भीलवाड़ा/ भीलवाड़ा शहर विधानसभा क्षेत्र में एक बार फिर त्रिकोणीय मुकाबले में विधायक और भाजपा के प्रत्याशी विट्ठल शकंर अवस्थी के विरोध के बाद भी भाजपा की स्थिति मजबूत है जबकी दूसरी और कांग्रेस अभी अपना चुनाव प्रचार भी सही ढंग से शुरू नहीं कर पाई है और असमंजस की स्थिति में है तथा वर्तमान हालात और परिस्थितियों में यहां पर त्रिकोणीय मुकाबले में नंबर दो और नंबर तीन पर रहने के लिए मुख्य मुकाबला निर्दलीय प्रत्याशी अशोक कोठारी और कांग्रेस प्रत्याशी ओम नारायणीवाल के बीच होने के आसार बन रहे है ।
महाराष्ट्र का नागपुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय है यह सर्व विदित है लेकिन भीलवाड़ा को भी छोटा नागपुर के नाम से जाना जाता है अर्थात यहां भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जड़े और वर्चस्व काफी मजबूत है । भाजपा प्रत्याशी विट्ठल शंकर अवस्थी भी संघ पृष्ठ भूमि के कार्यकर्ता और अभी तक बेदाग छवि के साथ-साथ उनके साथ एक मजबूत टीम और वार्ड पार्षदों क्षेत्रीय संगठनों के कार्यकर्ताओं की एक बड़ी फौज है ।
जो काम करने के साथ ही मतदान के दिन मतदाताओं को मतदान स्थल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी ? हालांकि विट्ठल शंकर अवस्थी के नामांकन दाखिल के साथ ही कुछ विरोध हुआ और यह विरोध फिलहाल जारी भी है लेकिन भाजपा और भाजपा के प्रत्याशी विट्ठल शंकर अवस्थी ने इस विरोध को चैलेंज के रूप में स्वीकार करते हुए आगे की ओर अग्रसर है शंकर अवस्थी का नेटवर्क जितना मजबूत है।
उतना कांग्रेस प्रत्याशी ओम नारायणीवाल और अशोक कोठारी का मजबूत नहीं माना जा रहा है अशोक कोठारी द्वारा जो रोड शो रैली निकाली गई थी उसे समय जो जोश था वह जोश अब धीरे-धीरे शांत होता नजर आ रहा है।
जबकि दूसरी और कांग्रेस के प्रत्याशी ओम नारायणीवाल के पास मजबूत टीम नहीं है वार्ड पार्षद भी गिनती के हैं ब्लॉक स्तर पर संगठन सक्रिय नहीं है यहां तक की नारायणीवाल के साथ शहर के कांग्रेस नेता और उनकी टीम उनके साथ नहीं है जैसा कि हमने पहले भी लिखा कि नारायणीवाल को राजस्व मंत्री रामलाल जाट का वृद्ध हस्त प्राप्त है ।
लेकिन मंत्री जाट की टीम भीलवाड़ा शहर में इतनी नहीं है और फिर दूसरी और मंत्री जाट स्वयं अपने निर्वाचन क्षेत्र मांडल में अपनी टीम के साथ अपनी जीत को सुनिश्चित करने में जुटे हुए हैं और उनका ध्यान अपने विधानसभा क्षेत्र की ओर ऐसे में ओम नारायणीवाल शहर में अकेले पडते नजर आ रहे हैं ।
विचार परिवार के प्रत्याशी निर्दलीय गौ भक्त अशोक कोठारी राजनीति के नए खिलाड़ी हैं उन्हें राजनीति की एबीसीडी तक नहीं आती है और प्रचार में वह केवल उन लोगों तक ही पहुंच रहे जो उनके समाज या प्रॉपर्टी बिजनेस से जुड़े हुए हैं ।
बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद की निकली पंक्ति के कुछ कार्यकर्ता उनके साथ है हां भाजपा के पूर्व दोनों जिला अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण डाड और लादू लाल ष तेली ज्यादा कुछ कार्य करता साथ में है ।
कोठारी केवल भाजपा प्रत्याशी के विरोध को अपने पक्ष में करने के लिए मैदान में उतरे हैं उनके राजनीतिक अनुभवहीनता और उनका अकड़पन तथा उनकी टीम का अनुभवहीन होना उनकी जीत में बाधक बन सकती है जबकि दूसरी और यह कटु सत्य है कि कोठारी को अपनी जीत के लिए गिनती जीरो से शुरू करनी है और 70000 से अधिक तक पहुंचानी है ।
जबकि दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी लगातार 15 सालों से अपनी जडे जमी हुई हैं और उनके साथ भाजपा का परंपरागत वोट बैंक साथ में है । भीलवाड़ा शहर में जातिगत ध्रुवीकरण भी बड़ा रोल चुनाव में अदा करेगा शहर में सर्वाधिक मतदाता ब्राह्मण समाज के हैं तो वही जैन और माहेश्वरी समाज के मतदाताओं का भी ध्रुवीकरण होगा ।
भाजपा में चुनाव की फिजा तो अब पार्टी के स्टार प्रचारक के दौरों के साथ ही बदलेगी और इसके साथ ही विट्ठल शंकर अवस्थी को भाजपा संगठन के केंद्र नेतृत्व का भी बड़ा सहयोग मिलने से स्थिति मजबूत बनते दिखाई दे रही है।
ऐसे में चुनाव के आखिरी दिनों में बड़ा बदलाव होता नजर आ रहा है और भाजपा मजबूत स्थिति की ओर अग्रसर है इस योग कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भाजपा लगातार चौथी बार अपना परचम फहराने की और अग्रसर है तथा कांग्रेस प्रत्याशी नारायणीवाल और निर्दलीय कोठारी के बीच दूसरे और तीसरे नंबर को लेकर चुनाव का गणित होगा।
हालांकि यह सारी तस्वीर 25 नवंबर को मतदान और 3 दिसंबर को मत करना के बाद साफ हो पाएगी