प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती और वह कहीं भी जन्म ले सकती है

liyaquat Ali
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रूपवास उपखण्ड के गाँव बसेरी  निवासी 15 वर्षीय विश्वेन्द्र सिंह इंदौलिया

विज्ञानं वर्ग के परीक्षा परिणाम में 99.40 प्रतिशत  अंक प्राप्त कर प्रदेश टॉप कर ना केवल अपने गाँव वल्कि जिले का नाम रोशन किया है

भरतपुर। कहते है की प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती और वह कहीं भी जन्म ले सकती है | ऐसा ही एक उदाहरण भरतपुर में  देखने को मिला जब रूपवास उपखण्ड के गाँव बसेरी  निवासी 15 वर्षीय विश्वेन्द्र सिंह इंदौलिया ने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के  घोषित 12 कक्षा के विज्ञानं वर्ग के परीक्षा परिणाम में 99.40 प्रतिशत  अंक प्राप्त कर प्रदेश टॉप कर ना केवल अपने गाँव वल्कि जिले का नाम रोशन किया है | और अब    प्रदेश टॉपर छात्र  विश्वेन्द्र   आईआईटी कर आईएएस बनकर देश  और समाज  की सेवा करना चाहता है |

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टॉपर छात्र विश्वेन्द्र इंडोलिया भरतपुर के बाबा सुग्रीव विद्यापीठ स्कूल का छात्र है। स्कुल निदेशक इं.  रवि शर्मा ने बताया कि उनके स्कूल के टॉपर छात्र ने बोर्ड में सर्वाधिक अंक लेकर अब तक का रिकॉर्ड तोड़ा है। ये रिकॉर्ड देश के अन्य बोर्डो में भी टूटा है। सर्वाधिक अंको की बजह से रिजल्ट 10 दिन लेट घोषित हुआ। ।विश्वेन्द्र ने स्कूल के अलावा घर पर 6 घण्टे पढ़ाई की ट्यूशन भी नही किया।
विश्वेन्द्र सिंह बेहद गरीब किसान परिवार से है जिसके पिता देवी सिंह के पास महज 10 बीघा कृषि भूमि है |  विश्वेन्द्र सिंह पढ़ाई के साथ अपने पिता का  हाथ  खेती में भी बंटाता था और किराए का कमरा लेकर भरतपुर में पढाई करता था |   हमेशा से ही पढाई में अव्वल रहने वाले  विश्वेन्द्र सिंह ने बाबा सुग्रीव सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाई कर राजस्थान की बिज्ञान बोर्ड परीक्षा में टॉप किया और आज विधालय परिसर में जश्न मनाया गया तथा विश्वेन्द्र का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया |
विश्वेन्द्र के  पिता देवी सिंह और माँ नीलम देवी विगत 20 मई से कृष्ण भगवान् के धाम 84 कोस की परिक्रमा दे रहे है जो अगले दो दिन बाद बापस अपने घर लौटेंगे | लेकिन जब परिक्रमा के दौरान ही उनको पता चला की उनके बच्चे ने प्रदेश में पहली रैंक प्राप्त कर प्रदेश टॉप किया है तो उन्होंने यह सब भगवान् के आशीर्वाद पर छोड़ दिया |
विश्वेन्द्र सिंह बेहद गरीब है जिसके पास पहनने के लिए अच्छे कपडे भी नहीं है लेकिन आज उसके टॉपर बनने के बाद लोगों ने उसको कुछ रूपये दिए जिससे वह अपने लिए कपडे खरीद सके |
विश्वेन्द्र सिंह ने अपनी सफलता का श्रेय गुरुजनों और अपने माता पिता को देते हुए कहा कि  उसे  विश्वास था की वह प्रदेश में टॉप करेगा और एक दिन आईएएस अधिकारी बनकर अपने पिता का सपना पूरा करेगा |उन्होंने बताया कि  ग्रामीण परिवेश में  सड़क,बिजली,पानी की समस्या के लिए जूझना पड़ता है लेकिन एक आईएएस अधिकारी इनकी समस्या को समझकर दूर कर सकता है बस यही  सपना उसने भी पाल रखा है |

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