2 बेटे और बहुएं सरकारी नौकरी में, लेकिन मां के लिए दो वक्त की रोटी नहीं…दर-दर ठोकरें खाने को मजबूर मां

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Bharatpur News /राजेंद्र शर्मा जती। भरतपुर में जिला कलेक्ट्रेट में सम्भागीय आयुक्त पी सी बेरवाल की जनसुनवाई के दौरान एक बुजुर्ग महिला अपने बेटों की ही शिकायत लेकर पहुंची. पीड़ित महिला महादेवी ने बताया कि दो बेटे और बहू सभी सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं लेकिन उसे साथ रखने को तैयार नहीं है. वह दर-दर भटक रही है और मजबूरी में गांव में ही अपनी बहन के साथ रह रही है।

महादेवी की वेदना ऐसी की उसके दर्द की दस्तां सुन संभागीय आयुक्त पीसी बेरवाल की आंखे भर आई। महादेवी ने बताया कि उसके दो बेटे है और दोनो ही हवा में ऊची उड़ान भरते है जब बैठक मे मौजूद आधकारियों ने इसका मतलब जानना चाहा तो उनका कहना था कि उनके दोनो बेटे वायुसेना में सेवारत है।

बडे़ चाब से दोनो बेटो का ब्याह रचाया और बहुऐं भी सरकारी महकमें में सेवारत मिली। गरीबी में जीने वाली महादेवी वर्मा की दोनो बेटो की शादी के बाद जगी उम्मीदों पर उस समय पानी फिर गया जब बेटे और बहुओं ने उसे नदारद कर दिया।

बेटे मां और बहुयें सास का फर्ज निभाना भूल गई। अपनी इस व्यथा को लेकर महादेवी आज पैदल ही 30 किलोमीटर का सफर तय कर सम्भागीय आयुक्त बेरवाल के समक्ष आ पहुॅची। महादेवी की व्यथा सुन शायद ही उस बैठक में कोई ऐसा शक्ख होगा जिसकी आंखे न नम हुई हों।

आज तो आपकी गाड़ी छोड़ देगीं साहब, पर कल का क्या ?
महादेवी की व्यथित जिंदगी से जुड़ा पूरा वाकया सुन संभागीय आयुक्त ने कहा कि आप निशि्ंचत रहिये हम शीघ्र ही आपको न्याय दिलाने का प्रयास करेंगे और उनके पैदल आने की बात पर डीसी बोले की आप बेफ्रिक रहिये अब आपको अपने गांव पैदल नही जाना पड़ेगा हम आपको सरकारी गाड़ी से घर पहॅुचावा देगें।

लेकिन महादेवी की खुदगर्जी देखिये कि उन्होने डीसी को इसके जबाव में कहा कि सरकार आज आपकी गाड़ी मुझे घर छोड़ देगी मगर कल फिर मुझे पथरीले पथ पर पैदल ही चलना है। एक दिन की रहनुमाई का क्या फायदा।

पिता की मौत के बाद मां को भूले बेटे
महादेवी के पति धर्म सिंह की करीब डेढ़ साल पहले मौत हो गई थी. आंखों में आंसू लिए महादेवी ने बताया कि पिता धर्म सिंह ने मरने से पहले अपने बेटों से लिखित में आश्वासन लिया था कि वह अपनी मां की देखभाल करेंगे और हर महीने उसके भरण-पोषण के लिए 6-6 हजार रुपए देंगे लेकिन पिता की मौत के बाद से ही बेटा और बहू ने मां को भुला दिया।

अब हालात ये हैं कि महादेवी को एक एक दाने के लिए मोहताज होना पड़ रहा है।
पीड़िता महादेवी ने बताया कि जब बेटा और बहू ने दो वक्त की रोटी देने से मना कर दिया तो वद गांव में ही रह रही हैं। महादेवी की बहन ने उन्हें सहारा दिया। अब महादेवी अपनी बहन के घर रहकर गुजर बसर कर रही है।

पीड़िता महादेवी की बात सुनकर संभागीय आयुक्त पीसी बेरवाल ने संबंधित एसडीएम को 15 दिन में पीड़िता के दोनों बेटों को पाबंद कर भरण पोषण की व्यवस्था कराने के निर्देश दिए।

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