Bhilwara news (चेतन ठठेरा)। कोरोना वायरस के कोहराम और हा-हाकार तथा लाॅकडाउन के बाद बेरोजगार हौए देहाडी मजदूर पैदल ही सैकडो किलोमीटर के सफर पर पलायन करने लग गए है लेकिन जिले की सीमाओ के सील करने का अहसास कहीं नजर नही आ रहा है । आज हमारी टीम ने जब इसकी जांच पडताल की तो यह सच सामने आया । लाॅकडाउन के बाद भीलवाड़ा जाले के पडौसी जिला प्रशासन चित्तौड़गढ़, टोंक, बूंदी,और मध्य प्रदेश के नीमच प्रशासन ने अपनी-अपनी जिले की सीमाएं सील कर दी है किसी को बाहर से आने नही दिया जा रहा है और नही जाने दिया जा रहा है ।
सरकार के आदेश
लाॅकडाउन के बाद गहलोत सरकार ने सभी जिला कलेक्टर्स को आदेश दिया है जिले की सीमाओ को फील करने के साथ ही बाहर से आने वाले तथा बाहर जाने वालो की मेडिकल स्केनिंग करने के बाद ही अनुमति दी जाए
सरकार के आदेश की नही हो रही पूरी मुश्तैदी से पालना
सीमाएं सील को लेकर आज हमारी टीम ने जब इसकी सच्चाई जानने के लिए पडताल पर निकली तो बडलियास और बैडच के बीच बंरूदनी के समीप करीब 300 से अधिक लोगो का बडा समूह पैदल ही झूण्ड मे ( बिना दूरी रखे) चल रहे थे जब उनको रोककर पूछा गया तो सबने यह बताया की वह चित्तौड़गढ़ मे दिहाडी मजदूरी करते है और अब सरकार द्वारा बंद कर देने( लाॅकडाउन) के बाद हम सभी बेरोजगार हो गए है इसलिए सभी परिवहन साधन नही होने से पैदल ही अपने-अपने गांव उत्तर प्रदेश जा रहे है । इन्होंने बताया कि वह हमीरगढ होते हुए आए है और बडलियास होते हुए निकलेंगे ।
सवाल जो प्रशासनिक व्यवस्था को कटघरे मे खडा करते
सरकार के आदेश है कि बिना जांच के किसी को भी जिले से बाहर नही जाने दिया जाए फिर चित्तौड़गढ़ की सीमा से यह झुण्झ बिना जांच के कैसे भीलवाड़ा सीमा मे पहुंचा ? इस झुण्ड को पहली ही चेक पोस्ट पर क्यो नही रोका गया ? प्रशासन ने पहली चेक पोस्ट टर जांच को व्यवस्था और इनके लिए परिवहन की खाने की व्यवस्था क्यो नही की ? ऐसे अनेक सवाल है जो व्यवस्थाओं की पोल खोलते है । क्या चेक पोस्टे नाम के लिए है या फिर अपनी बला टाल दूसरे जिले के माथे मडंने की कोशिश