
जहाजपुर (आज़ाद नेब) देवस्थान विभाग की बेशकीमती जमीन पर लोगों द्वारा कई सालों से कब्जा जमा रखा था। 15 जुलाई को तहसीलदार द्वारा केवल एक जगह से ही कब्जा हटाया गया। जबकि देवस्थान की अन्य जगहों पर भी कब्जों को अभी तक नहीं हटाया गया है। इस कार्रवाई से तहसीलदार पर भेदभाव करने का भी आरोप लगा है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe! इसी कड़ी में देवस्थान की जमीन को अपना भूखंड बता बेचने का मामला सामने आया है। बेचे गए उन्हीं भूखंडों के वर्तमान मालिकों को बेदखली का नोटिस तहसीलदार ने थमाया। जिससे भूखंड मालिकों मे खलबली मची हुई है।
तहकीकात के दौरान एक मामला सामने आया है कि 24 अप्रैल 1968 में चावंडिया चौराहे पर स्थित ग्राम पंचायत जहाजपुर के 3150, 1820 वर्ग फीट आवासीय भूखण्ड को निलामी में धनश्याम व्यास, विरेन्द्र व्यास ने 158 रूपए में खरीदा गया था। इस आवासीय भूखण्ड को धनश्याम व विरेन्द्र व्यास ने 6 अगस्त 2001 में कालू रेगर व बंटी रेगर को एक लाख चालीस हजार रुपए में बेचान कर दिया। इस ही भूखंड मे से 1820 वर्ग वाले भूखंड मे से 450 वर्ग फीट आवासीय भूखण्ड कालू रेगर व बंटी रेगर ने 22 जून 2006 में शिव कुमार अग्रवाल को 60 हजार रुपए बेचान कर दिया था। इस भूखंड पर तहसीलदार द्वारा 15 जुलाई को बेदखली का नोटिस जारी किया गया जिसमें बताया गया कि चार दिवस में भूखंड को खाली करें। यह भूखंड देवस्थान विभाग का है।
इस पेचीदा मामला में एक तरफ़ तो जिन्होंने कालू रेगर व बंटी रेगर से भूखंड खरीदें वो अपनी जगह पर सही है वहीं दूसरी तरफ तहसीलदार इंद्रजीत सिंह का कहना है कि कालू रेगर व बंटी रेगर से इन्होंने जो भूखंड खरीदें है वो वर्तमान में जिस जगह पर काबिज़ है वह उसके पीछे है और यह जगह है वह देवस्थान विभाग की है। तहसीलदार सिंह ने आगे बताया कि वर्तमान में जो भी भूखंडों पर काबिज है अगर उनके पास सही दस्तावेज पाए जाते हैं तो उन पर फिर से विचार किया जाएगा। पूरी पड़ताल से यह पता चलता है कि क्या कालू रेगर व बंटी रेगर ने लोगों को अपनी जमीन बता देवस्थान विभाग की जमीन को ही बेच दी। अब सवाल यह है कि उन लोगों का क्या होगा जिन्होंने अपनी जमा पूंजी खर्च करके भी धोखा खा बैठे सालों बाद ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
ठगे गए लोग इस जगह पर पक्का निर्माण कर अपना कारोबार कर अपने परिवार को पाल रहे है उनके सपनों व अरमानों को उजड़ता देख उनके दिलों क्या गुजर रही होगी यह महसूस करने वाली बात है। प्रशासन को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।