Bhilwara news । कोरोना वायरस संक्रमण पर कैसे काबू पाया जा सकता है इस पर प्लान और योजना को लेकर भीलवाड़ा में तत्कालीन कलेक्टर राजेंद्र भट्ट और चिकित्सा विभाग व सरकारी कार्मिकों के समन्वय ने जो मिसाल और प्लान तैयार किया वह राजस्थान ही नहीं पूरे देश में एक मॉडल के रूप में पहचाना गया था और यहां कोरोना संक्रमण की चैन को तोड़ते हुए उस पर पूरी तरह से काबू पा लिया गया था लेकिन वर्तमान में भीलवाड़ा एक बार फिर हॉटस्पॉट बन गया है और भीलवाड़ा का वह मॉडल पूरी तरह से फ्लॉप हो गया है या यूं कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भीलवाड़ा मॉडल का राजस्थान और देश में बाजा बज गया है।
वर्तमान में 1345 पाॅजिटिव रोगी एक्टिव है तथा पॉजिटिव रोगियों का आंकड़ा 2575 तक पहुंच चुका है ।
भीलवाड़ा में कोरोनावायरस का पहला रोगी या यूं कहें इस वायरस की शुरुआत शहर के निजी चिकित्सालय बांगड़ मेमोरियल हॉस्पिटल से हुई थी जहां दो चिकित्सक और उनके दो स्टाफ के पॉजिटिव आने के बाद 19 मार्च को तत्कालीन जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने त्वरित निर्णय करते हुए शहर में लॉकडाउन लगा दिया था जो 55 दिन रहा और उसके बाद इस पूरी टीम को फैलने से रोकने और तोड़ने के लिए चिकित्सा विभाग तथा सरकारी कार्मिकों के समन्वय के साथ इस पर योजनाबद्ध तरीके से काबू पाया ।
भीलवाड़ा में कोरोना पॉजिटिव रोगियों की वर्तमान स्थिति
कुल पाॅजिटिव रोगी– 2575
रोगी ठीक हुए ( रिकवरी)– 1199
पाॅजिटिव रोगी अब(एक्टिव)– 1345
मौते–31
अब तक सबसे अधिक पॉजिटिव रोगी 1 दिन में आए — 26 अगस्त को -167
जून तक शहर में करीब 600 रोगी थे थे। माइग्रेट्स की संख्या बढ़ने के बाद जुलाई और फिर अगस्त में यहां की स्थिति ज्यादा बिगड़ गई। लोगों में कोरोना का खौफ भी कम हुआ और उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सेनेटाइजेशन का पालन करना भी जैसे कम कर दिया। हालांकि प्रशासन लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चला रहा है, चालान भी बनाए जा रहे हैं।
शहर कैसे हाॅट स्पाट
डॉ. चावला ने बताया कि पूरा भीलवाड़ा शहर ही एक बार फिर हॉटस्पॉट बन गया है। शहर को 11 ब्लॉकमें बांटा गया है। इसमें से 9 ब्लॉक में कोरोना के रोगी निकल रहे हैं। जिले में मात्र 30 प्रतिशत मामले लक्षण वाले हैं बाकी 70 प्रतिशत रोगी में कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहा है। बगैर लक्षण वाले मरीज ज्यादा होने से आम लोगों में भी आक्रोश है , उन्हें लगता है कि हम तो ठीक थे, जांच कराई तो कोरोना निकल गया।
क्या कर रहा है स्वास्थ्य विभाग
मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर मुश्ताक खान तथा आरआर टीम के प्रभारी व डिप्टी सीएमएचओ डॉ घनश्याम चावला ने बताया कि
स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर अपनी टीम के साथ इस स्थिति से निपटने के लिए एक बार फिर जुट गए हैं। ICMR की गाइडलाइंस का पालन किया जा रहा है। शहर में रोगी पलंग की संख्या बढ़ाकर 250 कर दी गई है, गंभीर मरीजों के लिए 15 वेंटिलेटर्स का भी इंतजाम किया गया है। जांच की गति बढ़ा दी गई है। जहां कोरोना मरीज निकल रहे हैं वहां पूरी सतर्कता बरती जा रही है। मरीजों का इलाज भी मुस्तैदी के साथ किया जा रहा है। जिन्हें होम क्वारंटाइन करना है उन्हें घर पर और शेष मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है।
शहर में कहां-कहां कोविड-19 सेंटर
महाप्रज्ञ भवन , अग्रवाल भवन, विद्यासागर वाटिका , महाराजा अग्रसेन , भवन शांति भवन, आयुष चिकित्सालय, पारीक भवन, माहेश्वरी भवन, सी एस आ
ग्रामीण क्षेत्रों में कहां-कहां कॉविड सेंटर
शाहपुरा , गंगापुर , रायपुर , पोटला आसींद, पंडेर
भीलवाड़ा माॅडल मे क्या थी योजना
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मॉनिटरिंग मैकेनिज्म की व्यवस्था की गई थी। जिनमें पंचायत समिति, ग्राम पंचायत स्तर पर क्रमश: एसडीएम, बीडीओ, टीडीआर, बीसीएमएचओ, डीवाईएसपी, पटवारी, आईएलआर, ग्राम सचिव, एएनएम, सीनियर सैकेंडरी स्कूल प्रिंसीपल, सरपंच, पंचायत सहायक, टीचर्स एवं आशा सहयोगियों को कोरोना कैप्टन एवं कोरोना फायटर्स के रूप में तैनात किया गया।
इन सभी ने आपसी समन्वय के साथ होम क्वारंटाइन, मेडिकल, फूड सप्लाई, फूड पैकेट्स, माइग्रेंट लेब्रोरेट्री, कानून व्यवस्था सभी कार्य एकजुट व आपसी समन्वयके साथ किए । शहर के साथ ही डोर टू डोर ग्रामीण सर्वे भी किया गया। इसमें प्रथम फेज में 1937 टीमों ने 4 लाख 41 हजार 953 घरों का सर्वे किया। जिसमें 22 लाख 22 हजार 752 लोग रहते हैं। इनमें 16 हजार 382 आईएलआई पेशेंट पाए गए। दूसरे फेज में 31 मार्च से 2 अप्रैल तक भी 1937 टीमों ने कार्य किया। डोर टू डोर सिटी स्क्रीनिंग भी की गई। इसमें तीन फेज एवं रुटीन सर्वे में 4807 टीमों ने 3 लाख 46 हजार 692 घरों का सर्वे किया, जिनमें 17 लाख 35 हजार 770 लोग रहते हैं। इनमें आईएलआई रोगी 4 हजार 961 पाए गए।