गहलोत सरकार की चिरंजीवी योजना छलावा और दिखावा, डाॅक्टर ने खडे किए कई सवाल, बताएं सरकार

Dr. CHETAN THATHERA
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Bhilwara News। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) द्वारा कोरोना महामारी को देखते हुए तथा गरीब वर्ग के और मध्यवर्गीय आमजन को निजी अस्पतालों (private hospitals) में निशुल्क उपचार सुविधा (free treatment facility) को मध्य नजर रखते हुए चिरंजीवी योजना (Chiranjeevi Yojna) शुरू की लेकिन विडंबना यह है कि चिरंजीवी योजना का निजी अस्पतालों में आम जन्म देवरी और गरीब परिवार को कोई लाभ आज तक नहीं मिल पाया है।

प्रदेश के चिकित्सा मंत्री डॉक्टर रघु शर्मा बार-बार अपनी उद्बोधन में मीडिया से रूबरू होने के कार्यक्रम में राग अलाप ते हैं कि सरकार गरीब देवर के और आमजन को राहत देने के लिए बहुत ही अच्छी चिरंजीवी योजना शुरू की है और हाल ही में कल ही डॉ रघु शर्मा ने यह बयान दिया है कि इस योजना का लाभ नहीं मिलने पर 181 पर शिकायत करें 3 दिन में निस्तारण होगा और निजी अस्पतालों को चिरंजीवी योजना का लाभ देना होगा नहीं तो उनके खिलाफ कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।

लेकिन आश्चर्य की बात है कि 181 पर सैकड़ों शिकायतें चिरंजीवी योजना को लेकर पड़ी हुई है जिसका निस्तारण आज दिनांक तक तो नहीं हो पा रहा है और दूसरी बात निजी अस्पताल के खिलाफ आज तक चिरंजीवी योजना का लाभ नहीं देने पर कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई है।

भीलवाड़ा में मीडिया से रूबरू के दौरान जब उनसे अस्पताल का नाम पूछा गया तो मीडिया बंधुओं ने बृजेश बांगर मेमोरियल हॉस्पिटल सहित शहर के 10 अस्पताल जो चिरंजीवी योजना से अनुबंधित हैं कि नाम बताएं लेकिन आज तक किसी भी एक अस्पताल के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई है।

दूसरी ओर चिरंजीवी योजना को लेकर शहर के ही निजी अस्पताल के संचालक डॉ कुलदीप नाथावत ने 15 सवाल सरकार के समक्ष खड़े करते हुए जनता की ओर से जवाब मांगा है आइए जानते हैं डॉ कुलदीप नाथावत द्वारा सरकार से पूछे गए क्या है 15 सवाल

 

डॉक्टर नाथावत द्वारा सरकार से पूछे गए यह 15 सवाल

 

01. आयुष्मान और चिरंजीवी योजनाएँ इसलिए लाई गई ताकि राजस्थान की जनता को निजी अस्पतालों में कैशलेस इलाज मिल सके ।जब ये योजनाएँ निजी अस्पतालों के लिए थी तो इनसे सरकारी अस्पतालों को क्यों जोड़ा गया है ?

02. क्या राजस्थान के नागरिकों ने 850रुपए का प्रीमीयम उन सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए दिया है जहां इलाज पहले से ही फ़्री था ?

03. सरकारी अस्पतालों में निशुल्क दवा योजना ,निशुल्क जाँच योजना पहले से ही थी फिर सरकारी अस्पतालों के लिए चिरंजीवी और आयुष्मान योजना क्यों ?

04.सरकारी अस्पतालों का खर्च राज्य के टैक्स पेअर उठाते हैं फिर इन अस्पतालों में इलाज के लिए 850रुपए का अतिरिक्त प्रीमीयम क्यों लिया गया है ?

05. सरकारी अस्पतालों के संचालन का खर्च सरकार वहन करती है जबकि निजी अस्पतालों को खुद अपने अस्पतालों का संचालन करना होता है तो फिर दोनो श्रेणी के अस्पतालों के पैकेज रेट्स एक समान कैसे हो सकते हैं ?

06. भामाशाह योजना में जिस इनश्योरेंस कम्पनी का कार्य संतोषजनक नहीं था ,जिसने निजी अस्पतालों के करोड़ों रुपय आज तक नहीं दिए हैं उसी कम्पनी को आयुष्मान एवं चिरंजीवी का कॉंट्रैक्ट क्यों दिया गया ?

07. क्या सरकार में इस कम्पनी पर अस्पतालों का पेमेंट समय पर न करने के कारण कभी कोई कार्यवाही की ?

08. चिरंजीवी योजना ,आयुष्मान योजना से भिन्न है ।क्या निजी अस्पतालों को इस योजना से जोड़ने से पहले उनसे अलग एमओयू किया गया ?

09. इतनी बड़ी योजना को लागू करने से पहले सरकार ने निजी अस्पतालों या उनकी प्रतिनिधि संस्थाओं को विश्वास में लिया ?उनसे कोई बातचीत की?

10. चिरंजीवी योजना के बाद निजी अस्पतालों के आय के अन्य सभी स्रोत ख़त्म हो जाएँगे एवं इन अस्पतालों को केवल चिरंजीवी योजना पर ही निर्भर रहना होगा ।क्या ये अस्पताल इतने कम पैकेज रेट्स पर लम्बे समय तक काम कर पाएँगे ?
क्या निजी अस्पतालों के लिए सरकार ने बिजली ,पानी , फ़ायर सेफ़्टी इत्यादि विभिन्न ख़र्चों या किसी टैक्स में कोई राहत देने का प्रस्ताव रखा है ?

11. पिछले पाँच वर्ष में insurance कम्पनी का प्रीमीयम चार गुणा बढा दिया गया जबकि अस्पतालों के पैक़ेज में इसी अनुपात में बढ़ोतरी नहीं की गई तो फिर अस्पताल कैसे इस योजना को संचालित कर पाएँगे ?

12. सरकारी अस्पतालों को इस योजना से सम्बद्ध करने का मतलब ये नहीं है की अब राजस्थान के नागरिकों को उन सरकारी सेवाओं के लिए पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं जो पहले निशुल्क थी ?

13. अपने स्वयं के सरकारी अस्पतालों में सेवाओं के लिए insurance कम्पनी को मध्यस्थ बना कर एक बड़ी धन राशि इस मद में खर्च करना क्या राज्य के करदाता के पैसे का दुरुपयोग नहीं है ?

14. सरकारी और निजी अस्पतालों के पैकिज रेट्स एक समान होने का मतलब है कुछ समय पश्चात इन दोनो श्रेणियों के अस्पतालों की सेवाएँ एक जैसी हो जाएँगी ।क्या सरकार अब निजी अस्पतालों को भी अपने अस्पतालों जैसा बनाना चाहती है ?क्या राज्य के नागरिकों को गुणवत्ता पूर्ण इलाज के लिए अब दूसरे राज्यों में जाना होगा ?

15. क्या अब कन्सूमर प्रटेक्शन ऐक्ट के दायरे में राज्य के सरकारी अस्पताल भी आएँगे ?

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम