Jaipur News – भारत (India) में सिर में चोट (head injury)की वजह से करीब 70 फीसदी मौतें होती हैं, जो विश्व में सर्वाधिक हैं। भारत में दुर्घटनाओं के दौरान सिर में चोट लगने से छह में से एक की मौत हो जाती है जबकि अमेरिका में यह आंकड़ा 200 में से एक है। सिर में चोट लगने के कारण ट्रामैटिक ब्रेन इंजरी (टीबीआई) होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
यह बात एशियन-ऑस्ट्रेलियन कांग्रेस ऑफ न्यूरोलॉजिकल सर्जन्स न्यूरो ट्रोमा कमेटी के चैयरमैन व सवाई मानसिंह अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉ. विरेंद्र डी. सिन्हा ने न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एनएसआई) की ओर से रोड सेफ्टी पर बुधवार को जयपुर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेन्स को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने बताया कि दुर्घटना के बाद गोल्डन आवर यानी एक घंटे में घायल को अस्पताल पहुंचाया जाना चाहिए मगर भारत में करीब 24 फीसदी मरीज ही इस अवधि में अस्पताल पहुंच पाते हैं।
एनएसआई के चैयरमेन व चैन्नई के न्यूरो सर्जन डॉ. के. श्रीधर ने न्यूरोसर्जन्स की कमी पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भारत में 132 करोड़ की आबादी पर महज तीन हजार न्यूरो सर्जन्स हैं। इस लिहाज से लगभग 40 लाख की आबादी पर एक न्यूरो सर्जन है, जबकि अमेरिका में तीन हजार की आबादी पर एक न्यूरो सर्जन है।
वर्ष 2018 में 35.2 फीसदी यानी एक लाख 64 हजार 313 हादसे दोपहिया वाहनों के हुए हैं जिनमें 31.4 फीसदी मतलब 47 हजार 560 लोगों की मौत हो गई, जबकि 1 लाख 53 हजार 585 लोग घायल हुए। वहीं राजस्थान में 21 हजार 743 सडक हादसों में 10 हजार 320 लोगों को जान गंवानी पड़ी।