सेवर-मथुरा बाइपास में जगह-जगह 6 इंच से एक फुट तक के हजारों गड्ढे, जिम्मेदार कौन 

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Bharatpur News /राजेन्द्र शर्मा जती।भरतपुर में 23 किमी लंबा सेवर-मथुरा बाइपास लम्बे समय से मरम्मत की राह देख रहा है कि इस रास्ते की पिछले करीब 9 महीने से हालत बेहद खस्ता हो चुकी है।

मेगा हाइवे प्रोजेक्ट में बने इस बाइपास पर जगह-जगह 6 इंच से एक फुट तक के हजारों गड्ढे हैं। जबकि इसी रोड पर बने कंजोली और रारह
रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) भी इतने क्षतिग्रस्त हो चुके हैं कि हर समय एक्सीडेंट का खतरा रहता है।

 

यातायात पुलिस के मुताबिक पिछले 8 महीने के दौरान इस बाइपास पर 27 एक्सीडेंट हुए हैं, जिनमें 6 लोगों की जान गई है और 19 लोग घायल हुए हैं।
यहां से रोजाना औसतन 4000 छोटे-बड़े वाहन गुजरते हैं।

इनसे रोजाना करीब 5 लाख रुपए टोल वसूला जाता है। इन रोड की ऐसी हालत पिछले 9 महीने से है। रिडकोर-आरएसआरडीसी और रेलवे के अफसर इसे ठीक करवाने के बजाय एक-दूसरे पर
जिम्मेदारी डाल रहे हैं।

इस बाइपास पर बने दो आरओबी कंजोली लाइन और रारह पर तो ब्रिज में लोहे के सरिए तक निकल आए हैं। सेफ्टी वॉल, फुटपाथ तक भी
टूटे हुए हैं। गड्ढों की वजह से वाहनों की स्पीड इतनी धीमी होती है कि दिन में कई बार जाम लग जाता है। अगर किसी कारणवश कोई वाहन पंचर या खराब हो जाए तो बाकी लोगों को घंटों खड़े रहना पड़ता है।

सरसों अनुसंधान केंद्र से कंजोली लाइन आरओबी तक, आरओबी की एप्रोच रोड पर, विजय हॉस्पिटल से हनुमान तिराहे तक, हनुमान तिराहे से रारह पुल तक, रारह आरओबी एप्रोच रोड पर, रारह पुल से यूपी बॉर्डर तक कई जगहों पर सैंकडों सडक क्षतिग्रस्त है और गड्ढे बने हुए हैं।

बल्कि कई जगह तो सड़क लगभग गायब हो चुकी है। जबकि उत्तर प्रदेश सीमा में घुसते ही मथुरा तक रोड इतनी बढ़िया है कि वाहन चालकों को काफी सुकून मिलता है।

सेवर-मथुरा बाइपास और कंजोली एवं रारह आरओबी वर्ष 2013 में बनकर तैयार हुए थे। इनमें कंजोली पुल करीब 14 करोड़ और रारह आरओबी पर 14.22 करोड खर्च हुए थे।

जबकि करीब 113 करोड़ से 23 किमी लंबे बाइपास का निर्माण हुआ। टेंडर में इनके रखरखाव की गारंटी अवधि 5 साल थी जो पूरी हो चुकी है। अब ये सरकार के भरोसे हैं। आरएसआरडीसी के पीडीत श्याम बिहारी ने बताया कि 8 साल पहले आरओबी की एप्रोच बनाईं थीं।

लाइन के ऊपर का हिस्सा रेलवे ने बनवाया है। इस बाइपास पर रिडकोर टोल टैक्स वसूल रही है। इसलिए रोड और आरओबी की मरम्मत की जिम्मेदारी भी रिडकोर की है।

वहीं रिडकोर के पीडी सुनील सिंह बताते हैं कि इस बाइपास पर अधिकांश ओवरलोड भारी वाहन गुजरते हैं। जिससे सड़क टूट जाती है। अगले 2 सप्ताह में पेचवर्क पूरा करवा देंगे। लेकिन, इस बाइपास पर आरओबी गलत बने हैं, इनकी
क्वालिटी भी घटिया है।

इसलिए रिडकोर ने टेकओवर नहीं किया है। देखभाल की जिम्मेदारी रेलवे और आरएसआरडीसी की है। कंजोली लाइन और रारह आरओबी के एग्रीमेंट में मरम्मत को लेकर क्या व्यवस्था है। इसे चैक करवाना होगा।

वैसे टोल वसूलने वाली संस्था को आरओबी की मरम्मत करवानी चाहिए। इनमें रेलवे का हिस्सा खराब है तो मरम्मत कराएंगे।

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