और रात 8:25 पर समाप्त होगी। इस भद्राकाल को लेकर काशी विद्वत परिषद के साथ ही तिरुपति ,पूरी हरिद्वार और उज्जैन के विद्वानों व ज्योतिषियों का मानना है कि भद्रा का बास चाय आकाश में रहे स्वर्ग में रहे या फिर पाताल में जब तक भद्रा काल समाप्त नहीं हो जाता तब तक रक्षाबंधन प्रथा राखी नहीं बांधी चाहिए इसलिए सभी ज्योतिष आचार्यों का एकमत होकर मानना है कि 11 अगस्त गुरुवार को रात 8:25 के बाद ही रक्षाबंधन का त्यौहार अर्थात राखी बांधी जाए।

कुछ लोगों का मानना है कि 11 अगस्त को भद्रा पाताल लोक में रहेगी इसलिए इसका धरती पर अशोक का असर नहीं पड़ेगा और पूरे दिन रक्षाबंधन का त्यौहार अर्थात राखी बांध सकते हैं लेकिन ऐसे लोगों के मतों को खारिज करते हुए विद्वात परिषद का मानना है कि किसी भी ग्रंथ या पुराण में इस बात का उल्लेख नहीं है की भद्रा अगर पाताल लोक में हो तो इसका असर धरती पर नहीं पड़ेगा । ॠषियों और मुनियों ने पूरे ही भद्राकाल के दौरान रक्षाबंधन राखी बांधना और होलिका दहन करने को अशुभ बताया है। भद्रा के आवास पर विचार ना करते हुए इंद्रावास को पूरी तरह समाप्त हो जाने के बाद ही राखी बांधी जानी चाहिए

शास्त्रीय नियम के अनुसार रक्षाबंधन 12 अगस्त को ही मनाया जाएगा ।

धर्म सिंधु के अनुसार अपराह्न या प्रदोष व्यापिनी श्रावण शुक्ल रक्षाबंधन बनाई जाए ।ऐसा निर्देश है किंतु शर्त यह हैं कि उस समय भद्रा व्याप्त नही होनी चाहिए। उपरोक्त विवरण के अनुसार यह योग 11 जुलाई को बनता है क्योंकि 11 जुलाई को प्रातः 10:38 से पूर्णिमा आ जाएगी। लेकिन 10:38 बजे से रात्रि 8:51 बजे तक भद्रा रहेगी। जैसा धर्मसिंधु में उल्लेख है कि

भद्रायां द्वे न कर्तव्यम् श्रावणी फाल्गुनी वा। श्रावणी नृपतिं हन्ति,ग्रामों दहति फाल्गुनी

अर्थात भद्रा काल में दो त्यौहार नहीं मनाने चाहिए ।श्रावणी अर्थात रक्षाबंधन ।फाल्गुनी अर्थात होली।

भद्रा काल में रक्षाबंधन मनेगा तो राजा के लिए कष्टकारी है ।और होली दहन के समय भद्रा रहेगी तो प्रजा ,ग्राम आदि के लिए हानिकारक है।(इदम् भद्रायां न कार्यम्।)

शुभ और कल्याण की इच्छा रखने वाली बहन, बेटियों माताओं को अपने भाइयों की कलाई में भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए।

भद्राकाल मे राखी क्यों बांधी जाती 

रक्षाबंधन पर भद्राकाल मे राखी नहीं बांधनी चाहिए क्योंकि इसके पीछे ऐक पौराणिक कथा है ।।लंकापति रावण की बहन सूरपणखां ने भद्राकाल मे ही अपने भाई रावण को राखी बांधी थी और एक साल के अंदर यावण का विनाश हो गया था । भद्रा शनिदेव की बहन थी और भद्रा को ब्रह्मा जी से यह श्राप मिला था की जो भी भद्रा मे शुभ या मांगलिक कार्य करेगा उसका परिणाम अशुभ ही होगा । 

12 अगस्त को प्रातः 7:05 बजे तक पूर्णिमा है उसके पश्चात प्रतिपदा आएगी। उस दिन सूर्य 5:52 उदय होंगे। पूर्णिमा मात्र एक घंटा तेरह मिनट रहेगी।

Share This Article
Follow:
चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम