सरकारी अध्यापक को 7 साल की सजा , 1 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित

Draft report of accountability law, which has been keeping dust in cold storage for 2 years, was not implemented

भरतपुर /राजेंद्र शर्मा जती। राजस्थान में भरतपुर की डकैती कोर्ट के न्यायाधीश ने एक व्यक्ति को जान से मारने के प्रयास के मामले में सरकारी अध्यापक को 7 साल की सजा के साथ 1 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कुम्हेर थाना इलाके के पिचूमर गांव में 9 मई 2010 की रात को हुई इस वारदात के 11 साल बाद सुनाए गए फैसले के दौरान दो आरोपियों की मौत भी हो चुकी है।

बताया गया कि वारदात की रात घूरन सिंह अपने दो बेटों के साथ घर के बरामदे में सो रहा था तभी उसे देर रात कुत्तों के भौंकने की आवाज आई। जिस पर घूरन सिंह उठ गया और उसने देखा की गांव के तीन व्यक्ति विजय पाल, साहब सिंह और मेघश्याम उसके घर की तरफ आ रहे हैं।

घूरन सिंह ने जब तीनों से वहां आने का कारण पूछा तो विजय पाल और साहब सिंह ने घूरन सिंह के ऊपर हथगोले फेंक दिए और तीनों आरोपी मौके से भाग गए। घायल घूरन सिंह को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया।

घूरन के पर्चा बयान के आधार पर तीनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। कोर्ट ने साहब सिंह और मेघश्याम को आरोपी मान लिया और विजय पाल को आरोपी नहीं माना जिस पर कोर्ट में एक एप्लीकेशन लगाई गई की विजय पाल को भी आरोपी माना जाए। जिसके बाद विजय पाल को भी कोर्ट ने आरोपी मान लिया।

इस बीच साहब सिंह और मेघश्याम की मौत हो गई। 11 साल बाद डकैती कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए विजय पाल को 7 साल की सजा और 1 रुपये का जुर्माना लगाया है।