टोंक। ओम कर सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित सनातन धर्म यात्रा के तेरहवें पड़ाव मे टोंक के अग्रवाल धर्मशाला में चल रही श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन पूज्य संतोष सागर महाराज ने बोलते हुए कहा कि सबसे पहले भगवान नारायण ने ब्रह्मा जी को चतुर्थ श्लोकी भागवत सुनाई ।
भागवत साक्षात भगवान कृष्ण है ये भगवान का शब्द विग्रह है। जब हर प्राणी में भगवान के दर्शन होने लगे तो समझ लेना भागवत जीवन में आ गई। भाई श्री ने कहा सेवा करने से तन ,सत्संग करने से मन तथा दान करने से धन पवित्र होता है। राजा परीक्षित को 7 दिन में मृत्यु का श्राप लगा तो उन्होंने सुकदेव जी से पूछा 7 दिन में मरने वाले को क्या करना चाहिए तब सुकदेव जी ने श्रीमद भागवत कथामृत का पान करने का कहा। महाराज ने कथा में कहा जब परमात्मा के नाम लेने से सतसंग में आंखों में आंसू आने लगे,भगवान के दर्शन को मन तडफ़ने लगे तब समझ लेना हरी से मिलन का मार्ग मिल गया। भगवान ने भक्ति के वशीभूत हो कर दुर्योधन के छप्पन भोग त्याग कर विदुरानी के केले के छिलके खाए।
दुनिया इंसान के अच्छे कर्मों को याद करती है इंसान अच्छे कर्मों से अपना नाम अमर कर सकता है। कथा स्थल पर प्रात विश्व कल्याण हेतु यज्ञ किया गाया जिसमे बनवारी लाल कुमावत ने सपत्नीक आहुतियां दी। सनातन धर्म यात्रा के अंतर्गत कल से भगवत कथा के साथ साथ स्कूलों में छात्र छात्राओं को प्रवचन व निशुल्क गीता वितरण का कार्यक्रम शुरू होगा।