भीलवाड़ा/ प्रथम पूज्य देव भगवान गणेश जी का जन्मदिन गणेश चतुर्थी कल देश भर में श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाएगा कल गणेश चतुर्थी पर बहुत लंबे समय बाद एक विशेष सहयोग और योग बन रहा है जो लाभदायक है कल से ही 10 दिन तक चलने वाले गणेश महोत्सव को लेकर भीलवाड़ा शहर सहित जिले भर और प्रदेश भर में डंडियों की धूम रहेगी और पंडाल सजे और आकर्षक झांकियां का दौर रहेगा ।
इसे यूं कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आगामी 10 दिनों तक कल से ही धर्म और श्रद्धा की बयार बहेगी । कल गणेश चतुर्थी पर घर और अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर गणपति स्थापना किसी शुभ मुहूर्त में और कब की जाए तथा कैसे पूजा की जाए आईए जानते हैं कराई के ज्योतिष डॉक्टर पंडित गोपाल पुत्र नानूराम उपाध्याय से।
गणेश चतुर्थी का पर्व मंगलवार को मनाया जाएगा इस बार मंगलवार को शास्त्रों और पुराणों के अनुसार भगवान श्री गणेश जी का जन्म भादवा महीने की चतुर्थी के दिन दूसरे पैर में हुआ था उसे दिन उसे समय स्वाति नक्षत्र अभिजीत मुहूर्त था इसी तिथि वार और नक्षत्र के सहयोग में दोपहर में जब भगवान सूर्य देव ठीक सर के ऊपर होते हैं ।
तब माता पार्वती ने गणेश जी की मूर्ति बनाई और उसमें भगवान शिव जी ने प्राण डाले थे और ऐसा ही सहयोग इस बार बिग 19 सितंबर मंगलवार को बन रहा है । ज्योतिष शास्त्र और डॉक्टर गोपाल उपाध्याय के अनुसार इस सहयोग में गणपति के विघ्नेश्वर रूप की पूजा करने से मनवांछित फल मिलता है और इस बार गणेश स्थापना पर स गजकेसरी पराक्रम और आंवला नाम के राजयोग मिलकर चतुर्महायोग बन रहा है ।
19 सितंबर को गणेश स्थापना की पूजा और मुहूर्त
अपने घर पर पूजा और गणेश स्थापना का मुहूर्त इस प्रकार
सवेरे 9.30 बजे से 11 बजे तक
सवेरे 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक
व्यवसायिक स्थल पर पूजा और गणेश स्थापना कम मुहूर्त इस प्रकार
सवेरे 10 बजे से दोपहर 11.35 बजे तक
दोपहर 12 बजे 1.20 बजे तक
सवेरे 11 बजे से दोपहर 1.20 तक का समय सबसे श्रेष्ठ रहेगा
पूरे 10 दिन तक चलने वाले गणेश उत्सव के दौरान ऊं गं गणपतैय नमः मंत्र का जब करने से भी इसका पुण्य प्रतिफल मिलेगा
गणपति पूजा के दौरान कुछ ध्यान रखने योग्य बातें जो बहुत जरूरी इस प्रकार है
गणेश जी की मूर्ति पर तुलसी और शंकर से जल नहीं चढ़ाना चाहिए
दुर्वा और मोदक के बिना पूजा अधूरी
रहती है
गणपति भगवान के पसंदीदा फूल जाती मल्लिका, कनेर ,कमल, चंपा, मौलश्री(बकुल), गेंदा ,गुलाब
भगवान गणपति के पसंदीदा पत्ते हैं धतूरा ,कनेर, शमी ,केला ,बैर, मदार, और बेलपत्र
पूजा में नील और काले रंग के कपड़े ना पहने
चमड़े की चीज बाहर रखकर पूजा करें