भीलवाड़ा निकाय चुनाव- सभापति की चाबी निर्दलियों के हाथ में ,किसका और कौन बनेगा..

Dr. CHETAN THATHERA
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Bhilwara News।भीलवाड़ा नगर परिषद के चुनाव का रंग शहर में परवान पर है और मतदान को अब मात्र 4 दिन ही बचे हैं शहर के चौराहों पर पान की थड़िओं और चाय की केबिनो पर इन दोनों एक ही चर्चा चल रही है भीलवाड़ा नगर परिषद मे इस बार बोर्ड किसका बनेगा ? कौन होगा सभापति? क्या भाजपा बोर्ड पुनृ बना पाएगी? या कांग्रेस भाजपा से बोर्ड छीन पाऐगी ? निर्दलीयों की क्या भूमिका रहेगी ? ऐसे ही कुछ सवाल और तर्क सुनने को मिल रहे हैं । शहर के मतदाताओं का रुख क्या होगा यह कहना तो बहुत मुश्किल है ।

लेकिन आज तक के समीकरण और आकलन से यह तय है कि भीलवाड़ा नगर परिषद में इस बार किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा शहर की सरकार लंगडी होगी और उन्हें निर्दलीयों की बैसाखी के सहारे सत्ता की कुर्सी तक पहुंचना होगा ।

भीलवाड़ा नगर परिषद में पूर्व में 55 वार्डों के बाद हुए परिसीमन के पश्चात 55 से बढ़कर वार्डों की संख्या शहर में 70 हो गई किसी भी राजनीतिक दल को नगर परिषद में स्पष्ट बहुमत के लिए 36 सदस्य होना जरूरी है ।

 

नगर परिषद के 70 ही वार्डों में इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों ने कई वार्डों में अपने पुराने पार्षदों को पुनः मौका नहीं देकर नए चेहरों को उतारा है और वही दोनों ही दलों ने अपने कई पुराने और कर्मठ कार्यकर्ताओं की भी अनदेखी की है और यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस से बेगाने हुए इन पार्टियों के पुराने और कर्मठ कार्यकर्ताओं ने ताल ठोक कर बागी होकर निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में डटे हुए हैं और यह बागी ही दोनों ही दलों के लिए जहां परेशानी का सबब बने हुए हैं तो वही दोनों ही दलों के लिए भी स्पष्ट बहुमत में सबसे बड़ा रोडा भी है ।

भाजपा और कांग्रेस को अपने ही भाइयों के कारण इस बार नुकसान उठाना पड़ेगा 70 सदस्य परिषद के इस सदन में भाजपा नेताओं के दावे 62 प्लस दूर दूर तक नजर नहीं आते हैं भाजपा केवल 25 से 30 सीट तक ही सिमटती नजर आ रही है तो यही हाल कांग्रेस का भी है और कांग्रेसी भी 20 से 25 सीटों तक की सीमटते नजर आ रही है लेकिन हां इस बार पिछले चुनाव के बजाए इस बार कांग्रेश फायदे में रहेगी पिछले चुनाव में जा कांग्रे स्कोर 55 सदस्य परिषद के सदन में से मात्र 8 सदस्यों पर ही संतोष करना पड़ा था लेकिन इस बार टक्कर बराबर की है तो वहीं दूसरी ओर बागी और निर्दलीय भी 10 से 20 सीटें अपने खाते में ले जाएंगे ऐसी संभावनाएं लग रही है ।

वर्तमान के इस आकलन और गणित के आधार पर इस बार नगर परिषद में बोर्ड बनाने के लिए भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दलों को निर्दलीयों और बागियों की बैसाखीओं का सहारा लेना पड़ेगा इसे यूथ कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी की सत्ता की चाबी निर्दलीयों के हाथ में होगी और जो भी दल भाजपा हो या कांग्रेस इन निर्दलीयों को साम ,दाम, दंड से अपने पक्ष में कितना कर पाएंगे वही बाजी मार जाएंगे।

निर्दलीयों की लगेगी बोलियां

नगर परिषद मैं अपना बोर्ड बनाने के लिए ऐसा हमने पहले ही उपर लिखा है भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दलों को निर्दलीयों की बैसाखियों का सहारा लेना पड़ेगा ऐसे में स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो निर्दलीय और बागी पार्षदों का मोल भाव होगा और जो भी दल जितनी ऊंची बोली लगाकर निर्दलीयों और बागियों अपने पक्ष में करेगा वही दल बोर्ड बना लेगा ।

कौन होगा सभापति

इस बार सभापति की दौड़ में पुरुष सीट होने से कई दावेदार खड़े हैं भाजपा की बात की जाए तो भाजपा की ओर से कर्मठ इमानदार और बरसो पुराने भाजपा के कार्यकर्ता तुलसीराम शर्मा युवा चेहरों में राकेश पाठक , ललित अग्रवाल, छैल बिहारी तथा डॉक्टर सतीश पूनिया के निकटतम माने जाने वाले राम लाल योगी सभापति के दावेदार माने जा रहे हैं अगला सवाल यह उठता है कि इनमें से कौन जीतेगा कौन हारेगा तथा निर्दलीय और बागियो को अपने पक्ष में करने के लिए लक्ष्मी कौन खर्च करेगा ? दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से माना जाए तो पूर्व सभापति ओम नारायणीवाल , डालचंद जाट प्रमुख रूप से सभापति के दावेदार उभरकर सामने आ रहे हैं लेकिन यहां भी सवाल यह उठता है कि इनमें से कौन जीतता है और निर्दलीयों बागियों को अपने पक्ष में करने के लिए लक्ष्मी जी कौन खर्च करेगा ?

विश्वस्त सूत्रों और अंदरूनी खबरों के अनुसार मिलनसार मृदुभाषी और पूर्व सभापति रह चुके ओम नारायणी वालों के लिए कांग्रेस पार्टी के ही कार सेवा करके उन्हें इस दावेदारी से वंचित कर दें तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं दूसरे नंबर पर डाल चंद जाट कांग्रेस की ओर से धनबल और बाहुबल में सबसे सशक्त और मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं लेकिन ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो समय ही बताएगा लेकिन इतना जरूर है कि सभापति पद को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों में ही फूटा रोला है ।

सभापति की एक कुर्सी के लिए एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ हो रही है ।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम