Bhilwara। भीलवाड़ा जिले की रायपुर सहाड़ा विधानसभा चुनाव (Raipur Sahada Assembly Election) के लिए भाजपा (BJP)और कांग्रेस (Congress)दोनों ही प्रमुख दलों द्वारा प्रत्याशी घोषित (Candidate declared) करने के साथ ही बगावत (Rebellion) शुरू हो गई है ऐसी स्थिति में दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस द्वारा अपनी जीत के किए जा रहे दावे खोखले साबित होंगे ।
सत्ता पक्ष कांग्रेस को यहां परिवारवाद (Familism) और भितरघात (Fistula) ले डूबेगा ऐसी संभावनाएं नजर आती है ।
विदित है कि हमने 24 मार्च को एक खबर चलाई थी जिसमें स्पष्ट भी किया था कि देवर भाभी में टिकट को लेकर चल रही खींचतान के बाद अगर गायत्री देवी को टिकट मिलता है तो भी भितरघात होगा और राजेंद्र त्रिवेदी को भी टिकट मिलता है तो भितरघात होगा हमने स्पष्ट भी किया था कि अगर कांग्रेस यहां अपना वर्चस्व बनाए रखना है अर्थात इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखना है तो विकल्प के तौर पर किसी तीसरे अन्य को उम्मीदवार बनाना होगा ।
भाजपा ने डाॅ रतन लाल जाट को टिकट देखकर उद्योगपति लादू लाल पिता को दरकिनार किया है और टिकट से वंचित करते ही उद्योगपति पितलिया ने बगावत की हुंकार भरते हुए चुनाव मैदान में एक बार फिर ताल ठोकने का एलान कर भाजपा को चुनौती दे डाली है कि वह दबाव में नहीं है और भाजपा के टिकट के मोहताज भी नहीं है वह अपने और जनता के दम पर चुनाव लड़ेंगे और जनता के सहयोग से जीत भी सकते हैं ।
दूसरी ओर दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी के परिवार में ही टिकट को लेकर शुरू से ही आपस में खिंचा तान का दौर चल रहा था और हमने समय-समय पर इसको लिखा भी था और वही सच भी साबित हुआ गायत्री देवी को टिकट देते ही दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी के भाई राजेंद्र त्रिवेदी जो जमीनी धरातल पर कार्यकर्ताओं में अच्छी खासी पकड़ रखते हैं को दरकिनार करने के साथी राजेंद्र त्रिवेदी के समर्थकों ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर बगावत करते हुए विरोध का एलान कर दिया यह विरोध कांग्रेस को बहुत भारी पड़ सकता है।
विदित है कि इसी विधानसभा क्षेत्र से किसी जमाने में दिग्गज माने जाने वाले रामपाल उपाध्याय मे भी इसी तरह बगावत का बिगुल बजा था और उसका नतीजा यह रहा कि गंगापुर रायपुर सहाड़ा क्षेत्र में उपाध्याय परिवार का हश्र किसी से छुपा नहीं है कमोबेश यही स्थिति अब दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी (पंडा) परिवार की अगर हो जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी परिवारवाद और भितरघात से कांग्रेसियों डूबने के कगार पर भी पहुंच सकती है ।
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