अंग्रेजी सरकार के छक्के छुड़ाने वाले 92 वर्षीय स्वतंत्रता सैनानी मुकुट बिहारी लाल नही रहे

Sameer Ur Rehman
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भरतपुर(राजेन्द्र जती )। अंग्रेजी सरकार के छक्के छुड़ाने वाले 92 वर्षीय स्वतंत्रता सैनानी मुकुट बिहारी लाल गोयल का देहांत हो गया जिनकी अंतिम विदाई में शरीक होने व् उनको श्रद्दांजलि देने के लिए हजारों लोग पहुंचे जहाँ उनका अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ किया गया। मुख्गानि उनके पुत्र अनिल गोयल ने दी।


बताया जाता है कि मुकुट बिहारी लाल गोयल का जन्म 13 अप्रैल 1928 में हुआ था जिसके बाद उन्होंने 1953 में वकालत की पढ़ाई जयपुर के महाराजा कॉलेज से पूरी की और साथ ही छात्र जीवन से ही वह स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में भी अपनी भागीदारी निभाते रहे जहाँ उन्होंने सामाजिक उत्थान और जागीरदारी प्रथा जैसी कई मुद्दों के खिलाफ कई आंदोलन भी किये और वर्ष 1977 में आपातकाल के दौरान वह 19 महीनों तक जेल में भी बंद रहे अपने जीवन के संघर्ष के दौरान वह 19 बार जेल गए थे।


मुकुट बिहारी रूपवास बयाना से 1962 से लेकर 1972 तक दो बार विधायक भी रहे और समाज सुधार के आंदोलनों के दौरान ज्यादातर वह अपना संघर्ष करते रहे। उनका एक पुत्र अनिल गोयल जो एनजीओ का संचालन भी कर रहे हैं वे समाजसेवा में भी हैं। मुकुट बिहारी आजाद हिन्द दल के कमांडर भी चुने गये जहाँ 8 जनवरी 1947 को लार्ड बाबेल जब भरतपुर के केवलादेव उद्यान को देखनेे के लिए आये थे तब उन्होंने लार्ड बाबेल का विरोध किया था और वह लोहागढ़ किले के गेट के बाहर बाबेल का रास्ता रोकने के लिए सडक़ पर लेट गए थे और बाबेल ने अपनी गाडी उनके ऊपर चढ़ा दी थी जिसमे मुकुट गंभीर रूप से घायल हो गए लेकिन इलाज के बाद वह सही हो गए और सही होते ही उनको तुरंत गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया था।

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उन्होंने देश की आजादी के लिए जेल यात्राएं कीं व अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार सहेए 8 मार्च 1947 को बेगार विरोधी आन्दोलन के तहत उन्होंने भारत के वायसराय लार्ड बेविल का काफिला रोक दिया। लोहागढ किले के दक्षिणी गेट पर वह उनके काफि ले के आगे लेट गयेए नतीजन झल्लाकर उन्हें लारी से कुचल दिया गया तथा वह गंभीर रूप से घायल हो गये।

मुकुट बिहारी गोयल अपने समय में बहुत ही जुझारूए अख्खड व सादगी से भरपूर राजस्थान के दिग्गज नेता रहे। वह शुरू से समाजवादी विचारधारा के नेता थे और डॉण् राममनोहर लोहिया के करीबी रहे। सन 2010 में उनको स्वतंत्रता सैनानी के रूप में भारत के राष्ट््रपति द्वारा राष्ट््रपति भवन में सम्मानित भी किया गया। वह दो बार राजस्थान विधानसभा में विधायक के रूप में चुने गये।

उनकी अत्येष्टि में आज सुवह जिला प्रशासन की ओर से तहसीलदार ललित कुमार व अन्य अधिकारियों ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित किये व राष्ट््रीय ध्वज में लपेटकर बडी संख्या में लोगों के साथ उनकी शवयात्रा काली बगीची मोक्षधाम पर पहुंची जहां पर राजस्थान पुलिस की सशस्त्र गारद द्वारा उनको गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया व हवा में 11 चक्र गोलियां दागकर उनको सलामी दी गई। उनकी शवयात्रा में काफी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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Editor - Dainik Reporters http://www.dainikreporters.com/
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