Bhilwara news ( मूलचन्द पेसवानी)- जहां लक्ष्मण के मुर्छित होने पर भगवान हनुमान संजीवनी बुटी के साथ पूरा पर्वत ही उठा लाये थे वे ही भगवान हनुमान इस बार प्रयागराज में गंगा स्नान के लिए स्वंय गंगा तट पर जा रहे है।
भगवान हनुमान प्रतिमा की यह यात्रा भीलवाड़ा के हैडपोस्ट के पास स्थित संकट मोचन हनुमान मन्दिर से आज शुरू हुई। बालाजी की 28 फीट की विशाल प्रतिमा की प्रयागराज यात्रा रविवार दोपहर 12.15 बजे संकटमोचन हनुमान मंदिर से शुरू हुई। संकटमोचन मंदिर के महंत बाबूगिरी महाराज के सानिध्य में रवाना हुई यह यात्रा एक महीने तक चलेगी।
हनुमान भगवान की प्रतिमा 64 टन वजनी और 28 फीट लम्बी है। यह प्रतिमा 21 सौ किलोमीटर का प्रयागराज तक का सफर एक माह में तय करके वापस भीलवाड़ा लौटेगी। उसके बाद इस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जायेगी।
वहीं यात्रा को नगर परिषद् सभापति मंजू चेचाणी, भाजपा पूर्व जिलाध्यक्ष दामोदर अग्रवाल व लक्ष्मी नारायण डाड , पूर्व सभापति मधू जाजू और महंत बाबू गिरी महाराज श्रीराम सेवा मंडल के शांतिप्रकाश मोहता, पीयूष डाड, अनिल बल्दवा, सीईओ राजकुमार माली, बद्रीलाल सोमाणी, सत्यनारायण शर्मा, आजाद शर्मा, दामोदर सिंगी ने महाआरती के बाद झंडी दिखाकर बैड-बाजों के साथ यात्रा को रवाना किया।
श्रीराम सेवा संस्थान के अध्यक्ष शांतिप्रकाश मोहता का कहना है कि यह यात्रा भीलवाड़ा से चित्तौडगढ, बिजौलिया, कोटा से झांसी होते हुए प्रयागराज पहुंचेगी। जहां पर गंगा स्नान करके वापस यह भीलवाड़ा लौटेगी। उसके बाद भीलवाडा के पास ही इस प्रतिमा की स्थापना की जायेगी। इस प्रतिमा को बनाने के लिए 40 लाख रूपये की लागत से बनायी गयी है।
उल्लेेखनीय है कि बालाजी की 28 फीट की विशाल प्रतिमा चार साल पहले दौसा जिले के सिकंदरा से लाई गई थी। इस प्रतिमा को मंगलपुरा स्थित हाथीभाटा आश्रम में रखवाया गया था। यात्रा से पूर्व प्रतिमा का रंगरोगन करवाया गया और रथ से संकटमोचन हनुमान मंदिर लाया गया और श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ रखा गया।
महंत बाबूगिरी महाराज ने बताया कि यात्रा गंगापुर, नाथद्वारा, चित्तौडगढ़, झांसी होते हुए प्रयागराज पहुंचेगी जहां गंगा-जमुना-सरस्वती के संगम पर स्नान कराया जाएगा। इसके बाद प्रयागराज में लेटे हुए हनुमान मंदिर में हवन व पूजा की जाएगी। इसके बाद प्रतिमा वापस भीलवाड़ा के लिए रवाना होगी।
प्रतिमा को भीलवाड़ा में स्थापित करने की योजना है और इसके लिए स्थान की तलाश की जा रही है। बालाजी की प्रतिमा के प्रयागराज रवाना होने के दौरान अतिथियों का दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया गया। रथ के सारथी का भी दुपट्टा पहनाकर सम्मान किया गया।