Bharatpur – थैलेसीमिया व हीमोफीलिया जागरूकता एवं स्वैच्छिक रक्तदान प्रोत्साहन कार्यशाला

liyaquat Ali
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Bharatpur News (राजेन्द्र जती) – सोमवार को  भरतपुर राजकीय जनाना अस्पताल (bharatpur Government Zanana Hospital) के सभागार में थैलेसीमिया (Thalassemia) व हीमोफीलिया (Haemophilia) जागरूकता एवं स्वैच्छिक रक्तदान प्रोत्साहन कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए पीएमओ डॉ नवदीप सिंह सैनी (PMO Dr. Navdeep Singh Saini) ने कहा कि हीमोफीलिया व थैलेसीमिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि हीमोफीलिया आनुवंशिक रोग है जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है।

इसके कारण ये चोट व दुर्घटना में जानलेवा साबित होती है। उन्होंने हीमोफीलिया के लक्षण व उपचार के बारे में विस्तृत जानकारी दी। सीएमएचओ डॉ. कप्तान सिंह ने थैलासीमिया व हीमोफीलिया के लिए जागरूक रहने पर बल दिया। उन्होंने बताया कि थैलासीमिया बच्चों को माता पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला रक्त रोग है। इस रोग के हाेने पर शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में गड़बड़ी हो जाती है। जिसके कारण रक्तक्षीणता के लक्षण प्रकट होते है। उन्होंने इन बीमारियों के लक्षण व बचाव एवं इन रोगों से किस प्रकार सावधानी बरतनी चाहिए के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

कार्यशाला में ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. वीरेंद्र डागुर ने स्वैच्छिक रक्तदान के लिए आमजन को प्रोत्साहित किया। उन्होंंने बताया कि रक्तदान से हम बीमार मरीज की जान बचा सकते है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रक्तदान महादान है और इस कुंभ में सभी लाेगों को जागरूक होकर रक्तदान करना चाहिए। इससे समाज में समरसता को बढवा मिलने के अलावा किसी की जिंदगी भी बचाई जा सकती है। पवन शर्मा फील्ड ब्लड सेल ऑफिसर ने कहा कि रक्तदान को लेकर लोगों में काफी भ्रांतियां है जिसको दूर करने के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।

उन्होंने समय समय पर रक्तदान करने से हाेने वाले लाभों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इन बीमारियों के मरीजों को हर दो-तीन माह में ब्लड की आवश्यकता होती है, जो आसानी से नहीं मिल पाता। यदि मिलता भी है तो उसके लिए अधिक दाम चुकाने होते हैं। सरकारी अस्पतालों में नि: शुल्क ब्लड के साथ आयरन कम करने वाली दवाएं भी मिलती हैं।

क्या है थैलेसीमिया

बच्चो में अनुवांशिक तौर पर होने वाला यह खून का रोग है। इसमें खून में हीमोग्लोबिन बनना कम हो जाता है, जिससे पीड़ित को हर महीने खून चढ़वाना पड़ता है। बार-बार खून चढ़ाने से शरीर में आयरन जमा हो जाता है, जिसे कम करने के लिए दवाएं खानी पड़ती हैं।

क्या है हीमोफिलिया

इस बीमारी में खून का थक्का जमाने वाले फैक्टर 8, फैक्टर 9 या फिर दोनों की कमी हो जाती है। इससे शरीर के भीतरी या बाहरी हिस्साें में खून का रिसाव होने लगता है। रिसाव के चलते हाथ-पैर के जोड़ खराब होने लगते हैं। रिसाव रोकने के लिए ऊपर से फैक्टर लगाए जाते हैं। इससे ज्यादातर पुरुष प्रभावित होते हैं। 5 हजार की आबादी पर एक व्यक्ति इससे पीड़ित होता है।

इस अवसर पर डॉ मुकेश गुप्ता प्राचार्य मेडिसिन, डॉ हिमांशु गोयल सहायक आचार्य शिशु रोग, डॉ वीरेंद्र डागुर ब्लड बैंक प्रभारी, डॉ प्रवीण धाकड़ पैथोलॉजिस्ट, डॉ भास्कर ठाकुर अतिरिक्त प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज, डॉ मनीष सिंह पैथोलॉजिस्ट, डॉ एम पी अग्रवाल सहायक आचार्य पैथोलॉजिस्ट, राममोहन जांगिड़ जिला आईईसी समन्वयक सहित स्वैच्छिक रक्तदाता संस्थाएं, धर्म जाति आधारित संगठनों के प्रतिनिधि, मैरिज ब्यूरो एवं मीडिया प्रतिनिधि सहित थैलेसीमिया एवं हिमोफीलिया के मरीज उपस्थित थे

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