
भरतपुर / राजेन्द्र शर्मा जती।भरतपुर में जिला कलेक्ट्रेट पर राजस्थान मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव यूनियन की ओर से धरना प्रदर्शन किया गया जिसमें उनकी मांग है कि देश में दवा की कीमतें आसमान छू रही है सामान्य तौर से भारत में स्वास्थ्य सेवा पर जेब खर्च का औसत दुनिया के कई देशों की तुलना में बहुत अधिक है आय का बड़ा हिस्सा दवा खरीदने चला जाता है नव उदारवादी आर्थिक नीति के चलते हमारे देश में कितने प्रतिशत दवाई निजी क्षेत्र द्वारा निर्मित की जाती है ।
सरकार द्वारा क्षेत्र की दवा कंपनियों को बंद किया जा रहा है उपरोक्त नीति के परिणाम स्वरुप भारत में आम लोगों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए आवश्यक लगभग सभी दवाएं और मध्यम और बड़े पैमाने पर निजी क्षेत्रों की दवा कंपनियों द्वारा निर्मित की जातियां आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में शामिल दवाई भी अपवाद नहीं है ।
30 मार्च 2022 कोडब्लू एच ओ कीजारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों की सभी स्वास्थ्य का 65प्रतिशत अपनी जेब से खर्च किया जाता है जिसमें से दो तिहाई दवाई खरीदने के लिए हैं भारत में 55 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी की ओर धकेल रही है ।
जिसमें 18% से अधिक घरों में हर साल स्वास्थ्य व्यवस्था खतरनाक स्तर होता है रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की सुविधाओं की निरंतर कमी और निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के कारण लगातार आम आदमी का खर्च बढ़ रहा है ए कोविड-19 के पिछले 2 वर्षों में आवश्यक दवाओं की कीमतों में भारी वृद्धि देखी गई है सार्वजनिक क्षेत्र की दवा कंपनियों के बंद होने के कारण भारत में दवा उद्योग का कच्चा माल लगभग पूरी तरह से विदेशों से आयात पर निर्भर है महामारी के दौरान विदेशों से कच्चे माल की कमी के कारण निजी भारतीय कंपनियों ने सरकार पर जबरदस्त दबाव डाला है कि उन्हें अपनी दवा की कीमतें बढ़ाने की अनुमति दी जाए ।
कार्वेट दबाव में देखते हुए सरकार ने कई दवाओं की कीमतों में 50% की वृद्धि की अनुमति दी है केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि कंपनियों को देश के थोक मूल्य सूचकांक में वृद्धि के अनुरूप आवश्यक दवाओं की कीमतों में वृद्धि करने की अनुमति दी जाएगी जिसको लेकर राजस्थान मेडिकल एंड सेल्स यूनियन की ओर से जिला कलेक्ट्रेट पर धरना प्रदर्शन का जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया गया।